उत्तर प्रदेश में जैसे-जैसे चुनाव नजदीक आ रहे हैं, सियासी हलचलें भी तेज होती चली जा रही हैं। चुनाव में किसान का मुद्दा भी काफी उभर कर सामने आ रहा है। खासकर लोग इस सवाल का जवाब तलाशने में लगे हुए हैं कि पश्चिमी यूपी का किसान आखिर किसे वोट देगा। इस सिलसिले में किसान नेता राकेश टिकैत से इंडिया टीवी के चुनावी मंच पर बातचीत की गई। किसान नेता से इंटरव्यू के दौरान न केवल उनका पक्ष जानने की कोशिश की गई, बल्कि किसानों से जुड़े कई मुद्दों पर भी चर्चा हुई।
किसान नेता राकेश टिकैत से न्यूज एंकर ने सवाल किया, “पश्चिमी उत्तर प्रदेश में सियासी पार्टियां चक्कर लगा रही हैं। क्या इस बार चुनाव के लिए आपने कोई पक्ष चुना है, जिसके लिए या जिसके खिलाफ आप प्रचार करेंगे?” उनकी बातों का जवाब देते हुए किसान नेता ने कहा, “13 महीनों का आंदोलन चलाने के बाद अगर किसी को यह बताना पड़े कि वोट किसे देना है तो इसका मतलब ट्रेनिंग कच्ची रही है।”
राकेश टिकैत की बात पर न्यूज एंकर ने कहा, “आप कुछ खुलकर बता दीजिए।” वहीं किसान नेता ने अपने जवाब में आगे कहा, “13 महीनों की ट्रेनिंग के बाद भी कोई पास नहीं हुआ तो धक्के से पास तो यहां होता नहीं। यहां तो ओरिजिनल रूप से पास होता है।” किसान नेता की बात पर सवाल करते हुए न्यूज एंकर ने कहा, “मतलब आप कह रहे हैं कि आप भाजपा के खिलाफ हैं?”
वहीं किसान नेता ने अपनी बात को बढ़ाते हुए आगे कहा, “देश में 13 महीने आंदोलन चला और उसके बाद भी यह बताना पड़ेगा कि आंदोलन क्यों चला? उसमें ग्रेस मार्क्स देकर उसे पास करना पड़ा तो मतलब पढ़ाने वाले कमजोर हैं।” राकेश टिकैत ने न्यूज एंकर को आड़े हाथों लेते हुए कहा, “अध्यापक आप लोगों की तरह नकल नहीं करवाते कि पहले सवाल दे दिये और फिर उनसे सवाल पूछेगा।”
राकेश टिकैत की बात पर न्यूज एंकर ने उनसे सवाल किया, “इसके बाद लोग कहेंगे कि आंदोलन तो केंद्र के खिलाफ था, लेकिन चुनाव यूपी में है?” इसका जाब देते हुए किसान नेता ने कहा, “हम क्या कुछ कह रहे हैं। आधे दाम में फसलें बेचकर जिसे वोट जहां देना है वहां पर दे सकता है।”