Mahabharat Episode 12 April 2020 Updates: दुर्योधन और मामा शकुनि को लगने वाला है जोर का झटका, सभी पांडव सकुशल वारणाव्रत से लौटे
Mahabharat Episode 12 April 2020 Updates: दुर्योधन को लेकर पांडव अपने-अपने संदेह जाहिर करते हैं। लेकिन युधिष्ठर भाईयों के संदेह को लेकर कहते हैं कि...

Mahabharat Episode 12 April 2020 Updates: दुर्योधन को लेकर पांडव अपने-अपने संदेह जाहिर करते हैं। लेकिन युधिष्ठर भाईयों के संदेह को लेकर कहते हैं कि वह अभिमानी जरूर है लेकिन कायर नहीं। वह लड़ सकता है लेकिन षड्यंत्र नहीं कर सकता है। हालांकि सारे पांडव भाई दुर्योधन के बनाए भवन पर शक जाहिर करते हैं। शकुनि ने जैसा चाहा था आखिरकार वैसा ही हुआ धृतराष्ट्र ने युधिष्ठिर से वारणाव्रत में भगवान शिव के उत्सव में शामिल होने के लिए कहा। महाराज की आज्ञा मानते हुए युधिष्ठिर ने तुरंत हामी भर दी। वहीं दुर्योधन ने युधिष्ठिर से कहा कि भ्राता श्री वहां पर आपके ठहरने की उचित व्यवस्था कर दी गई है।
दुर्योधन को ये समाचार मिल गया है कि वारणाव्रत में पांडवों की उनकी माता कुंती समेत मृत्यु हो गई है। इस समाचार को सुन दुर्योधन बहुत ज्यादा खुश होता है वहीं शकुनि अपने भांजे से कहता है कि आज उसका सपना पूरा हुआ अब दुर्योधन हस्तिनापुर का महाराज बनेगा क्योंकि इस सदमेे के बाद धृतराष्ट्र तो वनवास चले जाएंगे। हालांकि पांडव शकुनि और दुर्योधन की इस कूटनीति के बारे में जान गए थे और वारणाव्रत से सुरक्षित निकल गए थे। ऐसे में जब दुर्योधन उन्हें जीवित देखेगा तो उसको जोर का धक्का लगना तय है।
इधर युधिष्ठिर धृतराष्ट्र से मिलने जाते हैं उधर शकुनि पांडव और कुंति से मिलने जाते हैं। युधिष्ठिर को देख ज्येष्ठ पिता और माता उनसे आने का कारण और वारणाव्रत जाने की बात पूछते हैं। युधिष्ठिर वारणाव्रत जाने की बात कहते हुए अपने साथ चारों भाईयों और माता को भी साथ ले जाने का जिक्र करते हैं। ये बात सुन दुर्योधन काफी खुश होता है और कहता है इसमें पूछने वाली क्या बात है भ्राताश्री। ऐसे में हमारे अनुजों का जी बहलेगा…
Highlights
सुबह के एपिसोड में देख चुके हैं कि दुर्योधन अपने मामा शकुनि संग मिलकर पांडव के वरणाव्रत जाने और मृत्यु की साजिश रचते हैं। हालांकि पांडवों को दुर्योधन और शकुनि की चाल का पता चला जाता है और वे सकुशल बच निकलते हैं। अब...
दुर्योधन को ये समाचार मिल गया है कि वारणाव्रत में पांडवों की उनकी माता कुंती समेत मृत्यु हो गई है। इस समाचार को सुन दुर्योधन बहुत ज्यादा खुश होता है वहीं शकुनि अपने भांजे से कहता है कि आज उसका सपना पूरा हुआ अब दुर्योधन हस्तिनापुर का महाराज बनेगा क्योंकि इस सदमेे के बाद धृतराष्ट्र तो वनवास चले जाएंगे। हालांकि पांडव शकुनि और दुर्योधन की इस कूटनीति के बारे में जान गए थे और वारणाव्रत से सुरक्षित निकल गए थे। ऐसे मेें जब दुर्योधन उन्हें जीवित देखेगा तो उसको जोर का धक्का लगना तय है।
कर्ण दुर्योधन को समझाते हुए कह रहा है कि अब भी वक्त है और तुम पांडवों के साथ होने वाले गलत काम को रोक लो जिसपर दुर्योधन उससे कहता है कि वो किसी भी हालत में युधिष्टिर को युवराज बनते नही देख सकता। दुर्योधन कहता है कि मेरे मित्र मेैं तुम्हें हस्तिनापुर का युवराज बना सकता हूं लेकिन पांडू पुत्र को नही जिसपर कर्ण कहता है कि वो हर हाल में दुर्योधन का ही साथ दे चाहे जो है लेकिन आज के बाद वो कभी उससे राजपाठ की बात न करे।
गांधारी को लगातार इस बात का डर सता रहा है कि उसके पुत्र उससे दूर हो जाएंगे। गांधरी इस बात को लेकर काफी ज्यादा चिंतित है और वो धृतराष्ट्र से कह रही है कि उसे लगता है कि कुछ अनहोनी होने वाली है क्योंकि उसके सपने में आकर महादेव ने तांडव नृत्य किया है। धृतराष्ट्र उसे समझाने की कोशिश करता है कि कुछ गलत नही होगा लेकिन वो कुछ नही सुनती और रोती रहती है।
विदुर को दुर्योधन और शकुनि के इस राज का पता चल गया है और उसने गुप्तचर भेजकर पांडवों को खतरे की जानकारी दे दी है।
शकुनि ने जैसा चाहा था वैसा हुआ आखिरकार युधिष्ठिर अपने भाइयों के साथ वारणाव्रत में भगवान शिव के उत्सव में शामिल होने के लिए जाता है। जहां पर उसकी और दुर्योधन की चाल है कि जहां पर पांडव टहरे हैं वहां पर आग लगाकर उन्हें खत्म कर दिया जाएगा।
अंगराज कर्ण ने दुर्योधन और शकुनि का साथ देने से ये कहते हुए मना कर दिया कि वो उनका साथ नही देगा क्योंकि उसका काम युद्ध करना है पासा फेंकना नही। वहीं शकुनि कर्ण को दुर्योधन के प्रति उसकी मित्रता याद दिलाता है।
धृतराष्ट्र ने युधिष्ठिर से वारणाव्रत में भगवान शिव के उत्सव में शामिल होने के लिए कहा। महाराज की आज्ञा मानते हुए युधिष्ठिर ने तुरंत हामी भर दी। वहीं दुर्योधन ने युधिष्ठिर से कहा कि भ्राता श्री वहां पर आपके ठहरने की उचित व्यवस्था कर दी गई है।
अंधेरे में आक्रमण करने बहुत सोच समझ कर करना चाहिए। शकुनि भांजे से कहता है कि ना तो पिता नहीं माता को इस षड्यंत्र के बारे में पता चलना चाहिए..