चुनाव के दौरान या तो जीत होती है या हार। जो भी नेता चुनाव लड़ता है वो जीत के लिए भरसक कोशिश करने के साथ इस बात के लिए भी तैयार रहता है कि हार भी हो सकती है। लेकिन राजनीति में ऐसे भी नाम हैं जो हार के लिए कभी तैयार नहीं होते। चाहे किसी की भी लहर हो पर ये अपना चुनाव जीत ही लेते हैं।
यूपी के कुंडा की सीट से राजा भैया कभी चुनाव नहीं हारे। चाहे किसी की लहर रही हो पर राजा भैया को हराना नामुमकिन ही है। रघुनाथ प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया ने 1993 में पहली दफा चुनाव लड़ा था। फिलहाल वो सातवीं बार जीतकर यूपी की विधानसभा पहुंच रहे हैं। उन्हें हराने के लिए तमाम राजनीतिक दलों ने कई बार बिसात बिछाई पर राजा भैया कभी नहीं हारे।
शिवपाल सिंह यादव भी ऐसे ही नेता हैं जो आज तक कभी चुनाव नहीं हारे। नेता जी मुलायम सिंह के लाड़ले शिवपाल ने इस बार जसवंत नगर से 90 हजार से ज्यादा मतों से जीत हासिल की है। उन्होंने बीजेपी के उम्मीदवार को हराया। हालांकि बीजेपी ने उन्हें हराने के लिए सारी तरकीबें अपनाईं पर शिवपाल सिंह यादव से वो पार नहीं पा सके।
जेल में बंद आजम खान दसवीं बार जीते। बेशक वो जेल में बंद हैं लेकिन आजम खान की लोकप्रियता पर कोई असर नहीं पड़ा। रामपुर के मतदाता इस बार खामोश थे। लग रहा था कि उन्हें कोई मतलब ही नहीं है कि कौन चुनाव लड़ रहा है। हमेशा की तरह से उन्होंने पहले से अपना मन बना रखा था।
शाहजहांपुर सीट से सुरेश कुमार खन्ना भी ऐसा ही नाम हैं, जो कभी चुनाव नहीं हारा। वो नौंवीं बार जीते हैं। 1989 में पहली बार बीजेपी से विधायक बने सुरेश खन्ना अजेय हैं। सपा के दुर्गा प्रसाद यादव भी ऐसा ही नाम हैं। वो नौंवी बार जीते हैं। बीजेपी के जयप्रताप सिंह ने 9 चुनाव लड़े जिनमें से वो 8 में जीते। कानपुर के सतीश महाना भी लगातार 8 चुनाव जीत चुके हैं। 1991 में वो पहली बार चुनाव लड़े थे। गोंडा के मनकापुर के रमापति शास्त्री भी ऐसे बीजेपी नेता हैं जो लगातार जीत रहे हैं। हरदोई के बालामऊ से बीजेपी के टिकट पर लड़े रामपाल वर्मा भी 8 बार जीत चुके हैं।
पूर्व मंत्रियों फतह बहादुर सिंह और इकबाल मसूद ने सातवीं बार जीत हासिल की है। अंबेडकर नगर से बीजेपी के रामचंद्र राजपत, कटहरी से लालजी वर्मा, शाहजहांपुर से चेतराम, अमरोहा से महबूब अली छठी बार लगातार चुनाव जीत चुके हैं।