कर्नाटक के कोडागु जिले के पोन्नमपेट में आयोजित एक शिविर में भाग लेने वाले बजरंग दल के कार्यकर्ताओं की तस्वीरें और वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे हैं, जिसमें कार्यकर्ताओं को हथियारों का कथित रूप से वितरण किया गया है। इसको लेकर चिंता जताई जा रही है। सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद लोग अब अपनी प्रतिक्रिया दे रहे हैं।
फोटो शेयर करते हुए पत्रकार मोहम्मद जुबेर ने लिखा कि ‘कर्नाटक में एक शैक्षिक संस्थान में एक सप्ताह के लिए हथियार वितरण और हथियार प्रशिक्षण शिविर आयोजित किया गया। वास्तव में जब उन्होंने बाहर मार्च निकाला तो पुलिस सुरक्षा थी। जी हां, वही राज्य जिसने कॉलेजों में हिजाब पर प्रतिबंध लगा दिया था।’ इस पर अभिनेत्री स्वरा भास्कर ने भी अपनी प्रतिक्रिया दी है।
स्वरा भास्कर ने ट्विटर पर जुबेर के ट्वीट पर प्रतिक्रिया देते हुए लिखा, “चाकू छुरी ठीक है पर हिजाब नहीं पहन सकते क्लास में”। इस पर लोग भी अपनी प्रतिक्रियाएं दे रहे हैं। आशुतोष दूबे नाम के यूजर ने लिखा कि ‘उम्र गुजर गई लेकिन अक्ल ना आई, कल से तुम ट्यूशन आया करो, पहले तुम्हें दल, संगठन और शैक्षणिक संस्थान के बीच फर्क समझाऊं। बार-बार फेल हो रहे हो, देखा नहीं जा रहा। ट्वीट करना है बस इसलिए ट्विट ना किया करो। लॉजिक तो रहना चाहिए।’
राज नाम के यूजर ने लिखा कि ‘कर्नाटक के उस हिस्से में सबसे जरूरी आत्मरक्षा, पहले उस हिस्से को समझें! हिंदू कभी भी आप पर, एकमात्र बचाव के अलावा हमला नहीं करते हैं।’ संदीप नाम के यूजर ने लिखा कि ‘कहने को हम सिर्फ 21वीं सदी और आधुनिक हिंदुस्तान की बात करते है, किंतु सोच 16वीं सदी को पिछाड़ रही है।’
विशाल मेहता नाम के यूजर ने लिखा कि ‘संविधान अधिकार देता है कि कोई कुछ भी पहन सकता है, हर कोई भी किसी भी धर्म को मान सकता है। भारत देश को आजादी इसीलिए दिलाई गई थी कि लोग आजादी से रह सके।’ निशांत शर्मा नाम के यूजर ने लिखा कि ‘ऐसा करिए मैडम आप हिजाब पहनना शुरू ही कर दीजिए, तभी तो देखेगा इंडिया तो बदलेगा इंडिया।’
रोहित सिंह नाम के यूजर ने लिखा कि ‘तुम्हें नहीं मालूम कुछ! विश्वगुरु ऐसे ही बना जाता है।’ निक्की नाम के यूजर ने लिखा कि ‘भाई वो स्कूल नहीं है और पहले से ही हथियार प्रशिक्षण कार्यक्रम है, इसका मतलब तुम सेना प्रशिक्षण पर इसी तरह की बयानबाजी करोगे’। प्रदीप पाठक नाम के यूजर ने लिखा कि ‘मुझे लगता हैं कि थोड़े दिन बाद तो आप खालिस्तान का भी पूरा समर्थन करोगे क्योंकि जेएनयू में आजादी के नारे खूब लगते थे और आज भी लगते हैं।’