उत्तर प्रदेश का 50 फीसद से अधिक युवा मतदाता इस मर्तबा राजनेताओं की तकदीर का फैसला करने जा रहा है। हालांकि राजनीतिक दलों ने जातियों को ध्यान में रख कर टिकट बांटे हैं, बावजूद इसके युवा उस तरफ उम्मीद से देख रहा है जहां उसे रोजगार की आस नजर आ रही है। उत्तर प्रदेश की 24 करोड़ आबादी में 15 करोड़, दो लाख 4 हजार पांच मतदाता हैं। इनमें इस वक्त 19 लाख, 89 हजार 902 ऐसे मतदाता हैंं जो पहली बार वोट डालेंगे, जबकि सात करोड़ 50 लाख 42 हजार 948 मतदाता ऐसे हैंं जिनकी उम्र 40 साल या उससे कम है। ऐसे में यह बात तय है कि जो शिक्षा और रोजगार की बात करेगा, मतदाताओं की यह बिरादरी उसका ही सियासी बेड़ा चुनाव में पार लगाने जा रही है।
भारतीय जनता पार्टी, जिसने योगी आदित्यनाथ की अगुआई में उत्तर प्रदेश में पांच साल तक अपनी सरकार चलाई है। योगी के काम को लेकर मतदाताओं की इस जमात के पास पहुंची है। अब तक भाजपा ने अपना चुनावी घोषणा पत्र उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के लिहाज से जारी नहीं किया है। लेकिन इस बात की पूरी उम्मीद जताई जा रही है कि भाजपा के चुनावी घोषणा पत्र में किसानों, युवाओं और बेरोजगारों को प्राथमिकता दी जाएगी।
विधानसभा चुनाव के पूर्व ही योगी ने प्रदेश के युवाओं को टेबलेट देने की घोषणा की है। 85 हजार टेबलेट दिए भी गए हैं। 39 लाख युवाओं ने टेबलेट के लिए पहले ही अपना पंजीकरण करा लिया है। योगी आदित्यनाथ अपनी चुनावी सभाओं में कोरोना काल का हवाला देते हुए युवाओं को बताते भी हैं कि पांच सालों में कोरोना महामारी के बाद भी सरकार ने साढ़े चार लाख युवाओं को नौकरी दी है।
वहीं समाजवादी पार्टी युवाओं को आइटी सेक्टर में 22 लाख से अधिक रोजगार देने का वादा कर रही है। सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव का कहना है कि यदि उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी की सरकार बनी तो वह युवाओं को लैपटाप तो बांटेंगे ही, नौकरियां भी थोक के भाव में उन्हें प्रदान की जाएंगी। कांग्रेस फिलहाल उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में खुद अपना वजूद बचाने की लड़ाई लड़ रही है, उसके बाद भी प्रियंका गांधी ने 20 लाख सरकारी नौकरियां देने का वादा किया है। जिसमें आठ लाख पदों पर महिलाओं को नौकरियां प्रदान की जाएंगी।
उधर भारतीय जनता पार्टी इस विधानसभा चुनाव में उन 78 सीटों पर अपना ध्यान केन्द्रित किये है जिसे 2017 के विधानसभा चुनाव में वह जीत नहीं पाई थी। इनमें समाजवादी पार्टी के कब्जे वाली सहारनपुर, कैराना, नगीना, संभल, सकलडीहा, बसपा के कब्जे वाली धौलाना, सिधौली, मुगरा बादशाहपुर समेत 78 विधानसभा सीटें हैं। इन सीटों को अपने पाले में करने के लिए भाजपा के वरिष्ठ नेता तीन साल से लगातार ताकत झोंके हुए हैं।
सुनील बंसल, स्वतंत्रदेव सिंह, समेत पार्टी के छह नेताओं का रिपोर्ट कार्ड भी इन 78 सीटों के आने या जाने पर निर्भर करेगा। क्योंकि उन्होंने लगातार उत्तर प्रदेश के जिलों का दौरा किया है। जातियों को साधने की सभी पार्टियां जो कोशिश कर रही हैं वह अगल।इस सब से इतर इस बार के विधानसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश में युवा मतदाता प्रदेश की सत्ता की चाभी साबित होने जा रहा है। देखना दिलचस्प होगा कि वो किस राजनीतिक दल को इस बार के विधानसभा चुनाव में अपना अलंबरदार चुनते हैं।