उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव: गठबंधन के बाद ही स्थिति साफ़ होने की उम्मीद
2012 के विधानसभा चुनाव में रालोद नौ सीट जीत कर आया था।

विधानसभा चुनाव की सही तस्वीर क्या होगी यह तभी साफ हो सकेगा, जब सपा व कांग्रेस के गठबंधन के बाद उम्मीदवारों की घोषणा की जाएगी। अब तक भाजपा व बसपा ही अपने उम्मीदवारों की घोषणा कर चुके है। हालांकि गाजियाबाद के साहिबाबाद सीट व शामली के कैराना की सीट पर भाजपा अभी असमंजस की स्थिति में है। समाजवादी पार्टी व कांग्रेस के गठबंधन का कार्यकर्ता बेताबी से इंजजार कर रहे है। लेकिन अभी तक घोषणा न होने से स्थिति अभी साफ नहीं है। लेकिन यह तय है कि जैसी चर्चा चल रही है, लोकदल अगर गठबंधन में शामिल नहीं होता है तो उसके लिए घाटे का सौदा होगा। साहिबाबाद से केंद्रीय मंत्री राजनाथ सिंह अपने बेटे पंकज सिंह और कैराना से पूर्व मंत्री हुक्म सिंह अपनी बेटी मृगांका सिंह टिकट के लिए अड़े हैं। मेरठ कैंट सीट का टिकट भी होल्ड कर दिया गया है। इसके अलावा सबसे चौंकाने वाली बात यह भी है कि चार बार गाजियाबाद से एमपी रहे रमेश तौमार को धौलाना और मेरठ से पूर्व सांसद अवतार सिंह को मीरापुर सीट से मैदान में उतारा है।
राजनाथ सिंह के बेटे काफी समय से गाजियाबाद में सक्रिय हैं। चुनाव की घोषणा से पहले यह बात साफ हो गई कि वह साहिबाबाद की सीट से चुनाव लड़ना चाहते हैं। लेकिन बुधवार (18 जनवरी) को जारी लिस्ट में साहिबाबाद सीट से उम्मीदवार की घोषणा नहीं होने से लग रहा है इसमें कोई पेंच फंसा है। इसके पीछे कई कारण बताए जा रहे हैं। सबसे बड़ा कारण है यह कि यहां से आधा दर्जन दमदार लोग दावेदारी कर रहे हैं। यह स्थिति शामली के कैराना सीट की है। यहां से भी टिकट के लिए नाम की घोषण नहीं की गई। यहां भाजपा के दमदार पूर्व मंत्री हुक्म सिंह अपनी बेटी के लिए टिकट मांग रहे हैं। यहां भी कई मजबूत लोग लाइन में हैं। उम्मीद की जा रही है कि वेस्ट यूपी इन दोनों सीटों के लिए जल्द ही कोई न कोई निर्णय हो जाएगा। कहने वाले कह रहे कि जब यूपी के पूर्व मुख्य मंत्री कल्याण सिंह के ग्रांडसन और सांसद राजवीर सिंह के बेटे को टिकट मिल सकता तो फिर राजनाथ सिंह के बेटे और हुक्म सिंह की बेटी क्यों नहीं?
भाजपा ने जिस प्रकार से वेस्ट यूपी में टिकट दिए हैं। उससे साफ हो गया है कि गहन चिंतन के बाद ही लिस्ट जारी की गई। एक-एक सीट पर मंथन किया गया है। इसका इस बड़ा सबूत और क्या हो सकता है कि गाजियाबाद के धौलाना से गाजियाबाद से चार बार भाजपा के एमपी रहे रमेश तौमर को यहां से लड़ाया जा रहा है। पहले यह बात चली थी कि तौमर अपने बेटे के लिए टिकट मांग रहे हैं। लेकिन बेटे को टिकट न देकर उनके असर और अनुभव का लाभ उठा कर यहां से उन्हें ही मैदान में उतारा गया है। इसी प्रकार से मेरठ से एमपी की सीट कांग्रेस टिकट पर धमाके के साथ जीत दर्ज कराने वाले अवतार सिंह भड़ान को मुजफ्फरनगर की मीरापुर सीट से चुनाव मैदान में उतारा है। इन दोनों सीटों पर जातीय गणित ने काम किया है। धौलाना ठाकुर और मीरापुर सीट गूजर बाहुल्य है।
भाजपा ने बागपत सीट से पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष योगेश धामा, बडौत सीट से पूर्व एमएलसी के पी मलिक और छापरौली से सतेंद्र कुमार तुगाना को टिकट दिया है। तीनों जाट बिरादरी से हैं आौर उनका अपने-अपने इलाके में असर है। इसी प्रकार से गाजियाबाद की मोदीनगर सीट से डॉ मंजू सिवाच को टिकट देकर यहां भी रालोद को घेरा है। पश्चिमी उत्तर प्रदेश चौधरी चरण सिंह के दबदबे वाला क्षेत्र रहा है। लेकिन पिछल्ले दो चुनावों में लोकदल का दबदबा कम हुआ है। 2012 के विधानसभा चुनाव में रालोद नौ सीट जीत कर आया था। अब चुनाव की तस्वीर गठबंधन के बाद ही साफ होगी। यह भी तय है कि अगर गठबंधन होता है तो सपा, बसपा व भाजपा में कांटे की टक्कर होगी।
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