उद्योग नगरी कहे जाने वाले कानपुर में चुनाव बेहद दिलचस्प होता नजर आ रहा है। जहां एक और कांग्रेस ने अपनी पार्टी के वरिष्ठ नेता व पूर्व केंद्रीय मंत्री श्रीप्रकाश जायसवाल को एक बार फिर कानपुर से चुनावी मैदान में उतार दिया है तो वहीं भाजपा ने वरिष्ठ नेता मुरली मनोहर जोशी की जगह उत्तर प्रदेश सरकार में कैबिनेट मंत्री व गोविंद नगर विधानसभा से विधायक सत्यदेव पचौरी पर दांव लगाया है। साथ ही सपा-बसपा का गठबंधन भी पीछे नहीं है। उसने यहां से राम कुमार निषाद को प्रत्याशी बनाया है।

अगर अतीत के पन्नों पर नजर डालें तो इस बार का लोकसभा चुनाव कानपुर का बेहद दिलचस्प होता नजर आ रहा है। 2004 में हुए लोकसभा चुनाव में भाजपा ने सत्यदेव पचौरी को उम्मीदवार बनाया था लेकिन वे हार गए थे। तब कांग्रेस के उम्मीदवार श्रीप्रकाश जायसवाल ने 2,11,109 वोट और पचौरी को 205, 471 वोट मिले थे।  2009 में पार्टी ने पचौरी को मौका नहीं दिया। उनके बदले में सतीश महाना मैदान में उतरे लेकिन श्रीप्रकाश जायसवाल से उन्हें भी हार का सामना करना पड़ा। 2014 के चुनाव में मोदी लहर ने काम किया और वाराणसी संसदीय सीट छोड़कर आए सांसद मुरली मनोहर जोशी ने श्रीप्रकाश जायसवाल को हरा दिया। इस चुनाव में श्रीप्रकाश करीब 2.22 लाख वोटों से हारे थे। लेकिन इस बार कानपुर लोकसभा सीट पर मुकाबला त्रिकोणीय हो गया है।

क्या कहता है समीकरण
कानपुर लोकसभा सीट में 16 लाख वोटर हैं। इसमे पुरुष वोटरों की संख्या 8,74,299 है, महिला वोटरों की संख्या 7,23,147 है। वहीं थर्ड जेंडर की संख्या 145 है। कानपुर लोकसभा क्षेत्र ब्राह्मण बहुल है। यहां शहरी क्षेत्र में पांच विधानसभाए हैं. जिनमें सामान्य जाति के 5,16,594, पिछड़ा वर्ग के 2,90,721, अल्पसंख्यक के 4,07,182 और अनुसूचित जाति के 3,80,950 मतदाता हैं।

दोनों दिग्गजों की अच्छी पैठ
श्रीप्रकाश जायसवाल कांग्रेस के अंदर गांधी परिवार के बेहद करीबी माने जाते हैं। लोग ऐसा भी कहते हैं पार्टी इनकी ईमानदारी व नेक छवि के कारण उन पर बहुत विश्वास करती है। जायसवाल कानपुर शहर के मेयर भी रहे। तीन बार सांसद बने। यूपीए सरकार में गृह राज्यमंत्री और बाद में कोयला मंत्री भी रहे।
भाजपा के सत्यदेव पचौरी संघ परिवार से जुड़े हैं। पचौरी की एक अलग ही और जमीनी नेता के रूप में पहचान है। अभी पचौरी उत्तर प्रदेश सरकार में कैबिनेट मंत्री हैं। गोविंद नगर विधानसभा से विधायक हैं।

सपा-बसपा गठबंधन
सपा बसपा गठबंधन होने के बाद सपा ने रामकुमार निषाद को प्रत्याशी बनाया है। कानपुर में बड़ी संख्या में ओबीसी, अनुसूचित जाति और मुस्लिम वोटर हैं। सपा अब इन्हीं वोटरों पर सेंध लगाना चाहती है।
रामकुमार निषाद के पिता मनोहर लाल 1977 में कानपुर लोकसभा सीट से सांसद भी रह चुके हैं। अतीत में कानपुर लोकसभा सीट पर कभी भी सपा और बसपा का जादू नहीं चल पाया लेकिन दोनों ही पार्टी के प्रत्याशी कहीं ना कहीं कांग्रेस व भाजपा के लिए मुसीबत बनकर सामने खड़े रहे।
ऐसा ही कुछ 2004 के लोकसभा चुनाव में देखने को मिला था जब पहली बार सत्यदेव पचौरी व श्रीप्रकाश जायसवाल आमने-सामने थे और ऐसे में समाजवादी पार्टी के हाजी मुस्ताक सोलंकी के कारण जायसवाल की जीत का अंतर बेहद कम रह गया था।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को जनता ने पुन: प्रधानमंत्री बनाना चाहती है। लिहाजा कानपुर की जनता से बेहद प्यार मिल रहा है। मुझे पूरा भरोसा है कि मैं चुनाव कानपुर से जीतकर दिल्ली जाऊंगा। यहां की जनता भारी मतों के साथ मुझे विजयी बना रही है।
-सत्यदेव पचौरी, भाजपा उम्मीदवार

कानपुर की जनता से मुझे बेहद लगाव है और जनता उन्हें अपना मानती है इसलिए उसका आशीर्वाद मुझे जरूर मिलेगा। बाकी पांच साल केंद्र में रहते हुए भाजपा ने जनता के साथ सिर्फ छलावा ही किया है।
-श्रीप्रकाश जायसवाल, कांग्रेस उम्मीदवार