भारतीय महिला बॉक्सर निकहत जरीन ने गुरुवार को इतिहास रच दिया। उन्होंने वर्ल्ड बॉक्सिंग चैम्पियनशिप में गोल्ड मेडल जीतकर देश नाम का रोशन किया तो लोगों ने जमकर बधाईयां दी हैं। हालांकि जब वरिष्ठ पत्रकार राजदीप सरदेसाई ने निकहत जरीन को बधाई दी तो उन्होंने साथ में उन लोगों पर भी तंज कसा दिया जो उन्हें ट्रोल करते रहते हैं। इस पर अशोक पंडित ने जवाब दिया है।
राजदीप सरदेसाई ने ट्विटर पर लिखा कि “निजामाबाद की एक युवा महिला उन सभी छद्म राष्ट्रवादियों की तुलना में भारतीय गौरव और सम्मान के लिए बड़ा कार्य किया है, जो अल्पसंख्यकों के खिलाफ अपने शातिर बयानों से मेरी टाइमलाइन को गन्दा करते हैं। वर्ल्ड बॉक्सिंग चैंपियनशिप में गोल्ड जीतने पर निकहत जरीन को सलाम।” राजदीप सरदेसाई के इस ट्वीट पर फिल्ममेकर अशोक पंडित ने जवाब दिया है।
अशोक पंडित ने जवाब देते हुए ट्विटर पर लिखा कि ‘बधाई देते वक्त तो कम से कम जहर मत उगलो! खुशी का इजहार करते वक्त तो कम से कम खुश रहो!’ सोशल मीडिया पर और भी लोग इस खबर अपनी प्रतिक्रियाएं दे रहे हैं। मुकेश शर्मा नाम के यूजर ने लिखा कि ‘सब इनकी सच्चाई जान चुके हैं सर क्योंकि स्पोर्ट्स का धर्म होता है और आतंकवाद का नहीं, ये सिर्फ यही कह सकते हैं।’
महेश नाम के यूजर ने लिखा कि ‘आदत से मजबूर हैं, क्या करें? दिन मे 2-4 बार जब तक ट्रोल नहीं होते, मजा नहीं आता होगा।’ माही सिंह नाम की यूजर ने लिखा कि ‘आप इसमें धर्म क्यों देखते हैं? मैं आपको बता दूं कि एक सैनिक और एक खिलाड़ी का कोई धर्म नहीं होता। वो सिर्फ अपने देश के लिए खेलता है और देश उनका सम्मान करता है।’ युगल किशोर नाम के यूजर ने लिखा कि ‘बॉक्सर के खिलाड़ी का धर्म ढूंढ लिया मगर आतंकवादियों का धर्म अभी तक पता नहीं चला।’
पद्मजा नाम की यूजर ने लिखा कि ‘निकहत जरीन और मेरी कॉम दोनों “अल्पसंख्यक टैग” के बिना भारत का प्रतिनिधित्व करते हैं, वे अन्य सभी भारतीय खिलाड़ियों की तरह प्रशिक्षण प्राप्त करते हैं। किसी भी तरह से धार्मिक एंगल पैदा करना, खराब रिपोर्टिंग है।’ जेमित गुप्ता नाम के यूजर ने लिखा कि ‘स्वर्ण पदक से ज्यादा आपको उसके नाम में दिलचस्पी है, भारतीय जीता है और हम इसके लिए बधाई देते हैं। कब तक ये अल्पसंख्यक वाला प्रोपोगंडा चलेगा भाई?’
बता दें कि निकहत जरीन का जन्म 14 जून 1996 को तेलंगाना के निजामाबाद में हुआ था। पिता मोहम्मद जमील अहमद और माता परवीन सुल्ताना हैं। निकहत के पिता मोहम्मद जमील ने द इंडियन एक्सप्रेस को बताया, ‘विश्व चैंपियनशिप में स्वर्ण जीतना एक ऐसी चीज है जो मुस्लिम लड़कियों के साथ-साथ देश की हर लड़की को जीवन में बड़ा लक्ष्य हासिल करने के लिए प्रेरणा का काम करेगी।’