उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2022 के लिए भारतीय जनता पार्टी ने उम्मीदवारों की दूसरी लिस्ट (BJP Candidates List) जारी कर दी है। शुक्रवार को पार्टी ने 85 उम्मीदवारों की लिस्ट जारी की, जिनमें कांग्रेस छोड़कर आईं अदिति सिंह को रायबरेली से उम्मीदवार बनाया गया है। वहीं, वीआरएस लेकर बीजेपी में शामिल हुए पूर्व आईपीएस असीम अरुण को पार्टी ने कन्नौज से प्रत्याशी बनाया है।
भाजपा ने दूसरी लिस्ट में हाल ही में विधानसभा उपाध्यक्ष के पद और समाजवादी पार्टी से इस्तीफ़ा देकर पार्टी में शामिल होने वाले नितिन अग्रवाल को हरदोई सदर से उम्मीदवार बनाया है। दूसरी लिस्ट में 85 टिकटों में 15 महिलाओं के नाम पर मुहर लगी है।
भाजपा ने हाथरस से अंजुला माहौर को टिकट दिया है, जबकि सादाबाद से रामवीर उपाध्याय को प्रत्याशी बनाया गया है। लखीमपुर से योगेश शर्मा को टिकट दिया गया है। बांगरमऊ से श्रीकांत कटियार को उम्मीदवार बनाया गया है। उन्नाव से पंकज गुप्ता, बिधूना से रिया शाक्य को पार्टी ने टिकट दिया है। रिया के पिता विनय शाक्य ने हाल में भाजपा से इस्तीफा दे दिया था और वह समाजवादी पार्टी में शामिल हो गए थे।
जसराना से मानवेंद्र सिंह लोधी को भाजपा ने उम्मीदवार बनाया है जबकि, शिकोहाबाद से ओमप्रकाश वर्मा निषाद को टिकट दिया गया है। अलीगंज से सत्यपाल सिंह राठौर, मैनपुरी से जयवीर सिंह, पीलीभीत से संजय गंगवार, निधासन से शशांक वर्मा और धौराहरा से विनोद शंकर अवस्थी को पार्टी ने उम्मीदवार बनाया है।
यूपी विधानसभा चुनाव के लिए भाजपा ने बालामऊ से रामपाल वर्मा को टिकट दिया है। पुरबा से अनिल सिंह को टिकट मिला है, भोजपुर से नागेंद्र सिंह राठौर, तिर्वा से कैलाश सिंह राजपूत को पार्टी ने उम्मीदवार बनाया है। जबकि, बरखेड़ा से स्वामी प्रवक्तानंद को पार्टी ने टिकट दिया है।
भाजपा के आधिकारिक ट्विटर हैंडल से दूसरी सूची होने की सूचना दी गई, जिसमें कहा गया, ”भारतीय जनता पार्टी की केन्द्रीय चुनाव समिति ने होने वाले आगामी उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव 2022 के लिए निम्नलिखित नामों पर अपनी स्वीकृति प्रदान की है।”
दूसरी तरफ, गोवा के पूर्व सीएम मनोहर पर्रिकर के बेटे उत्पल पर्रिकर ने ऐलान किया है कि वे पणजी सीट से निर्दलीय चुनाव मैदान में उतरेंगे। उत्पल पणजी से टिकट मांग रहे थे लेकिन भाजपा ने टिकट नहीं दिया था। वहीं, आम आदमी पार्टी ने उत्पल से आप के टिकट पर चुनाव लड़ने का ऑफर भी दिया था। उत्पल ने कहा, ”मैंने अपनी पार्टी को मनाने की कोशिश की और कहा कि मैं चुनाव लड़ सकता हूं. इसके बावजूद मुझे उम्मीदवारी नहीं मिली। मेरे पास दो ही विकल्प थे- भाजपा या निर्दलीय। मैंने निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ने का फैसला किया है।”