राज खन्ना

सुल्तानपुर लोकसभा सीट से आज तक कोई महिला सांसद नहीं चुनी गई। जब कभी महिलाएं इस सीट से चुनाव मैदान में उतरीं, उन्हें निराश होना पड़ा। 2019 में क्या इस सीट से पुरुषों का वर्चस्व टूट पाएगा? केंद्रीय मंत्री मेनका गांधी की उम्मीदवारी ने इस मुद्दे को और हवा दे दी है। वैसे मेनका के अलावा एक अन्य महिला उम्मीदवार प्रसपा (लोहिया) की कमला यादव भी चुनाव मैदान में हैं। 1998 में समाजवादी पार्टी ने रीता बहुगुणा जोशी को यहां के चुनाव मैदान में उतारा था। पर वे सफल नहीं हुर्इं। 1999 में कांग्रेस ने गांधी परिवार की रिश्तेदार दीपा कौल को अपना उम्मीदवार बनाया था।

मतदाताओं ने उन्हें भी निराश किया। 2004 में भाजपा ने वीणा पांडेय को मौका दिया पर मतदाताओं ने उन पर भी भरोसा नहीं किया। मेनका गांधी ने अपने राजनीतिक जीवन का पहला चुनाव सुल्तानपुर जिले की अमेठी लोकसभा सीट से लड़ा था। तब अमेठी सुल्तानपुर का ही हिस्सा थी। 1984 में उन्होंने अमेठी में अपने जेठ स्वर्गीय राजीव गांधी को असफल चुनौती दी थी। इस पराजय के 35 वर्ष बाद मेनका एक बार फिर सुल्तानपुर से जंग में हैं।

सुल्तानपुर को अपने दिवंगत पति संजय गांधी और पुत्र वरुण गांधी की कमर्भूमि बता कर वे मतदाताओं से भावनात्मक रिश्ता जोड़ने की कोशिश कर रही हैं। 2014 में उनके पुत्र वरुण गांधी सुल्तानपुर से चुने गए थे। 2019 में मां- बेटे के बीच सीट की अदला-बदली हुई है। वरुण पीलीभीत से मां मेनका की सीट से तो मेनका बेटे की सीट सुल्तानपुर से उम्मीदवार हैं। सुल्तानपुर में मेनका मतदाताओं के बीच खुद को मां के रूप में ही प्रस्तुत कर रही हैं। कहती हैं कि मां के तरीके से ही वे क्षेत्र के लोगों का ख्याल रखेंगी। सुल्तानपुर में मतदाताओं की कुल संख्या 18,11,770 है, जिसमें 9,47,618 पुरुष और 8,44,059 महिला मतदाता हैैं।