तीन-चार वर्षों में हिंदी फिल्म निर्माता इसी कोशिश में लगे हैं कि पहले की तरह उनकी फिल्में 300-400 करोड़ का कारोबार करने लगें। इसी चक्कर में दक्षिण फिल्मों की अपार सफलता को देखते हुए बॉलीवुड निर्माताओं ने दक्षिण की रीमेक फिल्में बनानी शुरू कर दी। जिसके बाद कई रीमेक फिल्मों ने अच्छा कारोबार भी किया। और यहीं से ऐसी फिल्मों का दौर शुरू हो गया। शुरुआती दौर में रीमेक फिल्में सफल होने लगीं। जिसके चलते कई सारे निर्माताओं ने ऐसी फिल्में ही बनानी शुरू कर दी। यहां पर गलती ये हो गई की बॉलीवुड निर्माता उन्हीं फिल्मों का रीमेक बना रहे थे जो दक्षिण में सफल थीं। बॉलीवुड के पास अहम सवाल यह भी है कि उनकी आने वाली ऐसी फिल्मों का भविष्य क्या होगा…?
साउथ की रीमेक क्यों पिट रही हैं क्या कहते हैं फिल्म एक्सपर्ट?
फिल्म समीक्षक जोईता मित्रा सुवर्णा के अनुसार, ”मेरे ख्याल में सबका एक संतृप्ति बिंदु होता है आप कोई भी चीज बार-बार करेंगे तो वहां बोरियत महसूस होती है। दक्षिण की फिल्मों का रीमेक कोई नई बात नहीं है। यह आदान-प्रदान हर एक दशक में होता आया है। एक तो दक्षिण फिल्मों का ‘हिंदी संस्करण उपलब्ध होने के कारण अधिकतर दर्शक वह फिल्म देख चुके होते हैं तो यहां हिंदी में दर्शक कम हो जाते हैं। दूसरा दर्शकों के मन में एक सवाल यह भी उठता है कि बार-बार रीमेक क्यों? अपनी वास्तविक क्यों नहीं बना सकते। तीसरी बात दक्षिण और उत्तर की भावुकता में थोड़ा फर्क होता है ऐसे में अब हुबहू नकल थोड़ा मुश्किल है। इसलिए आने वाले दिनों में जो फिल्में आ रही है उन्हें निर्माताओं को सोच समझकर प्रदर्शन करने की जरूरत है। मंथन की जरूरत है। इसका उदाहरण हम अक्षय कुमार और कार्तिक आर्यन जैसे बड़े कलाकरों की फिल्में पिटते होते हुए देखकर समझ सकते हैं।”
फिल्म समीक्षक हर्षदा पाठक दक्षिण की रीमेक से बनी असफल फिल्मों को लेकर अलग राय रखती हैं। हर्षदा के अनुसार, ”बॉलीवुड लंबे समय से रीमेक फिल्में बनाता आया है। फिर चाहे वह हॉलीवुड हो, दक्षिण की फिल्म या कोई और भाषा की फिल्म। कहना गलत नहीं होगा कि दक्षिण की रीमेक कई फिल्में सफल हुई हैं। जैसे मुन्ना भाई एमबीबीएस, हाउसफुल, कबीर सिंह, दृश्यम ,वॉन्टेड ,गजनी, युवा, भूल भुलैया आदि लेकिन इसके पीछे वजह थी कि जब दक्षिण की फिल्में रीमेक होती थीं तो भले कहानी वही होती थी लेकिन फिल्म का पूरा निर्माण बहुत अलग होता था। हिंदी दर्शकों के हिसाब से बनाया जाता था। लेकिन आज निर्माता दक्षिण की चर्चित फिल्मों का रीमेक बना रहे हैं। लेकिन उसमें कोई अलग बदलाव नहीं होता। एक-एक सीन दक्षिण की फिल्म जैसा ही होता है। कलाकारों के अलावा फिल्म में सब कुछ ओरिजनल जैसा ही होता है। ऐसे में बॉलीवुड वाले दक्षिण का जो रीमेक बनाते हैं उसकी ओरिजनल फिल्म दर्शक पहले ही ओटीटी में देख चुके होते हैं। ऐसे में जब वास्तविक फिल्म देखी हो तो हूबहू वही फिल्म रीमेक में देखने में दर्शकों को दिलचस्पी नहीं होती। यहां तक कि गाने भी पुराने फिल्मों के ही डाल देते हैं। यही वजह है कि फिल्म में कुछ नया ना होने की वजह से बड़े सितारों की बड़े बजट की रीमेक फिल्में भी पिट रही हैं।
‘सेल्फी’ और ‘शहजादा’ दोनों हुईं फ्लॉप
अक्षय कुमार की ‘सेल्फी’ और कार्तिक आर्यन की ‘शहजादा’ की बॉक्स ऑफिस पर असफलता के बाद बॉलीवुड के कई सारे वे निर्माता जो रीमेक फिल्में बना रहे हैं वे घबरा गए हैं। जिसके चलते जहां कुछ निर्माताओं ने अपनी फिल्मों की तारीख आगे बढ़ा दी वहीं कुछ निर्माताओं ने फिल्म प्रदर्शन से पहले फिल्मों में और ज्यादा बदलाव शुरू कर दिया। सलमान खान की फिल्म ‘किसी का भाई किसी की जान’ के बारे में भी सुना जा रहा है कि सलमान खान इस फिल्म का संपादन खुद कर रहे हैं।
रीमेक के मामले में अजय देवगन हैं लकी
रीमेक के मामले में अजय देवगन भाग्यशाली साबित हुए हैं क्योंकि उनकी दक्षिण की रीमेक फिल्म ‘दृश्यम’ और ‘दृश्यम 2’ दोनों ही सफल रही हैं। जिससे अजय देवगन को ‘भोला’ से भी बहुत उम्मीदें हैं। इस साल अजय देवगन की दृश्यम 3 प्रदर्शित होने वाली है। ‘पुष्पा 2’, ‘कांतारा 2’ भी इसी साल प्रदर्शित होगी।
आने वाली रीमेक फिल्में
आदित्य राय कपूर की फिल्म ‘गुमराह’ दक्षिण की फिल्म ‘थाडम’ की रीमेक है। जोसफ की रीमेक सूर्या नाम से बन रही है। दक्षिण की फिल्म स्टार्टअप के रीमेक में अक्षय कुमार और राधिका मदान नजर आएंगे। ‘द ग्रेट इंडियन किचन’ के रीमेक फिल्म में सान्या मल्होत्रा नजर आएंगी। छत्रपति के रीमेक में दक्षिण के कलाकार बेल्लमकोंडा श्रीनिवास नजर आएंगे। अगर एक के बाद एक दक्षिण की रीमेक फिल्में पिटीं तो बॉलीवुड का बहुत बड़ा नुकसान हो जाएगा। ऐसे में बहुत जरूरी है कि कोई भी रीमेक फिल्म प्रदर्शित करने से पहले उस पर बहुत ज्यादा ध्यान दें।