विषय , बजट और गुणवत्ता की भी कोई सीमा नहीं रही। इधर, इस माह की शुरुआत में मुखबिर, धारावी बैंक और आर बाल्कि की फिल्म चुप ने ओटीटी के दर्शकों को विविध रंग, विविध आस्वाद प्रदान किए हैं।
मुखबिर : जासूस की कहानी
जी फाइव पर प्रसारित मुखबिर : द स्टोरी आफ ए स्पाई: पाकिस्तान भेजे गए एक भारतीय जासूस की दिलचस्प काल्पनिक कहानी है। सच्ची घटनाओं से प्रेरित मलयकृष्ण धर के उपन्यास मिशन टू कश्मीर : एन इंटेलिजेंट एजेंट इन पाकिस्तान पर आधारित वेब सीरीज मुखबिर में निर्माता ने बजट की परवाह न करते हुए वास्तविक लोकेशन और उम्दा कलाकारों के इस्तेमाल में समझौता नहीं किया।
कश्मीर के पाक सीमा स्थित पहाड़ी गांवों-कस्बों को पाकिस्तानी और भारतीय दोनों के लिए लिया गया। वेब शृंखला स्पेशल आप्स का निर्देशन कर चुके शिवम नायर ने जयप्रद देसाई के साथ मुखबिर को खूबसूरती से निर्देशित किया है। कहानी में रोमांच और रोचकता बनाए रखने के ईमानदार प्रयास किए हैं। साठ के दशक के संचार साधन की कमी वाले समय के कथानक के साथ, खासकर यह दिखाने की कोशिश की गई है कि भारतीय जासूस अपने देश के लिए किस कदर समर्पित होकर खतरे से खेलने को तैयार रहते थे।
मशहूर अभिनेता प्रकाश राज के साथ, जासूस की मुख्य भूमिका कर रहे जेन खान दुर्रानी के अलावा,आदिल हुसैन, सुनील शानबाग और छोटे लेकिन महत्त्वपूर्ण किरदार में रंगकर्मी श्रीराम जोग ने भी प्रभावित किया।
धारावी बैंक : दबंग के आतंक पर प्रहार
किसी जमाने में मुंबई महानगर में पैर पसारे अंडरवर्ल्ड दबंगों की कहानियों को सिनेमा वालों ने कई सारी फिल्मों में प्रयुक्त किया। यह भी कहा जाता रहा कि आम जन में अपने वर्चस्व के लिए खुद दबंग इन फिल्मों के निर्माण में हिस्सेदार हुआ करते थे। लेकिन अब जबकि इस तरह के आतंक की लगभग समाप्ति हो चुकी है।
मुंबई की सबसे बड़ी झुग्गी बस्ती मानी जाने वाले धारावी इलाके से जुड़ी काल्पनिक कहानी को एमएक्स प्लेयर पर पूरी भव्यता के साथ प्रस्तुत किया गया है। मुंबई के कतिथ डान की असामाजिक, आपराधिक गतिविधियों का स्मरण कराती शृंखला धारावी बैंक अपराध और राजनीति के गठजोड़ को रेखांकित करती हुई, कई बार अतिरेक का शिकार भी हुई है। थलाईवन के प्रमुख किरदार को सुनील शेट्टी ने जीवंत करने का सफल प्रयास किया है।
चुप : फिल्म समीक्षकों पर टूटा कहर
आर बाल्कि की चर्चित फिल्म चुप ने जी फाइव पर ओटीटी के दर्शकों को नए मसाले से भरी सामग्री दी है। मशहूर फिल्मकार गुरुदत्त के साथ निजी जीवन में गुजरी त्रासदी को आधार बनाकर लिखे गए कथानक के मुताबिक मुंबई में एक जाने-माने फिल्म समीक्षक की जघन्य हत्या अजीब ओ गरीब तरीके से होना, खास तबके में सनसनी और भय का कारण बनती है। बेहद असहज और हास्यास्पद तरीके से पुलिस अधिकारी, एक मनोचिकित्सक की मदद से जाल बुनकर हत्यारे को पकड़ने की कोशिश में कामयाब होता है।
कहानी में, अपने पिता के विफल फिल्म व्यवसाय से पीड़ित कुंठाग्रस्त युवा का अनजाने में, एक फिल्म समीक्षक लड़की से ही प्रेम संबंध बनना रोचक लेकिन अजीब भी लगता है। सनी देओल, पूजा भट्ट के अलावा साइको युवक की भूमिका में अभिनेता दुलकर सलमान और उसकी समीक्षक प्रेमिका के किरदार में अभिनेत्री श्रेया धन्वन्तरि ने अवश्य प्रभावित किया है।