मेरे हाथ खाली हैं, न तो पैसा है…Indian Idol के सेट पर गीतकार संतोष आनंद ने सुनाई अपनी दास्तां; रो पड़ीं नेहा कक्कड़
Indian Idol 12: 'इंडियन आइडल' के सेट पर पहुंचे मशूहर गीतकार संतोष आनंद की दास्तां सुन फूट-फूटकर रोने लगीं नेहा कक्कड़।

अपने जमाने के दिग्गज गीतकार संतोष आनंद ने जब ‘इंडियन आइडल 12 (Indian Idol 12)’ के सेट पर अपनी दास्तां सुनाई तो शो की जज नेहा कक्कड़ रो पड़ीं। विशाल ददलानी की आंखों में भी आंसू आ गए और दर्शक भी भावुक हो गए। ‘इक प्यार का नगमा है’, ‘जिंदगी की न टूटे लड़ी…’ जैसे अमर गीतों के लेखक संतोष आनंद (Santosh Anand) इंडियन आइडल में गेस्ट के तौर पर आए थे। इस दौरान उन्होंने बताया कि वे किन हालात से गुजर रहे हैं। उनके पास न तो पैसा है और न ही कोई काम।
गीतकार संतोष आनंद (Santosh Anand Songs) अपनी आपबीती सुनाते हुए कहते हैं, “कितने समय बाद मैं मुंबई आया हूं। मुझे वो दिन याद आते हैं, बहुत अच्छी तरह… एक उड़ते हुए पंछी की तरह मैं यहां आता था और चला जाता था। रात-रात भर जागकर मैंने गीत लिखे। मैंने उन्हें अपने खून की कलम से लिखा है…। कितना अच्छा लगता है वह दिन याद करके। मुझे लगता है कभी-कभी मेरे लिए दिन भी अब रात हो चुके हैं।”
इस दौरान संतोष आनंद भावुक हो जाते हैं और उनकी आंखों से आंसू निकल पड़ते हैं। वो रोते हुए कहते हैं “मैंने एक बात हमेशा कही है, गौर से सुन लीजिए…हथियार टूटता है हौंसला नहीं। मेरी टांग भी टूट गई, चार-चार बार टूटी। लेकिन मेरा कलेजा नहीं टूटा है..अभी भी। मेरे पास कुछ भी नहीं है, लेकिन बहुत कुछ है। लेकिन एक बात मैं कहना चाहता हूं कि मुझे ये लगता था कि मैं अपनी कविता से दुनिया जीत लूंगा।”
संतोष आनंद आगे कहते हैं, “अब आकर लगता है कहीं तो संतोष आनंद गलत था। आज मेरे पास ना पावर है और ना पैसा। लेकिन जनता का प्यार बहुत मिला।” संतोष आनंद की ये दास्तां सुनकर नेहा कक्कड़ काफी इमोशनल हो जाती हैं।
नेहा कक्कड़ संतोष आनंद से कहती हैं कि आपके गीतों से हमने प्यार करना सीखा है और मैं 5 लाख रुपये आपको भेंट स्वरूप देना चाहती हूं। हालांकि, संतोष आनंद उसे लेने से इंकार कर देते हैं। कहते हैं कि मैं बहुत स्वाभिमानी आदमी हूं, मैंने कभी किसी से एक रुपया भी नहीं लिया। मैं आज भी मेहनत करता हूं। लेकिन जब नेहा कक्कड़ कहती हैं कि यह आपकी पोती की तरह से समझ लीजिए, तो वह स्वीकार कर लेते हैं।
शो के दौरान नेहा कक्कड़ इंडस्ट्री के लोगों से अपील भी करती हैं कि उन्हें (संतोष आनंद) को लोग काम दें। उनसे गीत लिखवाएं। इस दौरान विशाल ददलानी कहते हैं कि आप अपने गीतों को हमें दें, हम उसे दुनिया के सामने लाएंगे।