एक्ट्रेस हुमा कुरैशी का मानना है कि सिनेमा में महिला कलाकारों के लिए यह एक रोमांचक समय है। ‘गैंग्स आफ वासेपुर’, ‘बदलापुर’, ‘मोनिका’, ‘ओ माय डार्लिंग’ और ओटीटी शो ‘लीला’ और ‘महारानी’ जैसी फिल्मों के लिए पहचानी जाने वाली हुमा के मुताबिक, एक्ट्रेसेज अब अच्छे किरदार निभाने की इच्छुक हैं। हाल के वर्षों में, हम ऐसी (महिला केंद्रित) फिल्में अधिक देख रहे हैं, नया शब्द महिला प्रधान फिल्में हैं। मेरे लिए, यह महिला प्रधान फिल्में नहीं हैं जो सशक्तिकरण की भावना पैदा कर रही हैं। आज, जब मैं एक पटकथा पढ़ती हूं, तो लड़की का चरित्र सिर्फ नायक की यात्रा में योगदान नहीं दे रहा है या कोई युद्ध नायक के घर लौटने की प्रतीक्षा नहीं कर रहा है। बल्कि, हम सोचते हैं कि एक लड़की सीमा पर क्यों नहीं जा सकती है? इसलिए, जिस तरह से हम कहानियों को लेकर आ रहे हैं, कहानी कहने का तरीका बदल गया है। मेरे कई अन्य सहयोगी हैं, जो कह रहे हैं कि हमें करने के लिए और कुछ दें।
36 साल की हुमा कुरैशी महिलाओं को सशक्त बनाने में मीडिया और मनोरंजन की भूमिका पर एक पैनल चर्चा में भाग ले रही थीं। यह बातचीत नेटफ्लिक्स और राष्ट्रीय महिला आयोग द्वारा आयोजित एक स्पेशल सेगमेंट ‘हर स्टोरी, हर वॉइस’ का हिस्सा थीं।
हुमा ने कहा कि आलिया भट्ट की डार्लिंग्स और तापसी पन्नू की थप्पड़ उनकी हाल की कुछ पसंदीदा फिल्में हैं जिन्होंने कहानी कहने के मामले में रूढ़िवादिता को तोड़ा है। जब मैंने उस फिल्म (थप्पड़ ) को देखा , तब लगा कि काश मैंने वह फिल्म की होती, लेकिन तापसी ने बहुत अच्छा काम किया और अनुभव (सिन्हा, निर्देशक) सर ने एक खूबसूरत फिल्म का निर्देशन किया।
हुमा ने कहा कि एक ऐसे देश में जहां घरेलू हिंसा के बारे में बात करना और लड़ना काफी प्रचलित है, अपने आप में एक थप्पड़ है और हम जानते हैं कि पारंपरिक नाट्य व्यवसाय कैसे चलता है, जैसे कि इस फिल्म को कौन देखेगा?
एक अभिनेत्री के रूप में, कभी-कभी, आपको कुछ ऐसा करने के लिए दिया जाता है जो समस्याग्रस्त होता है और यह एक व्यक्तिगत पसंद है। मैं एक दृष्टिकोण प्रस्तुत कर रही हूं। दिल्ली में जन्मी अभिनेत्री ने सुरक्षित वातावरण बनाने के लिए कार्यस्थलों पर महिलाओं के अधिक प्रतिनिधित्व के महत्त्व पर भी बात की। उन्होंने कहा, हमें मजबूत, शक्तिशाली महिलाओं की जरूरत है।