राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के गृह जनपद के लोग चुनते हैं चार-चार सांसद, जानिए- ऐसा क्यों?
पिछले लोकसभा चुनाव में मोदी लहर कानपुर देहात में ऐसी चली कि तीन लोकसभा क्षेत्र में भाजपा की जीत हुई। सिर्फ कन्नौज सीट ही सपा के खाते में गयी और तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की पत्नी डिंपल यादव ने जीत दर्ज की।

राष्ट्रपति रामनाथ कोविन्द के गृह जनपद कानपुर देहात में मतदाताओं की संख्या वैसे तो एक लोकसभा के बराबर है पर यहां की जनता चार जनप्रतिनिधियों को संसद भेजती है। सुनने में यह जरुर अटपटा सा लग रहा होगा पर यही सच्चाई है। इसी सच्चाई के चलते यहां की जनता विकास को लेकर परेशान रहती है, क्योंकि दूर-दराज के जनप्रतिनिधि कभी भी एक साथ जिला योजना की बैठक में नहीं आते हैं। इस जनपद में कुल चार विधानसभाएं हैं और करीब 13 लाख मतदाता हैं जो एक लोकसभा के लिए पर्याप्त है लेकिन विधान सभा सीटों का परिसीमन ऐसा किया गया कि चारों विधानसभाएं दूसरे जनपदों की लोकसभाओं में जोड़ दिया गया है। ऐसे में यहां की जनता चार जनप्रतिनिधियों को संसद पहुंचाती है पर विकास के मामले में पीछे रह जाती है।
अकबरपुर नगर पंचायत की अध्यक्ष ज्योत्सना कटियार का कहना है कि जनपद की विधानसभाओं को अलग-अलग जनपदों में जोड़ने से यहां विकास नहीं हो पा रहा है। जो भी सांसद चुनकर जाता है उसके लिए यहां की विधानसभा कोई मायने नहीं रखती क्योंकि उसका पूरा फोकस अपने जनपद की विधानसभाओं में रहता है। इसी के चलते जनपद की जिला योजना की बैठक में आज तक एक साथ चारों सांसद कभी नहीं आये। जबकि पिछले लोकसभा चुनाव में रसूलाबाद विधानसभा वाली सीट से ही पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की पत्नी डिंपल यादव जीती थी। बताया जाता है कि डिंपल यादव को इसी इलाके से बढ़त मिली थी, इसके बावजूद एक बार भी जिला योजना की बैठक में वह नहीं आ सकीं।
इन विधानसभाओं से चुनते हैं चार सांसद- कानपुर देहात जनपद में करीब 25 लाख की आबादी है और 3142.88 वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल में फैला हुआ है। जनपद में करीब 13 लाख मतदाता हैं और चार विधानसभाएं हैं। रसूलाबाद विधानसभा कन्नौज लोकसभा में, सिकन्दरा विधानसभा इटावा लोकसभा में, भोगनीपुर विधानसभा उरई लोकसभा में और अकबरपुर विधानसभा अकबरपुर लोकसभा में आती है।
भाजपा के हैं तीन सांसद- पिछले लोकसभा चुनाव में मोदी लहर कानपुर देहात में ऐसी चली कि तीन लोकसभा क्षेत्र में भाजपा की जीत हुई। सिर्फ कन्नौज सीट ही सपा के खाते में गयी और तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की पत्नी डिंपल यादव ने जीत दर्ज की। उरई सुरक्षित सीट से भानुप्रताप वर्मा, इटावा सुरक्षित सीट से अशोक दोहरे और अकबरपुर सीट से देवेन्द्र सिंह भोले भाजपा से सांसद चुने गये थे।
विधानसभा में भी चला मोदी मैजिक- लोकसभा चुनाव के बाद 2017 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में भी मोदी मैजिक ऐसा चला कि यहां चारों विधानसभा सीटों पर भाजपा को बड़ी जीत मिली। सिकंदरा सीट से अजीत पाल, भोगनीपुर से विनोद कटियार, रसूलाबाद से निर्मला संखवार और अकबरपुर से प्रतिभा शुक्ला विधानसभा पहुंचने में सफल रहीं। अजीत पाल अपने पिता मथुरा प्रसाद पाल के निधन पर उप चुनाव में जीते हैं।
मोदी लहर में दल-बदलुओं को भी जनता ने लगाया गले- कानपुर देहात विकास के लिहाज से भले ही पिछड़ा हो पर यहां की जनता प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से बेहद प्रभावित है जिसके चलते दल-बदलुओं को भी गले लगाया और विधानसभा पहुंचा दिया। हालांकि भोगनीपुर विधायक विनोद कटियार पहले से ही भाजपा में थे पर उनका कारोबार नोएडा और दिल्ली में हैं। इस वजह से उन्हें भी पैराशूट प्रत्याशी कहा जाता था। इसके अलावा सभी चुने गये विधायक बसपा से दल बदलकर भाजपा में असेंबली चुनाव के पहले शामिल हुए थे।
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