चुप्पी को क्या समझें? रवीश कुमार ने अनुराग कश्यप-तापसी पन्नू पर आयकर छापे का जिक्र कर बॉलीवुड सेलेब्स को घेरा
अनुराग कश्यप और अभिनेत्री तापसी पन्नू के यहां छापे पड़ने के पर बॉलीवुड के बाकी सेलिब्रिटीज की तरफ़ से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है। इस पर रवीश कुमार ने कहा कि...

बॉलीवुड डायरेक्टर अनुराग कश्यप और अभिनेत्री तापसी पन्नू सहित कई फिल्मी हस्तियों के घरों और कार्यालयों पर 3 मार्च को आयकर विभाग के छापे पड़े हैं। यह छापा 4 मार्च को भी जारी रहा और अधिकारियों ने बताया कि रेड फैंटम फिल्म्स के खिलाफ़ टैक्स चोरी की जांच का एक हिस्सा है। बताया जा रहा है कि कंपनी के अधिकारी करीब 300 करोड़ रुपए का हिसाब नही दे पाए हैं। अनुराग कश्यप और तापसी पन्नू सहित संबंधित लोगों से प्रारंभिक पुछताछ भी की गई है।
इस छापेमारी पर बॉलीवुड के बाकी सेलिब्रिटीज की तरफ़ से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है। इस पर एनडीटीवी के वरिष्ठ पत्रकार रवीश कुमार (Ravish Kumar) ने बॉलीवुड जगत के लोगों को घेरा है। अपने प्राइम टाइम शो में रवीश कुमार ने कहा है कि छापे के कई घंटे हो गए और अब तक बॉलीवुड जगत से किसी ने ट्वीट क्यों नहीं किया जबकि रिहाना के मामले में तो कुछ ही मिनटों के अंदर कइयों ने ट्वीट कर दिए थे। उन्होंने कहा कि बॉलीवुड की इस चुप्पी को क्या समझा जाए।
रवीश कुमार ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का अगस्त 2019 के एक वक्तव्य का जिक्र करते हुए कहा, ‘जब प्रधानमंत्री मानते हैं कि टैक्स प्रशासन में ऐसे अधिकारी हैं जो मामूली चूक और प्रक्रियाओं में गलती का सहारा लेकर करदाताओं को टारगेट करते हैं। क्या प्रधानमंत्री की यह बात अनुराग कश्यप और तापसी पन्नू के मामले में लागू की जा सकती है? जब प्रधानमंत्री इनकम टैक्स के अधिकारियों पर सवाल उठा सकते हैं तब फिर फ़िल्म जगत के लोग अनुराग कश्यप और तापसी पन्नू के यहां पड़ने वाले छापे पर बोलने से इतना क्यों डर रहे हैं?’
कहा जा रहा है कि इनकम टैक्स को यह छापेमारी इसलिए की गई है क्योंकि तापसी और अनुराग कई मुद्दों पर सरकार की आलोचना करते रहे हैं। लेकिन सरकार ने इस तरह के आरोपों से इंकार कर दिया है। केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने इसे खारिज़ कर दिया कि यह छापेमारी तापसी और अनुराग की बीजेपी के प्रति आलोचनात्मक टिप्पणियों से जुडी है।
आपको बता दें कि तापसी पन्नू कई मुद्दों पर सरकार की आलोचना करती रहीं हैं। अनुराग कश्यप भी पिछले साल CAA के विरोध में प्रदर्शनों के दौरान शाहीन बाग़ और जेएनयू गए थे। इसके अलावा कई मुद्दों पर भी वो सरकार की आलोचना करते रहे हैं।