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अंग्रेजी पर लट्टू हैं हिंदी फिल्मों के निर्माता

अंग्रेजी का यह मोह बाकी की चार प्रादेशिक भाषाओं में नहीं सिर्फ हिंदी में है।

अंग्रेजी पर लट्टू हैं हिंदी फिल्मों के निर्माता

क्‍या ‘आरआरआर’ पढ़-सुन कर कोई समझ सकता है कि इसका क्या मतलब है? यह जूनियर एनटीआर, रामचरन, अजय देवगन और आलिया भट्ट की आगामी फिल्म का नाम है, जिसे ‘बाहुबली’ जैसी हिट फिल्म देने वाले राजमौलि बना रहे हैं। अंग्रेजी शीर्षकों को लेकर बालीवुड का मोह पुराना है। इस साल ओटीटी प्लेटफार्म पर रिलीज हुर्इं ‘नेल पालिश’ या ‘स्विच’ जैसी फिल्मों में भी इसे देखा गया है। वैश्विक पहुंच होने के कारण ओटीटी पर फिल्मों के अंग्रेजी नाम का चलन है। बीते कुछ सालों से हिंदी फिल्मों को दुनिया में नए बाजार मिलने से यह चलन बढ़ता जा रहा है। इसी की कड़ी है पांच भाषाओं में बन रही ‘आरआरआर’।

अगर कागज पर ‘नेल पालिश’, ‘कागज’, ‘स्विच’, ‘बेलबाटम’ लिख दिए जाएं और लोग उन्हें पढ़ें तो क्या समझेंगे? ये ऐसे शब्द हैं जिनको पढ़कर हर आदमी के मन में अलग-अलग तरह के विचार आएंगे पर कोई एक जैसी तस्वीर नहीं उभरेगी। अगर इन्हीं शब्दों को किसी फिल्म के पोस्टर पर लिख दिया जाए तो! ऐसा हुआ है और इसी साल हुआ है। बालीवुड में ‘कागज’, ‘नेल पालिश’, ‘स्विच’, ‘बेलबाटम’ जैसे नाम से फिल्में बनीं, रिलीज हुर्इं मगर जल्दी ही दर्शकों के दिमाग से बाहर हो गर्इं।

फिल्मों के नाम के साथ अंग्रेजी में उसका अर्थ बताने का चलन शाहरुख खान की पहली फिल्म ‘दीवाना’ के निर्देशक राज कंवर की 1999 की फिल्म ‘दाग- द फायर’ से शुरू हुआ था। फिल्मों के नाम में प्रयोग तो इन दिनों धड़ल्ले से चल रहा है। यह कभी कामयाब होता है, कभी नहीं। मगर फिल्म का एक ठीकठाक नाम इस कारोबार में हमेशा जरूरी रहा है। जिन अक्षय कुमार की ‘सूर्यवंशी’ दुनिया भर में एक महीने में 300 करोड़ का धंधा करती है, उन्हीं की अंग्रेजी नामधारी ‘बेलबाटम’ का पहले दिन का धंधा मात्र पौने तीन करोड़ रुपए था। कारोबार की इस कमजोरी में फिल्म के नाम का भी अपना हाथ है। फिल्मों के शीर्षकों में प्रयोग का एक उदाहरण अगले साल तब देखने को मिलेगा जब ‘आरआरआर’ रिलीज होगी। ‘बाहुबली’ जैसी भव्य फिल्म बनाने वाले कोदुरी श्रीशैल श्री राजमौलिकी ‘आरआरआर’ मूल तेलुगु में बनी है और हिंदी, तमिल, कन्नड़, मलयालम में डब करके एक ही नाम से रिलीज की जाएगी।

‘बाहुबली’ ने हिंदीभाषी क्षेत्रों में कमजोर कारोबार किया था क्योंकि उसमें हिंदी फिल्मों का कोई जानामाना कलाकार नहीं था।राजमौलि ने ‘आरआरआर’ में अजय देवगन और आलिया भट्ट को जोड़कर यह कमी पूरी की है। मगर फिल्म का नाम! तेलुगु में इसका नाम होगा ‘रूद्रम रणम रुधिरम’, तमिल में ‘रत्नम रणम रौधिरम’, कन्नड़ में ‘रौद्र, रण रुधिर’, मलयालम में ‘रुधिरम, रणम रौद्रम’ और हिंदी में ‘राइज रोवर रिवोल्ट’…हिंदी में फिल्मों के पोस्टरों से देवनागरी लिपि गायब हो चुकी है इसलिए नाम होगा ‘राइज, रोअर, रिवोल्ट…’ यानी फिल्म हिंदी में नाम अंग्रेजी में।

अंग्रेजी का यह मोह बाकी की चार प्रादेशिक भाषाओं में नहीं सिर्फ हिंदी में है। फिल्म का नाम ‘आरआरआर’ प्रयोग के लिहाज से चाहे अच्छी कलाबाजी हो मगर ‘आरआरआर’ नाम से दर्शक यह कैसे यह अनुमान लगाएंगे कि फिल्म आजादी से पहले के क्रांतिकारी नायकों की कहानी बताने जा रही है। ऐसे नायक जिन्होंने अंग्रेजों और हैदराबाद के निजाम के खिलाफ बगावत का बिगुल फूंका था।

बालीवुड को ‘हिंदी की खाने, अंग्रेजी की गाने’ का उलाहना खूब मिलता रहा है। यह चलन पुराना है। इस साल ‘नेल पालिश’, ‘स्विच’, ‘12 ओ क्लाक’, द पावर’, ‘ट्यूजडे एंड फ्राइडे’, ‘द गर्ल आन द ट्रेन’, टाइम टू डांस’, ‘मुंबई सागा’ रिलीज हुर्इं तो आने वाले दिनों में ‘अटैक’, ‘रनवे 34’, ‘हिट’, ‘नो मींस नो’, ‘थैंक गाड’ जैसी फिल्में देखने को मिलेंगी।

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First published on: 17-12-2021 at 02:02 IST
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