90 के दशक के सुपरस्टार गोविंदा के लाखों दीवाने थे। इनमें कॉलेज गोइंग लड़कियों की अच्छी-खासी तादाद थी। उस दौर में गोविंदा का डांस खूब चर्चित हुआ करता था। गोविंदा अपने करियर में बहुत अच्छा कर रहे थे। इस बीच उनकी शादी हो गई। हालांकि उन्होंने सालभर तक किसी से यह बात साझा नहीं की। उन्हें डर था कि कहीं शादी के बाद उनका करियर खराब न हो जाए।
खुद गोविंदा ने इस बात का खुलासा किया था। सिमी ग्रेवाल के शो में गोविंदा अपनी पत्नी सुनीता के साथ पहुंचे थे, जहां उन्होंने खुद अपनी लव स्टोरी से जुड़ी तमाम बातें साझा की थी। इसी बातचीत के दौरान गोविंदा की पत्नी सुनीता ने बताया था कि वो गोविंदा को लव लेटर लिखा करती थीं और उनका भाई उनके लिए पोस्टमैन का काम किया करता था। एक बार गोविंदा की मां ने उनका लेटर पकड़ लिया था।
गोविंदा की मां ने पहले ही पसंद कर रखी थी बहू: गोविंदा बताते हैं कि उनकी मां ने ही सुनीता को उनके लिए पसंद किया था। गोविंदा बताते हैं कि मां ने कहा था- तुम मेरा भरोसा करो और इसी से शादी करो। लेकिन हमने शादी बड़े गुपचुप तरीके से की थी। उस जमाने में कुछ लोगों ने मुझे डरा दिया था कि लड़कियां तुमको लेटर्स लिखती हैं, मरती हैं और अगर उन्हें तुम्हारी शादी का पता चल जाएगा तो क्या होगा फिर? फैन फॉलोइंग न खराब हो, इसीलिये मैंने गुपचुप शादी की थी।
शादी की बात साल भर तक नहीं आई सामने: गोविंदा बताते हैं कि हमने साल भर तक शादी की बात छिपाए रखी थी। गोविंदा की पत्नी ने बताया तब तक उनकी बेटी भी हो चुकी थी। इस बीच ऐसा भी होता था कि हम कभी ठीक से बाहर घूमने नहीं गए। गोविंदा ने बताया था- कभी कभी बाहर जाया करते थे, जब कोई देख लेता था तो मैं इधर उधर भाग जाया करता था। मुझे ऐसा लगता था कि ये शायद किसी का भेजा हुआ है और मेरा करियर खराब कर देगा। करियर उस वक्त मेरे लिए एक गुड़िया बन गई थी, जिसे मैं हाथ में पकड़े रहता था, ताकि कोई छीन न ले मुझसे।
सुनीता ने नहीं माना कभी बुरा, निभाया पत्नी धर्म: सुनीता बताती हैं कि उन्हें कभी इस बात का बुरा नहीं लगा कि वह कभी भी कपल के तौर पर खुलकर सामने नहीं आए या शादी के सालभर तक किसी को खबर नहीं होने दी।उन्होंने बताा- ‘उस वक्त तक मैं काफी छोटी थी, तो मुझे समझ नहीं आता था। न इतना सोचती थी।’ गोविंदा बताते हैं कि ‘सुनीता में एक अच्छी खूबी रही है जो मेरी मां भी हमेशा बोलती थीं। वो ये कि चंद लोगों को दुख खा जाता है और चंद लोग दुख को खा जाते हैं… ये भी एक कला है। जिसे सुनीता ने अच्छे से निभाया है।’