बॉलीवुड एक्टर राज कपूर ने अपनी फिल्मों और अपने अंदाज से हिंदी सिनेमा में जबरदस्त पहचान बनाई है। राज कपूर को हिंदी फिल्मों का ‘शो मैन’ भी कहा जाता था। 2 जून, 1988 को राज कपूर ने इस दुनिया को अलविदा कह दिया था। उनके निधन से बॉलीवुड इंडस्ट्री को काफी झटका लगा था। यूं तो उनके अंतिम संस्कार में परिवारजनों के साथ-साथ कई बॉलीवुड सितारे भी शामिल हुए थे। लेकिन उनके छोटे बेटे राजीव कपूर ही उनके अंतिम संस्कार में शामिल नहीं हो पाए थे।
राजीव कपूर ने पिता से जुड़ी इस बात का खुलासा खुद सिनेस्तान को दिए इंटरव्यू में किया था। राजीव कपूर ने बताया था कि वह अपने करियर को लेकर भी अपने पिता को ही जिम्मेदार ठहराते थे और उनसे बेहद नाराज भी रहते थे।
दूसरी तरफ राजीव कपूर ने ‘सिनेस्तान डॉट कॉम’ को एक इंटरव्यू दिया था, तब उन्होंने बताया था कि वो करियर में कामयाब क्यों नहीं हो पाए थे। उन्होंने कहा था ‘मेरे करियर के बारे में बताऊ तो ‘राम तेरी गंगा मैली’ मेरे करियर की सबसे अच्छी फिल्म थी। बाकी फिल्में इतनी अच्छी नहीं रही। उस समय सब मुझे शम्मी कपूर की तरह प्रोजेक्ट करना चाहते थे, क्योंकि मैं बिलकुल उनकी तरह ही दिखता था। अगर फिल्में ठीक काम करती है तो बात अलग होती हैं। मैंने कुछ ही अच्छी फिल्में की हैं, उन फिल्मों का म्यूजिक काफी अच्छा था।
वहीं खबरें तो ये भी आईं थी कि राजीव कपूर ने गिरते हुए करियर ग्राफ के लिए पिता राज कपूर को ही जिम्मेदार ठहराया था। राजीव अपने पिता से इतने नाराज थे कि उन्होंने उनसे बात करनी भी छोड़ दी थी। वहीं उनकी नाराजगी इतनी थी कि वो पिता के अंतिम संस्कार में भी शामिल नहीं हुए थे।
साल 1983 में राजीव कपूर की पहली फिल्म ‘एक जान हैं हम’ आई थी, जो उनके पिता ने बनाई थी। लेकिन ये फिल्म बॉक्स ऑफिस पर जबरदस्त तरीके से फ्लॉप हुई थी। इस फिल्म के बाद राज कपूर ने राजीव के लिए ‘राम तेरी गंगा मैली बनाई’, जो एक सुपरहिट फिल्म साबित हुई।
लेकिन राजीव कपूर की किस्मत इतनी खराब थी कि इस फिल्म के हिट होने का पूरा श्रेय अभिनेत्री मंदाकिनी को चला गया था। इसके बाद राजीव ने पिता राज कपूर से कहा था कि मजबूत किरदार के साथ उनके लिए एक फिल्म बनाएं। लेकिन उनके पिता ने उनके साथ फिल्म बनाने से साफ मना कर दिया था। जिसके बाद दोनों के बीच कड़वाहट पैदा हो गई।