किसान आंदोलन के एक साल पूरे हो गए हैं। कई नाटकीय मोड़ देखने वाला ये आंदोलन अभी भी जारी है। कृषि कानून वापसी का ऐलान हो चुका है, लेकिन किसान सड़क पर डटे हुए हैं। सवाल यही है कि जब तीनों कृषि कानूनों की वापसी की प्रक्रिया शुरू हो गई तो किसान आंदोलन को लेकर अड़े क्यों हैं। इसको लेकर ‘न्यूज़18’ के वरिष्ठ पत्रकार अमिश देवगन ने भी भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता राकेश टिकैत से सवाल पूछा था।
अमिश देवगन ने सवाल किया था, ‘आपको लेकर इस देश की जनता के मन में कई सवाल है। मैं देश की तरफ से आपसे सवाल पूछना चाहता हूं कि देश के प्रधानमंत्री ने आपके हित में, किसानों के हित में, राष्ट्र के हित में काले कानूनों को वापस ले लिया। उसके बाद भी पहली प्रतिक्रिया आई कि ये आंदोलन बंद नहीं होगा, जारी रहेगा। तो इससे क्या समझा जाए?’ टिकैत ने इसके जवाब में कहा था, ‘उस समय भी हमारी 4 मांग थी। एमएसपी, तीन काले कानून, पराली और बिजली संशोधन बिल। जब दो पर हमारी सहमति हो गई तो आप लोगों ने भी हमें कहा था कि आप ऐसा क्यों कर रहे हो?’
राकेश टिकैत कहते हैं, ‘हमारी जब अंदर भी बात होती थी तो एक कानून पर सहमति नहीं बन पाई थी। हमने एमएसपी का मुद्दा रखा तो सरकार की तरफ से कहा गया कि बिल फाइनल होने के बाद ही एमएमसपी पर बात होगी। उस समय भी ये बात हुई थी कि एमएसपी पर कानून आना चाहिए। हमने कमेटी बनाने की मांग की थी। अन्य फैसले भी कमेटी में ही तय किये जाएंगे। हमारी आज भी बात हुई जो भी आंदोलन के दौरान केस हुए और जो लोग शहीद हुए, उसकी भी तो भारत सरकार बात करे।’
अमिश देवगन कहते हैं, ‘आंदोलन के दौरान 26 जनवरी वाली घटना हुई। इसमें कई पुलिसकर्मी हताहत हो गए थे। अगर हम पुरानी बातों को ही घेर कर रखेंगे तो आगे की बात नहीं कर पाएंगे। आपको नहीं लगता कि अब ये खत्म होना चाहिए?’ टिकैत ने जवाब दिया था, ‘हम तो खुद मांग कर रहे हैं कि समाधान निकलना चाहिए, लेकिन वो लोग तो बात करने के लिए तैयार ही नहीं है। सरकार बैठेगी तो हम अपनी बात रखेंगे। जो भी सरकार तय करेगी हम उसके बाद देखेंगे। लेकिन कुछ न्यूज़ चैनल वाले सरकार का टास्क आगे लेकर जाते हैं।’