‘बेबी’ Movie Review: आतंकवाद पर एक और फिल्म
निर्देशक-नीरज पांडे, कलाकार-अक्षय कुमार, डैनी डेंग्जोप्पा, अनुपम खेर, तापसी पन्नू, केके मेनन, राना दग्गूबाती, मधुरिमा तुली। आतंकवादियों का सफाया हॉलीवुड से लेकर बॉलीवुड की फिल्मों में एक सदाबहार विषय हो गया है। ‘ए वेडनसडे’ और ‘स्पेशल 26’ जैसी चर्चित फिल्मों के निर्देशक नीरज पांडे की यह नई फिल्म भी इसी पर केंद्रित है। इसमें मुख्य […]
निर्देशक-नीरज पांडे, कलाकार-अक्षय कुमार, डैनी डेंग्जोप्पा, अनुपम खेर, तापसी पन्नू, केके मेनन, राना दग्गूबाती, मधुरिमा तुली।
आतंकवादियों का सफाया हॉलीवुड से लेकर बॉलीवुड की फिल्मों में एक सदाबहार विषय हो गया है। ‘ए वेडनसडे’ और ‘स्पेशल 26’ जैसी चर्चित फिल्मों के निर्देशक नीरज पांडे की यह नई फिल्म भी इसी पर केंद्रित है। इसमें मुख्य भूमिका निभाने वाले अक्षय कुमार ने अपनी पिछली फिल्म ‘होलीडे’ में भी आतंकवादियों का सफाया करने वाले एक सैन्य अधिकारी की भूमिका निभाई थी। यह फिल्म उसी कड़ी में है। हां, इसका अंदाज थोड़ा सा अलग है। इसमें अक्षय कुमार ने अजय सिंह राजपूत नाम के एक अंडरकवर एजंट की भूमिका निभाई है। अजय उन लोगों में है जो देश के लिए जान की बाजी लगा सकते हैं।
अजय बेबी नाम की एक ऐसी टीम का प्रमुख हिस्सा है जो उन आतंकवादियों की साजिशों को नाकाम करने के लिए बनी है। इस टीम का प्रमुख है फिरोज अली खान (डैनी डेंग्जोप्पा)। इस टीम के योजना प्रमुख हैं ओम प्रकाश शुक्ला (अनुपम खेर)। इस टीम में एक महिला एजंट प्रिया (तापसी पन्नू) भी है और जय सिंह राठौड़ (राना दग्गूबाती) नाम का एक और एजंट है। कुछ अन्य सदस्य भी हैं। इस टीम के सदस्य अपने परिवार को भी नहीं बताते कि वे किस काम में लगे हैं। अजय अपनी पत्नी (जिसकी भूमिका मधुरिमा तुली ने निभाई है) को भी नहीं बताता कि वह किस तरह का काम करता है, लेकिन वह जानती है कि अजय क्या करता है।
केके मेनन ने बिलाल नाम के एक ऐसे आतंकवादी की भूमिका निभाई है जो इंडियन मुजाहिदीन से जुड़ा है और सऊदी अरब में छिपा है। उसे पकड़ने के लिए आतंकवाद रोधी टीम बेबी का दल सऊदी अरब जाता है और वहां सफलता प्राप्त करता है। सारी कहानी इसी के इर्द-गिर्द घूमती है। इसमें पाकिस्तान का भी उल्लेख है और हाफिज सईद से मिलते-जुलते एक शख्स की भूमिका एक पाकिस्तानी कलाकार राशिद राज ने निभाई है। पाकिस्तान में इस फिल्म पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। वैसे इस फिल्म में अंध पाकिस्तान विरोध नहीं है जैसा ‘गदर’ में था। लेकिन फिल्म से यह ध्वनित जरूर होता है कि पाकिस्तान में भारत विरोधी आतंकवादी सक्रिय हैं। लेकिन पाकिस्तान में इतना हास्यबोध तो होना चाहिए कि इस तरह की चीजों के लिए प्रतिबंध लगाने से हिचके। खासकर तब जब इसमें पाकिस्तानी कलाकार भी हों।
इस फिल्म की सबसे बड़ी खासियत यह है कि दर्शकों को शुरू से आखिर तक बांधे रखती है। नीरज पांडे की पहले की दोनों फिल्मों की तरह ‘आगे क्या होगा?’ का रोमांच इसमें बना रहता है। कई जगहों पर इसमें असंगतियां भी हैं जो आमतौर पर बॉलीवुड की फिल्मों में होती हैं। अगर इनको नजरअंदाज कर दिया जाए तो यह फिल्म सफल मानी जा सकती है। फिल्म में फोटोग्राफी बहुत अच्छी है। इस्तांबुल से लेकर काठमांडो और खाड़ी के देशों के शानदार दृश्य इसमें हैं। फिल्म के संवाद असरदार हैं। इसमें हास्य भी भरपूर है। अक्षय कुमार एक एक्शन हीरो के रूप में अपनी पहचान को और आगे बढ़ा रहे हैं और यह फिल्म उसी अभियान के रूप में देखी जानी चाहिए। इससे पहले उन्होंने ‘बेबी’ नाम से एक और फिल्म की थी पर उसका विषय कुछ अलग था। यह बेबी नई बेबी है। केके मेनन ने भी बहुत अच्छा काम किया है।