अखिलेश यादव ने डॉ. कफील खान को विधान परिषद सदस्य के लिए होने वाले चुनाव के लिए अपना प्रत्याशी बनाया है। सपा ने डॉ. कफील को देवरिया-कुशीनगर से टिकट दिया है। डॉ. कफील योगी सरकार के पहले कार्यकाल के दौरान चर्चा में तब आए थे, जब गोरखपुर के बीआरडी अस्पताल में आक्सीजन की कमी से कई बच्चों की मौत हो गई थी। इसके बाद डॉ. कफील के खिलाफ योगी सरकार ने एक्शन लिया था, जो विवादों में रहा है।
डॉ. कफील खान, गोरखपुर सदर सीट से मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के खिलाफ असेंबली चुनाव लड़ने के लिए भी इच्छुक थे, लेकिन तब उन्हें टिकट नहीं मिला था। कफील खान गोरखपुर मेडिकल कॉलेज में हुई उस त्रासदी के वक्त वहां तैनात थे। इस मामले में उन्हें गिरफ्तार किया गया था। वो बर्खास्त भी हुए थे। हालांकि उनका कहना है कि उन्हें 80 बच्चों की मौत के मामले में बलि का बकरा बनाया गया। कफील खान ने दावा किया कि मेडिकल कॉलेज में ऑक्सीजन की आपूर्ति बाधित होने के बाद उन्होंने व्यक्तिगत प्रयास से ऑक्सीजन सिलेंडर जुटाए थे जिससे अनेक बच्चों की जान बचाई जा सकी।
उन्होंने कहा कि सिर्फ उन्हें ही निशाना बनाया गया जबकि बाकी आरोपियों को छोड़ दिया गया। कफील खान पर 2020 में राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के तहत कार्रवाई की गई थी। सरकार का कहना था कि उन्होंने अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में भड़काऊ भाषण दिया था, लेकिन इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने उन पर लगाए गए आरोप खारिज कर दिए।
यूपी विधान परिषद के चुनाव के लिए 36 सीटों पर प्रत्याशी चुने जाने हैं। एमएलसी चुनाव के लिए नौ अप्रैल को मतदान होगा। नतीजे 12 अप्रैल को घोषित किए जाएंगे। 100 सदस्यी विधान परिषद में सपा के पास 17, बीजेपी के पास 35, और बसपा के चार सदस्य हैं।
बता दें कि हाल ही में हुए विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने जीत हासिल की है। बीजेपी ने जहां 255 सीटें जीती हैं वहीं सपा गठबंधन ने 125 सीटों पर जीत हासिल की है। योगी आदित्यनाथ दोबारा से सत्ता में वापस लौटे हैं।