सोशल मीडिया : खर्च पर पैनी नजर की चुनौती
Lok Sabha Election 2019 (लोकसभा चुनाव 2019): गूगल सभी राजनीतिक दलों और चुनाव प्रत्याशियों के ऑनलाइन प्रचार का लेखा-जोखा रखेगा और इन प्रचारों पर होने वाले खर्च समेत पूरा ब्योरा चुनाव आयोग को उपलब्ध कराएगा। गूगल के प्रतिनिधि ने कुछ दिनों पहले चुनाव आयोग के अधिकारियों से मुलाकात की। यह तय हुआ कि गूगल इसके लिए प्री-सर्टिफिकेशन की व्यवस्था तैयार करेगा। और पार्टियों व उम्मीदवारों द्वारा किए जा रहे खर्च का ब्योरा जमा किया जाएगा।

Lok Sabha Election 2019: इस बार लोकसभा चुनाव के कार्यक्रमों का एलान करते वक्त चुनाव आयोग ने सोशल मीडिया को लेकर नए प्रावधान घोषित किए। चुनाव के दौरान उम्मीदवारों को सोशल मीडिया पर खर्च की गई रकम का पूरा हिसाब देना होगा। इससे पहले सिर्फ अखबारों और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में दिए जाने वाले विज्ञापनों का ब्योरा देना पड़ता था। चुनाव आयोग के मुताबिक सोशल मीडिया पर खर्च की गई रकम को भी उम्मीदवारों के चुनावी खर्च में जोड़ा जाएगा। सभी उम्मीदवारों को अपने सोशल मीडिया अकाउंट की जानकारी भी देनी होगी। सोशल मीडिया पर प्रचार करने के पहले भी राजनीतिक पार्टियों को इजाजत लेनी होगी। सोशल मीडिया पर प्रचार का खर्च भी चुनाव के खर्च में जुड़ेगा।
सोशल मीडिया पर जारी सामग्री पर नजर रखने के लिए एक कमिटी का गठन किया जाएगा। फेसबुक, ट्विटर, यूट्यूब पर राजनीतिक विज्ञापन की जानकारी रखी जाएगी। मुख्य चुनाव आयुक्त सुनील अरोड़ा के मुताबिक, सभी उम्मीदवारों को अपना नामांकन दाखिल करते वक्त अपने सोशल मीडिया अकाउंट का ब्योरा चुनाव आयोग को सौंपना होगा। हाल ही में चुनाव आयोग ने सुरक्षा कर्मियों की तस्वीरों को प्रचार सामग्री में इस्तेमाल न करने की हिदायत दी। यदि किसी प्रत्याशी से जुड़े समाचार विभिन्न समाचार पत्रों, चैनलों में एक से प्रकाशित होते हैं तो उसे पेड न्यूज माना जाएगा। पेड न्यूज पाए जाने पर उसकी राशि उम्मीदवार के चुनाव खर्च में जोड़ दी जाएगी।
सोशल मीडिया में राजनीतिक दल
भारतीय जनता पार्टी अगले हफ्ते एंड्रॉयड, गूगल प्ले स्टोर और ब्लैकबैरी पर करीब 10 मोबाइल ऐप लेकर आ रही है। यही नहीं, बीजेपी की ओर से उम्मीदवारों को सोशल मीडिया पर रोजाना कम से कम एक घंटा बिताने की सलाह भी दी गई है। सोशल मीडिया के बढ़ते असर से कांग्रेस भी अछूती नहीं है। राहुल गांधी के बाद जल्द ही सोनिया गांधी और जयराम रमेश जैसे नेता गूगल पर हैंगआउट करते नजर आएंगे। साथ ही पार्टी फेसबुक और यू ट्यूब पर भी अपना एजंडा प्रचारित कर रही है। आम तौर पर एक मोबाइल ऐप को डेवलप करने में 20,000 से लेकर 20 लाख रुपए तक का खर्च आता है। सोशल मीडिया के जरिए राजनीतिक पार्टियों की नजर खास तौर पर 18 से 23 साल के ढाई करोड़ से ज्यादा नौजवानों पर है, जो लोकसभा चुनाव में पहली बार वोट डालेंगे।
फेसबुक पर खर्च में रेकॉर्ड
फेसबुक के आंकड़ों के अनुसार भारतीय जनता पार्टी ने सिर्फ फरवरी में ‘भारत के मन की बात’ नाम के पेज के जरिए अपने प्रचार के लिए सोशल मीडिया साइट को 1.1 करोड़ रुपए का भुगतान किया। इसके अलावा ‘नेशन विद नमो’ पेज ने भी 60 लाख रुपए से ज्यादा रकम विज्ञापनों पर खर्च की। फरवरी महीने में फेसबुक विज्ञापनों पर भाजपा के सहयोगी दलों का खर्च मिला दिया जाए तो आंकड़ा 2.37 करोड़ रुपए पहुंच गया। इसके बाद सबसे ज्यादा खर्च करने वालों में ओडीशा के मुख्यमंत्री और बीजू जनता दल प्रमुख नवीन पटनायक सबसे ऊपर हैं। उन्होंने 32 विज्ञापनों पर फरवरी महीने में 8,62,981 रुपए खर्च किए। कांग्रेस और उसके सहयोगियों इस दौरान विज्ञापनों पर लगभग 30 लाख रुपए खर्च किए।