हारने के आदी राहुल को नहीं पता जीत का मतलब, शशि थरूर से उधार लें डिक्शनरी
शहजाद पूनावाला ने गुजरात में कांग्रेस की नैतिक जीत के तर्क को लेकर राहुल की आलोचना की है।

गुजरात और हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस की हार के बाद एक बार फिर से राहुल गांधी के नेतृत्व पर सवाल उठने लगे हैं। कांग्रेस और राहुल के खिलाफ मोर्चा खोले शहजाद पूनावाला ने पार्टी के नए अध्यक्ष पर तीखा प्रहार किया है। उन्होंने कहा कि राहुल को विक्ट्री का ‘वी’ भी नहीं पता है। साथ ही गुजरात में कांग्रेस के प्रदर्शन को ‘नैतिक जीत’ बताने के तर्क को भी बेतुका करार दिया है। हाल में संपन्न विधानसभा चुनावों में हिमाचल के मुकाबले गुजरात में कांग्रेस का प्रदर्शन बेहतर रहा है। भाजपा को दो दशक से भी ज्यादा समय के बाद सौ से कम सीटें आई हैं। पार्टी नेता और राजनीतिक विश्लेषक गुजरात में कांग्रेस के प्रदर्शन को नैतिक जीत बता रहे हैं।
एक टीवी चैनल से बात करते हुए शहजाद पूनावाला ने कहा कि राहुल गांधी को हारने की आदत हो गई है, इसलिए हार को जीत बताया जा रहा है। पूनावाला ने कहा, ‘राहुल गांधी काे एक डिक्शनरी खोलकर उसके ‘वी’ सेक्शन में जाकर विक्ट्री शब्द तलाशना चाहिए। इसका मतलब दुश्मनों या प्रतिद्वंद्वियों को हराना होता है। जब आप हारते हैं तो वह जीत नहीं होती है। लेकिन, राहुल हारने के इतने अभ्यस्त हो चुके हैं कि उन्हें हार में भी जीत दिखती है। मैं समझता हूं कि उन्हें नई डिक्शनरी खरीदनी चाहिए। यह खासतौर से शशि थरूर की ओर से दिया जाना चाहिए, क्योंकि वह अंग्रेजी के भारी-भरकम शब्दों का इस्तेमाल करते हैं। राहुल को इसमें विक्ट्री का मतलब ढूंढ़ना चाहिए। गुजरात में कांग्रेस के सभी बड़े नेता और राहुल के निकट सहयोगी चुनाव हार गए। ऐसे में मैं समझ नहीं पाता कि किस आधार पर यह नैतिक जीत है। भाजपा का वोट शेयर भी बढ़ा है। हां, यह अलग बात है कि आप स्कूल में जब लगातार शून्य अंक लाते हैं और जब आपको एक नंबर मिलता है तो आपकी मां कहती है यह बेहतर है। लगे रहो।’
WATCH | @Shehzad_Ind comments on Rahul Gandhi's claim on 'moral win in Gujarat' pic.twitter.com/jfRTX8o9gS
— TIMES NOW (@TimesNow) December 19, 2017
यह कोई पहला मौका नहीं जब शहजाद पूनावाला ने राहुल गांधी पर हमला बोला है। कांग्रेस का अध्यक्ष चुने जाने पर भी उन्होंने तल्ख टिप्पणी की थी। उन्होंने राहुल को ‘अवैध अध्यक्ष’ बताते हुए कोर्ट जाने की बात भी कही थी। गुजरात में विधानसभा चुनाव के दौरान ही राहुल को पार्टी का अध्यक्ष चुन लिया गया था। नोटबंदी और जीएसटी के असर का देखते हुए गुजरात के लोगों के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्र एवं राज्य में भाजपा की सरकार के प्रति भारी नाराजगी होने की बात कही जा रही थी। हालांकि, भाजपा गुजरात के गढ़ को बचाए रखने में सफल रही। सीटों में कमी जरूर आई है।
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