यहां है केवल गरीबी, भूख, बेरोजगारी, करीब 60 साल में पहली बार वोट मांगने गया कोई पीएम
Lok Sabha Election 2019: सरकारी आंकड़ों के मुताबिक साल 2001 से 349 लोग सिलीकोसिस बीमारी से मर चुके हैं। वहीं रतलाम लोकसभा के अलीराजपुर और झाबुआ विधानसभा क्षेत्र में ही करीब 3000 लोग इस बीमारी से पीड़ित हैं।

मध्य प्रदेश की रतलाम लोकसभा सीट आदिवासी बहुल इलाका है। विकास के मामले में यह इलाका काफी पिछड़ा हुआ है। मध्य प्रदेश और गुजरात की सीमा पर स्थित रतलाम लोकसभा क्षेत्र के कई गांव साल 2001 से पानी की समस्या से जूझ रहे हैं। यही वजह है कि यहां कपास और मक्का की पारंपरिक खेती पूरी तरह से तबाह हो गई है। बड़ी संख्या में लोग विस्थापित हो रहे हैं। हैरानी की बात ये है कि राजनैतिक पार्टियों के लिए यह कोई मुद्दा नहीं है। इतना ही नहीं राजनैतिक पार्टियों के लोग चुनाव प्रचार के लिए इन गांवों में जाते तक नहीं हैं। विस्थापन के बाद यहां के लोग गुजरात की पत्थर काटने वाली यूनिट्स में काम करने को मजबूर हैं। लेकिन यहां पत्थर काटने के दौरान उड़ने वाली धूल के चलते यहां लोग बड़ी संख्या में सांस से संबंधी बीमारी सिलीकोसिस के शिकार हो गए हैं।
सरकारी आंकड़ों के मुताबिक साल 2001 से 349 लोग सिलीकोसिस बीमारी से मर चुके हैं। वहीं रतलाम लोकसभा के अलीराजपुर और झाबुआ विधानसभा क्षेत्र में ही करीब 3000 लोग इस बीमारी से पीड़ित हैं। झाबुआ के सतसेरा गांव की निवासी लिंबुडी खुमा के परिवार के 5 सदस्य अभी तक इस बीमारी से मर चुके हैं। साथ ही उनके दो बेटे अभी भी इस बीमारी से ग्रस्त हैं। बता दें कि पत्थर काटने के दौरान उड़ने वाली धूल से इंसान के फेफड़ों में सिलीकोसिस नामक बीमारी हो जाती है, जिससे इंसान को सांस लेने में दिक्कत होती है और कई मामलों में पीड़ित की मौत भी हो जाती है। लिंबुडी खुमा के गांव में एक भी सड़क नहीं है। उनका कहना है कि कोई भी वोट मांगने के लिए यहां नहीं आता है। वो हमारी मांग जानते हैं, लेकिन इसे पूरा नहीं कर सकते।
बता दें कि इस लोकसभा में रहने वाले लोगों की मुख्य मांग पानी और विस्थापितों का पुनर्स्थापन शामिल है। साल 2010 में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने मध्य प्रदेश सरकार से इस इलाके के विस्थापितों का पुनर्स्थापन करने और गुजरात सरकार को मृतकों के परिजनों को 3 लाख रुपए प्रति व्यक्ति की दर से मुआवजा देने का आदेश दिया था। लिंबुड़ी खुमा को भी मुआवजे के तौर पर अभी सिर्फ 9 लाख रुपए मिले हैं, लेकिन वो भी दो बीमार बेटों के इलाज में खर्च हो चुके हैं। लिंबुडी खुमा की तरह ही एक अन्य आदिवासी वेस्ता मांडिया भी सिलीकोसिस के कारण अपने परिवार के 4 सदस्यों को खो चुके हैं। यहां के लोगों का कहना है कि यहां मनरेगा के तहत भी काम नहीं मिलता है। लोगों का कहना है कि कई सरकारी अधिकारी यहां आए हैं, लेकिन काम अभी तक नहीं मिला है। वेस्ता मांडिया ने बताया कि साल 2014 में उन्होंने भाजपा को वोट दिया था क्योंकि उन्होंने रोजगार देने का वादा किया था, लेकिन कुछ भी नहीं हुआ। बता दें कि रतलाम लोकसभा सीट पर कांग्रेस का दबदबा रहा है, लेकिन बीते लोकसभा चुनावों में यहां भाजपा जीत दर्ज करने में सफल रही थी।
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