बॉलीवुड के पहले सुपरस्टार राजेश खन्ना (Rajesh Khanna) के पास सब कुछ था। वह जो चाहते थे पा लेते थे। अपने जीवन में नाम, दौलत, शौहरत उन्हें सब कुछ हासिल हुआ। जीवनभर उनके नाम के आगे सुपरस्टार लगा रहा। लेकिन फिर भी काका की दो ऐसी ख्वाहिशें थीं जो पूरी न हो सकीं। दरअसल, ये दो ख्वाहिशें थीं पहली उनका ‘आशीर्वाद’ बंगला कभी न बिके और उनके मरने के बाद वह म्यूजियम में बदल जाए। वहीं काका की दूसरी ख्वाहिश थी कि वह उत्तराखंड, हरिद्वार में एक घर बनाना चाहते थे।
राजेश खन्ना के बेहद करीबी दोस्त भूपेश रसीन ( Bhupesh Raseen) इस बारे में खुद बताते हैं। भूपेश एक ऐसी शख्सियत हैं जो राजेश खन्ना के अंतिम समय तक उनके साथ रहे थे। वह बताते हैं कि काका जितना जिए वह किसी राजा की तरह जिए ( Lived His Life King’s Size)। काका के डीएनए में ही सुपरस्टार वाली बात थी। वह दुनिया से बिलकुल अलग थे।
ईटाइम्स के मुूताबिक, भूपेश ने बताया- ‘सिगरेट और शराब को छुड़वाने के अलावा मैं एक काम और नहीं कर पाया, और वह है काका को हरिद्वार में जमीन नहीं दिला पाया। काका के मन में ये चाह थी कि हरिद्वार में उनका घर हो।’
बता दें, सुपरस्टार राजेश खन्ना मुंबई में अपने बंगले ‘आशीर्वाद’ से भी बहुत प्यार करते था। इस बंगले को उन्होंने राजेंद्र कुमार से साढ़े 3 लाख रुपए में खरीदा था। इस बंगले से काका को इतना प्यार था कि इसे वह कभी भी बेचना नहीं चाहते थे।
राजेश खन्ना की ये ख्वाहिश थी कि उनके जाने के बाद इस बंगले को म्यूजियम में तब्दील कर दिया जाए। लेकिन ऐसा हो न सका। राजेश खन्ना ने अपनी सक्सेस इस बंगले के साथ देखी, राजेश खन्ना की जिंदगी में कई बार खुशियों के मौके आए जब उन्होंने इस बंगले की चार दीवारी में ही वह खुशियां सेलिब्रेट कीं। ‘उनका नामोनिशान मिटा देना चाहते हैं लोग!’ अपने बंगले को नहीं बेचना चाहते थे राजेश खन्ना, ये थी काका की आखिरी ख्वाहिश