सिंगर बनने की ज़िद के कारण 2 सालों तक स्टूडियो में ही बितानी पड़ी रातें, पिता के डर की वजह से रितेश पांडेय नहीं जाते थे घर
पिता को नहीं पता था कि बेटे की रुचि डॉक्टर बनने में नहीं बल्कि गायक बनने में है। रितेश पांडेय तब थोड़ा बहुत गाया करते थे जिसकी तारीफ उनके दोस्त करते थे। और इसे ही करियर बनाने को भी सलाह देते।

रितेश पांडेय (Ritesh Pandey) आज भोजपुरी सिनेमा (Bhojpuri Cinema) और गायिकी में एक बड़ा नाम है। लेकिन ‘हैलो कौन’ गाने से रिकॉर्ड बनाने वाले रितेश पांडेय को कभी सिंगर बनने की ज़िद के कारण परिवार की नाराजगी काफी झेलनी पड़ी थी। ऐसे भी हालात आ गए थे कि वह घर नहीं जा पाते थे क्योंकि उनका परिवार गायिकी के खिलाफ था।
रितेश पांडेय का जन्म बिहार (Bihar) के सासाराम (Sasaram) जिले के एक छोटे से गांव करगहर के शिक्षित परिवार में हुआ था। गांव में आर्थिक संकट के कारण पिता बनारस चले आए और यहीं एक स्कूल में अध्यापक की नौकरी कर ली। थोड़ी स्थिति बदली तो पूरे परिवार को बनारस बुला लिया। रितेश पांडेय तब इंटर की परीक्षा (बयोलॉजी) काफी अच्छे अंकों से (72 फीसदी) पास किए थे। बेटे की इस सफलता पर पिता गदगद थे और चाहते थे कि रितेश कोटा जाकर पीएमटी की तैयारी में लग जाएं।
पिता चाहते थे बेटा बने डॉक्टर
बेटे को डॉक्टर बनाने का सपना देखने वाले पिता को नहीं पता था कि बेटे की रुचि डॉक्टर बनने में नहीं बल्कि गायक बनने में है। रितेश पांडेय तब थोड़ा बहुत गाते थे जिसकी तारीफ उनके दोस्त करते थे और इसे ही करियर बनाने को भी सलाह देते। जब रितेश पांडेय ने घर में भोजपुरी सिंगर बनने की इच्छा जताई तो पूरे घर में उथल-पुथल मच गई। पिता और परिवार के बाकी लोग भी इसके सख्त खिलाफ थे। वे चाहते थे कि रितेश पीएमटी की तैयारी करे। लेकिन रितेश पांडेय ने परिवार की बात को नजरअंदाज करते हुए बनारस के काशी विद्यापीठ से बीम्यूज की डिग्री लेकर गाने की दुनिया में कूद पड़े।
2 साल तक स्टूडियो मेंं ही रह गए रितेश पांडेय
रितेश पांडेय ने एक इंटरव्यू में इस बात का जिक्र किया था कि गाने तो शुरू कर दिए लेकिन कोई प्लेटफॉर्म नहीं मिल रहा था। रितेश ने अपना एक एल्बम निकालने का मन बना लिया। कुछ पैसे जुटाकर वह बनारस के एक स्टूडियो पहुंच गए। रिकॉर्डिंग पूरी हो गई। गाने का कैसेट आ गया। लेकिन उसका नतीजा जीरो निकला। रितेश के पास जो थोड़े बहुत पैसे थे वह भी हाथ से चले गए। पिता की नाराजगी बनी रही। हालात ये आए कि रितेश पांडेय उसी स्टूडियो में ही रहने खाने लगे। रितेश पांडेय के मुताबिक ये सिससिला करीब 2 सालों तक चला। रितेश पिता की नाराजगी के कारण घर नहीं जाते। रितेश पांडेय ने इस दौरान एक और गाने का कैसेट निकाले लेकिन वह भी फ्लॉप हो गया।
पेन ड्राइव में गाने लेकर यूपी-बिहार के हर शहर गए
फिर वो दौर आया जब रितेश की किस्मत बदली। मजाक-मजाक में गाया हुआ एक गाना काफी हिट हो गया। वह गाना था कड़ुवा तेल जो साल 2014 में रिलीज हुआ था। रितेश ने खुद इस बात खुलासा एक इंटरव्यू में किया है। रितेश ने इस गाने को पेन ड्राइव में लेकर यूपी-बिहार के हर शहर के सॉन्ग डाउनलोडर्स के पास गए और उनसे हर किसी के मोबाईल में डालने की मिन्नते कीं। रितेश के इस प्रयास ने रंग लाया और यह गाना काफी हीट हुआ। इसके बाद रितेश ने पीछे मुड़कर नहीं देखा।
‘दर्द दिल के’ गाने से बतौर सिंगर मिली पहचान
साल 2015 में ‘दर्द दिल के’ और साल 2017 में ‘पियवा से पहिले हमार रहलु’ ने रितेश को भोजपुरी का स्टार गायक बना दिया। पियवा से पहिले हमार रहलु गाने को यूट्यूब पर महज दस दिनों के अंदर 60 लाख व्यूज मिले थे। रितेश मजनुआ, सइयाँ थानेदार, फ़र्ज़, राजा राजकुमार, रामकृष्ण बजरंगी परवरिश, काशी विश्वनाथ जैसी फिल्मों से भी दर्शकों का काफी मनोरंजन किया।