तीस्ता सीतलवाड़ को गुजरात एंटी टेरेरिस्ट स्क्वॉड ने गिरफ्तार कर लिया। तीस्ता पर आपराधिक साजिश रचने, धोखाधड़ी और 2002 के गुजरात दंगों में बेगुनाहों को फंसाने के लिए अदालत में फर्जी सबूत पेश करने का आरोप है। सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी के बाद गुजरात पुलिस ने तीस्ता सीतलवाड़ पर कार्रवाई की है।
इस पर लेखक जावेद अख्तर ने कहा है कि “गुजरात पुलिस भी कमाल है। जिस कागज पर फैसला लिखा गया था उस पर स्याही नहीं सूखी थी और वे तीस्ता के घर पर थे और सही कानूनी भाषा में आरोपों की एक लंबी सूची थी। मानो उनकी छठी इंद्रियों ने उन्हें फैसला सुनाए जाने से बहुत पहले ही सब कुछ बता दिया हो।”
लोगों की प्रतिक्रियाएं: पूर्णिमा नाम की यूजर ने लिखा कि ‘आपको यह बात अच्छी नहीं लगी कि सीतलवाड़ को एक दिन में गिरफ्तार कर लिया गया या ये बात अच्छी नहीं लगी कि उन्हें गिरफ्तार कर लिया.. क्लियर करो।’ एक यूजर ने लिखा कि ‘क्या आप भारत के सर्वोच्च न्यायालय पर संदेह कर रहे हैं? सावधान रहें, आप कोर्ट की अवमानना कर सकते हैं।’
दिनेश चावला ने लिखा कि ‘अगर वो गलत नहीं तो आज नहीं तो कल बेकसूर साबित हो ही जाएंगी। मोदी जी को भी तो बीस साल लग गये और अगर वो गलत हैं तो फिर कार्रवाई होनी ही चाहिए। अब इस बात से क्या फर्क पड़ता है कि कार्रवाई आज हुई या कल?’ एक यूजर ने लिखा कि ‘आपको खुश होना चाहिए कि पुलिस इतनी अच्छी है। मूवी में तो पुलिस को काफी लचर दिखाया जाता है, देर से कार्रवाई करती है। रियल लाइफ में पुलिस तो अलग ही है।’
माही सिंह नाम की यूजर ने लिखा कि ‘आपका दर्द हम समझ सकते हैं लेकिन आपको बता दें कि अगला नंबर आपका भी हो सकता है।’ जय वर्मा ने लिखा कि ‘आखिर इतनी छटपटाहट क्यों है अख्तर जी?’ डीएस राठोर ने लिखा कि ‘ये कोई फिल्म नहीं जिसमे पुलिस देर से ही आनी चाहिए। काम करे तो समस्या, ना करे तो समस्या।आप ही क्यों नहीं बताते कि काम कैसे करना है।’
बता दें कि तीस्ता सीतलवाड़ पेशे से एक पत्रकार हैं जो पद्म श्री पुरस्कार से सम्मानित भी हो चुकी हैं। उन्होंने 2002 के गुजरात दंगों के बाद एनजीओ सिटीजन फॉर जस्टिस एंड पीस की शुरुआत की थी। सीतलवाड़ ने गुजरात दंगों के मामले में पीएम मोदी के खिलाफ एफआईआर करने की भी मांग की थी।