राजस्थान के रावणा राजपूत जाति का एक लड़का जिसकी बारात में घोड़ी चढ़ने को लेकर विवाद हो गया, जिस दोस्त ने उसे पूरी जमात से लड़कर घोड़ी पर बैठाया उसने उसी दोस्त की हत्या कर दी। ये कहानी है 5 लाख के उस ईनामी बदमाश की जिसे पकड़ने के लिए शहर के शहर कीले में तब्दील कर दिए जाते थे, उसके हथियारों का सामना करने के लिए पुलिस को स्पेशल ट्रेनिंग दी जाती थी। पुलिस बार-बार उसे पकड़कर जेल में डालती और हर बार जेल की सलाखें उसके लिए नरम पड़ जाती और वो फरार हो जाता। ये कहानी है राजस्थान के कुख्यात रॉबिनहुड गैंगस्टर आनंदपाल की।
आनंदपाल राजस्थान के नागौर जिले की लाडनूं तहसील के एक छोटे से गांव सांवराद का रहने वाला था। आनंदपाल पढ़ा-लिखा था और उसने टीचर बनने के लिए बीएड की ट्रेनिंग भी ली थी। आनंदपाल के जुर्म की दुनिया में जाने की कहानी तब शुरू होती है जब अपने गांव के दबंगों के डर के चलते वह अपनी ही बारात में घोड़ी नहीं चढ़ पा रहा था। उस दिन आपसी समझाइश के बाद वह घोड़ी पर तो चढ़ गया लेकिन उसका ज़ेहन हमेशा के लिए बदल गया था। अब आनंदपाल राजनीति में आना चाहता था और उसने चुनाव लड़ा लेकिन हार गया। पूर्व मंत्री हरजीरां बुरड़क के बेटे से सिर्फ 2 वोटों से पंचायत चुनाव हारने के बाद साल 2006 में वह अपराध की दुनिया में आया। उसने शराब की तस्करी शुरू कर दी और वो लिकर किंग बनना चाहता था। उसी सनक में उसने डीडवाना में जीवनराम गोदारा की हत्या कर दी, कहा जाता है कि जीवनराम ही वो दोस्त था जिसने आनंदपाल को बारात में घोड़ी पर चढ़ाया था। इसके बाद वह एक के बाद एक अपराध करता चला गया और राजस्थान का सबसे बड़ा गैंगस्टर बन गया। आनंदपाल बेहद खूंखार था, कहा जाता है कि वह लोगों को किडनैप करके एक बेहद छोटे से पिंजड़ें में बंद कर देता था और उन्हें तरह-तरह की यातनाएं देता था। लूट, वसूली, मर्डर और गैंगवार के करीब 24 मामलों में वह वांछित आरोपी था लेकिन फिर भी राजपूत समुदाय के लोग उसे अपना मसीहा मानते थे।
आनंदपाल एकदम स्टाइल से जीने का शौकिन था, वो सिर पर हैट लगता था ,लेदर जैकेट पहनता था आंखों पर स्टाइलिश चश्मा लगाता था। जब भी सुनवाई के लिए उसे कोर्ट ले जाया जाता तो वो हीरो स्टाइल में मीडिया में फोटो खिंचवाता था। उसका अपना फेसबुक पेज था और वो सोशल मीडिया पर काफी एक्टिव रहता था। लेडी डॉन अनुराधा के संपर्क में आने के बाद से इसका आतंक और भी बढ़ गया। फर्राटेदार इंग्लिश बोलने वाला ये अपराधी राजस्थान सरकार की साख पर बट्टा लगा रहा था। सीकर के गोपाल फोगावट हत्याकांड को भी उसी ने अंजाम दिया था और कोर्ट ने 8 मामलों में उसे भगोड़ा घोषित किया हुआ था।
आनंदपाल की दहशत लगातार बढ़ती जा रही थी, उसके गैंग में 100 से भी ज्यादा बदमाश शामिल थे। वर्ष 2015 में आनंदपाल पुलिस को नशीली मिठाई खिलाकर फरार हो गया और उसके बाद उसने सरकार और पुलिस की नाक में दम कर दिया। इसके बाद राजस्थान पुलिस लगातार आनंदपाल को ढूंढ़ रही थी और 24 जून को उन्हें पता चलता है राजस्थान के चूरू जिले के मौलासर गांव में आनंदपाल छुपा बैठा है। जिसके बाद पुलिस पूरा जाब्ता लेकर वहां पहुंचती है 24 जून 2017 की रात को स्पेशल ऑपरेशन चलाकर आनंदपाल का एनकांउटर कर दिया जाता है। कहा जाता है आनंदपाल का खौफ इतना था की उसके शव को उठाने से भी पुलिस वाले डर रहे थे।
लेकिन राजस्थान सरकार और पुलिस की परेशानी आनंदपाल की मौत के बाद खत्म नहीं होती है।आनंदपाल के मरने के बाद लोगों में गुस्से का ज्वार फूट पड़ा। उसके पैतृक जिले नागौर में सरकार का विरोध होना शुरू हो गया। राजस्थान का राजपूत समुदाय आनंदपाल के फर्जी एनकाउंटर का आरोप लगाकर विद्रोह पर उतर आया। आनंदपाल के परिवार ने उसकी लाश लेने से मना कर दिया और अस्पताल में धरने पर बैठ गए। परिवार का आरोप था की आनंदपाल ने सरेंडर की कोशिश की थी लेकिन पुलिस ने उसका एनकांउटर कर दिया। आनंदपाल का शव लगातार 3 हफ्तों तक डीप फ्रीज़र में रखा गया। सरकार के नुमांइदों ने परिवार और राजपूत समाज के लोगों को समझाने की बहुत कोशिश की लेकिन ना तो लोग और ना ही आनंदपाल के परिजन मानने को तैयार हुए। वे सरकार से सीबीआई जांच की मांग कर रहे थे। 12 जुलाई को 2 लाख लोग आनंदपाल के एनकाउंटर के विरोध में हुई एक सभा में जमा हुए जिसे देखकर प्रशासन के हाथ-पैर फूल गए। इसके बाद आनंदपाल का अंतिम संस्कार करने के लिए राजस्थान सरकार ने जी जान लगा दी।
अगले ही दिन सरकार ने परिवार को अंतिम संस्कार की इजाजत लेने के लिए बुलाया और पीछे से पुलिस ने आनंदपाल का अंतिम संस्कार कर दिया। परिवार ने सरकार पर जबरदस्ती अंतिम संस्कार करने का आरोप लगाया। इसके बाद भी काफी दिनों तक यह मामला गर्माया रहा लेकिन धीरे-धीरे मामला शांत हो गया। माना जा रहा है कि राजस्थान सरकार से अभी भी राजपूत समुदाय बेहद गुस्से में और वसुंधरा सरकार को इस वोटबैंक को बड़ा नुकसान हो सकता है।