दीपक अग्रवाल
प्रथम चरण में 10 फरवरी को होने वाले मतदान के मद्देनजर प्रदेश में सत्ता हथियाने में जुटे सभी प्रमुख दलों ने अपने निष्ठवान कार्यकतार्ओं को अहमियत नहीं देने से चुनावी दंगल दिलचस्प हो गया। भाजपा, सपा, रालोद एवं बसपा ने विधानसभा 2022 के लिए होने जा रहे चुनावों में अन्य पार्टियों से आए कद्दावर नेताओं को अपना उम्मीदवार बनाया है। इससे लंबे समय से पार्टी से जुड़े लोग मायूस दिखाई दे रहे है। वे आलाकमान के निर्देशों को मानते हुए बुझे मन से पार्टी उम्मीदवारों को जिताने का प्रयास कर रहे है। सूत्रों के अनुसार कुछ टिकटार्थी अंदरखाने दलबदलुओं को हराने में भी कसर नहीं छोड़ रहे हैं।
केन्द्र व प्रदेश की सत्ता पर कब्जा जमाने वाली भाजपा ने सर्वप्रथम धौलाना विधानसभा सीट पर पार्टी में आए पूर्व सपा विधायक धर्मेश तोमर को उम्मीदवार घोषित कर पार्टी के कद्दावर नेताओं को अचंभित कर दिया। यहां भाजपा के 12 से ज्यादा दिग्गज पूर्व सांसद रमेशचंद तोमर, प्रदेश स्तर के नेता वाइपी सिंह, एडवोकेट सतपाल तोमर आदि टिकट न मिलने पर अपने को ठगा महसूस कर रहे हैं। इसी सीट पर सपा गठबंधन ने विधानसभा में उपस्थिति दर्ज कराने को बसपा विधायक असलम चौधरी को पार्टी में लेकर उम्मीदवार बना दिया।
पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के निर्णय से सपा में भी निराशा छाई हुई है, परंतु सभी चुप्पी साध गए। बेचारे पार्टी नेता गठबंधन में भी विधायक बनने का सपना संजोये रह गए। इसी प्रकार हापुड़ विधानसभा सीट सपा-रालोद गठबंधन में राष्ट्रीय लोकदल के खाते में आई। यहां 35 वर्षो से कांग्रेस से जुड़कर लगातार छह बार विधानसभा चुनाव लड़े गजराज सिंह ने रालोद अध्यक्ष जयंत चौधरी के आगे घुटने टेक दिए। कांग्रेस से चार बार विधायक रह चुके गजराज को रालोद ने उम्मीदवार घोषित कर कर्मठ कार्यकर्ताओं और नेताओं को ठेंगा दिखा दिया। यहां रालोद गजराज को लेकर उत्साहित है लेकिन इससे उनकी पुरानी छवि धूमिल अवश्य हुई है। ये तो चुनाव नतीजे ही तय करेंगे की भाजपा के विधायक विजयपाल आढ़ती, बसपा के मनीष सिंह उर्फ मोनू एवं पाला बदलने वाले गजराज में से जनता किसे चुनेगी।
इसी प्रकार गढ़मुक्तेश्वर विधानसभा सीट पर समाजवादी पार्टी ने पूर्व मंत्री व विधायक मदन चौहान का टिकट ऐन मौके पर काट दिया। लंबे समय से अखिलेश यादव के करीबी रहे मदन ने टिकट कटने पर बसपा का दामन थाम लिया। सपा से नाराज विधायक मदन को बसपा सांसद, दानिश अली ने पार्टी में लाकर बसपा प्रमुख मायावती से दिल्ली से मुलाकात करा पार्टी की सदस्यता ग्रहण करा दी।
मायावती ने भी मौके का फायदा उठा मदन को पार्टी उम्मीदवार बना डाला। जिसे जिताने को लेकर सांसद दानिश को ही जिम्मेदारी दी गई है। यहां बसपा को लोकसभा चुनाव में बढ़त मिलने तथा बसपा नगरपालिका चेयरमैन सोना सिंह के सहारे पार्टी जीत दर्ज कराने में जुटी है। बसपा के जमीनी कार्यकतार्ओें को पार्टी ने कोई अहमियत नहीं दी है। राजनीति के दिग्गजों का कहना है कि सत्ता के लिए पाला बदलने वालों को जनता विधानसभा चुनावों में नसिहत देगी।