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Meghalaya Election: क्या भाजपा तोड़ पाएगी क्षेत्रीय दलों की पकड़? गठबंधन से बाहर आकर अकेले लड़ रही है चुनाव

Meghalaya Election : मेघालय विधानसभा चुनाव की तारीखों के ऐलान से ठीक पहले भाजपा ने अपने दम पर चुनाव लड़ने और नेशनल पीपुल्स पार्टी (एनपीपी) के साथ, गठबंधन ना करने का फैसला किया था।

Meghalaya Elections

Meghalaya Election : मेघालय में 27 फरवरी को विधानसभा चुनाव को लेकर मतदान होना है। मेघालय को 21 जनवरी,1972 को राज्य का दर्जा दिया गया था और तब से इस राज्य ने 10 विधानसभा चुनाव देखे हैं।

क्षेत्रीय दलों और निर्दलीयों विधानसभा में हमेशा दबदबा रहा है। कांग्रेस भी राज्य में एक मजबूत दल के तौर पर देखी जाती रही है। लेकिन अब कांग्रेस को लगातार दलबदल के मामलों से प्रभावित होने के बाद कमजोर संगठन के तौर पर आँका जा रहा है।

मेघालय विधानसभा चुनाव की तारीखों के ऐलान से ठीक पहले भाजपा ने अपने दम पर चुनाव लड़ने और नेशनल पीपुल्स पार्टी (एनपीपी) के साथ, गठबंधन ना करने का फैसला किया था। सवाल अब यह है कि चुनावी नतीजों में क्या भाजपा क्षेत्रियों दलों के दबदबे को तोड़ने में कामयाब होकर सामने आएगी ?

अब तक के चुनावों में भाजपा का क्या हाल रहा है ?

बीजेपी का अकेले चुनाव लड़ने का फैसला पार्टी के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है। अब तक भाजपा मेघालय में कुछ खास प्रदर्शन नहीं कर पाई है। भाजपा ने 1993 में पहली बार राज्य की राजनीति में कदम रखा था। तब से पार्टी ने छह चुनाव लड़े हैं। हालांकि भाजपा का वोट शेयर अब तक निराशाजनक ही रहा है। पार्टी ने 2018 में सबसे अधिक सीटों (47) पर चुनाव लड़ा और केवल दो सीटें जीतीं थी। तब पार्टी का वोट शेयर बढ़कर 9.63 फीसदी हो गया था। बीजेपी की तरह कांग्रेस भी सभी विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ रही है. कांग्रेस एकमात्र ऐसी राष्ट्रीय पार्टी रही है जिसने पारंपरिक रूप से राज्य में वर्चस्व रखने वाले क्षेत्रीय दलों को चुनौती दी है।

कांग्रेस का क्या रहा है हाल ?

1972 में अपने पहले विधानसभा चुनावों में कांग्रेस की शुरुआत सामान्य रही थी। उस समय लड़ी गई 12 सीटों में से नौ सीटों पर कांग्रेस ने जीत हासिल की थी। तब पार्टी को करीब 10 फीसदी वोट शेयर मिला था। कांग्रेस का सबसे अच्छा प्रदर्शन 2013 में था जब पार्टी ने 34.78 प्रतिशत वोट शेयर के साथ 29 सीटें जीती थीं। हालांकि फिलहाल कांग्रेस अब एक अच्छी स्थिति में नही दिखाई देती है। कांग्रेस विधायकों और पूर्व मुख्यमंत्री तक के पाला बदल कर टीएमसी में चले जाने से कांग्रेस को काफी नुकसान हुआ था।

इस चुनाव में अखिल भारतीय तृणमूल कांग्रेस (AITC) और भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (CPI) मैदान में हैं, लेकिन विधानसभा चुनाव में अभी तक अपना खाता नहीं खोला है।

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First published on: 26-02-2023 at 10:44 IST
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