ट्रैक्टर किसानों का टैंक, कार से नहीं चलता आंदोलन- राकेश टिकैत ने किसान आंदोलन को चलाने के लिए दिया नया फार्मूला
राकेश ने अपने पोस्ट में कहा- 'ट्रैक्टर किसानों का टैंक है। लंबी लड़ाई के लिए एक गांव, एक ट्रैक्टर 15 किसान और 10 दिन चाहिए, यह फार्मूला है। कारों से आंदोलन नहीं..

किसान नेता राकेश टिकैत ने किसान आंदोलन को लेकर दो ट्वीट किए हैं। अपने पोस्ट में राकेश टिकैत लिखते हैं कि ट्रैक्टर किसानों के टैंक हैं। फसलों के फैसले कोई और नहीं किसान करेगा। अपने ट्वीट्स में उन्होंने इस लड़ाई को जारी रखने का ‘फॉर्मुला’ भी बताया। राकेश ने अपने पहले पोस्ट में कहा- ‘ट्रैक्टर किसानों का टैंक है। लंबी लड़ाई के लिए एक गांव, एक ट्रैक्टर 15 किसान और 10 दिन चाहिए, यह फार्मूला है। कारों से आंदोलन नहीं चला करते।’
राकेश टिकैत ने एक और पोस्ट किया जिसमें उन्होंने लिखा- देश में अगला जो आंदोलन होगा उसमें कहीं बैरिकेडिंग नहीं होनी चाहिए, अगर होगी तो इसे तोड़ा जाएगा। फसलों के फैसले किसान करेगा। राकेश टिकैत के पोस्ट पर इस बीच ढेरों रिएक्शन सामने आने लगे। एक यूजर ने लिखा- राकेश टिकैत के खिलाफ बॉर्डर पर किसानों ने खोला मोर्चा, लेकिन मीडिया यह खबर आप तक नहीं पहुंचाएगा। कुछ दलाल मीडिया ने इस डकैत नेता को किसान मसीहा बना कर रखा है, असली किसान अपने खेतों में काम कर रहे हैं, इसकी तरह नेतागिरी नहीं कर रहे हैं।
एक ने लिखा- दूसरों को भड़काता है और खुद बिल में जाकर छुप जाता है। रंजीव जिंदल नाम के यूजर ने लिखा- आग लगाने के बाद मुकर न जाना। एक यूजर ने टिकैत को जवाब दिया- JNU से सटे मुनिरका गांव में JNU के अराजकतावादी #andolanjivis #FarmLaws के खिलाफ ग्रामीणों को भड़काने के लिए गए तो ग्रामीणों ने उन्हें बताया कि फार्म कानूनों में कुछ भी गलत नहीं है, तुम लोग गलत हो।
ट्रैक्टर किसानों का टैंक है। लंबी लड़ाई के लिए एक गांव, एक ट्रैक्टर 15 किसान और 10 दिन चाहिए, यह फार्मूला है। कारों से आंदोलन नहीं चला करते ।
— Rakesh Tikait (@RakeshTikaitBKU) March 5, 2021
नवीन पटेल नाम के शख्स ने लिखा- जितनी देर लगाओगे कि इतना सच ज्यादा सामने आएगा आप कांग्रेस के दलालों का। एक यूजर ने मजाकिया अंदाज में बुल्डोजर की तस्वीर शेयर कर कैप्शन में लिखा- ये भी लेकर आणी है के टिकैत सहाब जी।
रिंकू नाम के यूजर ने लिखा- सभी किसान भाईयो से मेरी विनती है कि जब तक हम किसानों की मांगे सरकार पुरी नहीं करती, तब तक अपने अनाज को मंडीयों में ना बेचें। हमारा आनाज मंडीयों में नहीं आयेगा तो व्यापारी खुद सरकार पे दबाव बनायेगा और इससे होगा यह की एक बड़ा जन आंदोलन उभर के आयेगा और बड़ी कामियाबी हम लोगों को मिल सकती है।
आदेश शर्मा नाम के यूजर ने लिखा- क्यो बे देश के खिलाफ युद्ध करना चाहता हैं? नवीन नाम का यूजर बोला-क्योंकि यह किसान कानून किसी के खिलाफ है ही नहीं। आप लोग राजनीति की रोटी इससे सेकना चाहते हो, यह तो सबको पता चल गया।