‘अमिताभ बच्चन से संसद में मिले…मेरे फादर बहुत झूठ बोलते थे’, Nawazuddin Siddiqui ने सुनाया मजेदार किस्सा
नवाजुद्दीन ने बताया कि उन्हें एक्टर बनने के लिए किस चीज ने सबसे ज्यादा उकसाया। नवाजुद्दीन बताते हैं कि उनमें ये बदलाव उनके पिताजी की वजह से आया। नवाज बताते हैं कि उनके पिताजी काफी झूठ बोलते थे

बॉलीवुड एक्टर नवाजुद्दीन सिद्दीकी ने एक्टर बनने के लिए काफी स्ट्रगल किया है। दिल्ली से लखनऊ फिर दिल्ली और मुंबई के चक्कर काटे औऱ आखिरकार मुंबई में आकर नवाजुद्दीन ने अपनी खास पहचान बना ही ली। नवाजुद्दीन ने बताया कि उन्हें एक्टर बनने के लिए किस चीज ने सबसे ज्यादा उकसाया। निलेश मिश्रा के वेब चैट शो में नवाजुद्दीन बताते हैं कि उनमें ये बदलाव उनके पिताजी की वजह से आया। नवाज बताते हैं कि उनके पिताजी काफी झूठ बोलते थे, जिस वजह से उन्होंने सोचा कि वह पक्का ऐसे तो नहीं बनेंगे। वहीं एक किस्सा उन्होंने शेयर किया जिससे उनके मन में ललक जागी कि लोग उन्हें पहचानें।
नवाजुद्दीन सिद्दीकी ने कहा- ‘मेरे फादर बहुत झूठ बोलते थे औऱ उनके झूठ मैं पकड़ लेता था। तो मैं सोचता था कि ऐसा तो नहीं होना मुझे। उनका आखिरी तक ऐसा ही रहा। एक बार मैंने उन्हें कहा कि मैं जब बंबई आ गया था तो मैंने अपने पिताजी से कहा कि मैं बलगारिया जा रहा हूं, दुबई जा रहा हूं। तो मेरे पिताजी बोले, मैं तो होकर आया हूं वहां। मैंने पूछा आप कब गए थे। तो बोले गया था मैं- बहुत ठंड होती है वहां।’
नवाज ने आगे बताया- ‘बच्चन साहब जब एमपी बने थे तो पिताजी बोले एक बार कि वह भी मिले थे अमिताभ बच्चन से। मेरे पिताजी झूठ बोल बोल के दिल्ली जाते थे, वो मुझे आज तक नहीं पता वो क्यों जाते थे। एक दिन हमारे यहां पॉलिटिक्स की बात हो रही थी तो पिताजी बोले – गयाथा मैं पार्लियामेंट, आज बच्चन भी मिला मुझे। मैंने कहा अरे खय़ाल नहीं रख रहे आप अपना मोटे हो रहे हैं। तो अमिताभ बोले- अऱे भाई नवाबक्या बताएं आजकल इतना ज्यादा बिजी चल रहे हैं क्या बताएं सेहत का खयाल क्या रख पाएंगे। तो मैंने अपने पिताजी से पूछा कि आप उन्हें ऐसे बोले। आप सबको जानते हैं वहां तो वो बोले हां।’
नवाज ने आगे बताया -‘इन झूठ से मैं अपने पिता को हीरो समझने लगा। पोल उनकी तब खुली जब हम दिल्ली गए। मैं उनके साथ जा रहा था बसअड्डे पर उतरे तो उन्होंने कहा चलो खाना खालेते हैं रेस्टोरेंट में। जब हम रेस्टोरेंट गए तो वहां मेरे पिता का वेटर से पंगा हो गया औऱ वो वेटर गालियां दिए जाए। मैं सोचूं कि मेरे पिता कुछ कर क्यों नहीं रहे। गालियां खा रहे हैं। ये तो हीरो हैं इनकी कहां कहां तक पहुंच हैं और ये दब्बू की तरह चुप क्यों हैं। तब पिताजी बोले अरे कौन इनके मुंह लगेगा बदतमीज लोग हैं। तम मुझे अहसास हुआ कि पोल खुल गई। इस वजह से ये हुआ कि उनके झूठ ने मेरे अंदर एक कॉन्फिडेंस भर दिया।’