कांग्रेस पार्टी ने मणिपुर में गठबंधन का ऐलान किया है। चुनाव से पहले कांग्रेस पार्टी मणिपुर में पांच दलों के साथ गठबंधन कर मैदान में उतरेगी और इसमें कम्युनिस्ट पार्टी भी शामिल है। मणिपुर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष एन लोकेन ने गुरुवार को मीडिया से कहा कि कांग्रेस पार्टी भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी, मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी, रिवॉल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी, जनता दल सेकुलर और फॉरवर्ड ब्लॉक के साथ मिलकर आने वाला विधानसभा चुनाव लड़ेगी और बीजेपी को हराने का काम करेगी।
मणिपुर कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि, “भाजपा को हराने के लिए सभी पार्टियों ने एक साथ साझा लक्ष्य के साथ आगे बढ़ने का फैसला किया है। जल्द ही हम गठबंधन की सीटों का भी ऐलान करेंगे और न्यूनतम साझा कार्यक्रम भी जारी करेंगे।”
बंगाल चुनाव में भी था गठबंधन: 2021 के बंगाल चुनाव में भी कांग्रेस और कम्युनिस्ट पार्टी का गठबंधन था। हालांकि इस चुनाव में गठबंधन को एक भी सीट नहीं प्राप्त हुई थी। कांग्रेस और सीपीआई दोनों को 0 सीटें प्राप्त हुई थी।
कम्युनिस्ट पार्टी का मणिपुर में प्रर्दशन: बता दें कि 2017 के मणिपुर विधानसभा चुनाव में भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी ने 6 सीटों पर चुनाव लड़ा था जबकि मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी ने 2 सीटों पर चुनाव लड़ा था। फॉरवर्ड ब्लॉक ने भी 2 सीटों पर चुनाव लड़ा था। तीनों को मिलाकर 1% वोट भी नहीं मिला था। मणिपुर में 2 लोकसभा सीट है इनर मणिपुर सीट और आउटर मणिपुर सीट। 1998 के बाद मणिपुर से कोई सीपीआई का नेता लोकसभा नहीं पहुंचा है। हालांकि इनर मणिपुर लोक सभा सीट पर कम्युनिस्ट पार्टी का चुनाव में प्रदर्शन ठीक-ठाक रहता है। 2019 के लोकसभा चुनाव में कम्युनिस्ट पार्टी तीसरे स्थान पर रही थी। वहीं पर 2004 और 2009 के लोकसभा चुनाव में कम्युनिस्ट पार्टी दूसरे स्थान पर रही थी।
2017 में पहली बार बीजेपी सरकार: मणिपुर में 2017 में पहली बार बीजेपी की सरकार बनी। 2017 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को 28 सीटें मिली थी जबकि भारतीय जनता पार्टी को 21 सीटें मिली थी। वहीं नागा पीपल फ्रंट और नेशनल पीपल्स पार्टी को चार – चार सीटें प्राप्त हुई थी। जबकि एलजेपी और टीएमसी को एक सीट मिली थी। वहीं एक सीट पर निर्दलीय उम्मीदवार ने जीत प्राप्त की थी। हालांकि अधिक सीटें जीतने के बावजूद कांग्रेस सरकार नहीं बना पाई थी। बीजेपी ने नागा पीपल फ्रंट , नेशनल पीपल्स पार्टी और एलजेपी के विधायकों के सहयोग से मणिपुर में पहली बार सरकार बनाई थी और एन बिरेन सिंह राज्य के मुख्यमंत्री बने।
हालांकि 2017 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की अपेक्षा बीजेपी का वोट शेयर अधिक था। कांग्रेस को 35.1% वोट मिला था जबकि बीजेपी को 36.3% वोट प्राप्त हुआ था। वहीं 2012 के विधानसभा चुनाव में मणिपुर में कांग्रेस को 42.4% वोट मिला था जबकि बीजेपी लड़ाई में भी नहीं थी।