Lok Sabha Election 2019: आम चुनाव के मद्देनजर दिल्ली भाजपा ने चुनाव आयोग को पत्र लिख मस्जिदों में विशेष पर्यवेक्षक की तैनाती का आग्रह किया है। दिल्ली भाजपा ने कहा कि विशेषकर मुस्लिम बहुल इलाके के मस्जिदों में पर्यवेक्षक की तैनाती की जाए ताकि राजनीतिक दल के नेता या धार्मिक नेता चुनाव को प्रभावित करने के लिए लोगों के बीच नफरत नहीं फैला सकें। बता दें कि पूरे देश में 11 अप्रैल से 19 मई तक सात चरणों में 543 संसदीय क्षेत्रों के लिए मतदान होंगे। 23 मई को नतीजों की घोषणा होगी।
भाजपा ने आयोग को लिखी अपनी चिट्ठी में लिखा है, “हम इस शिकायत को आप तक लिखने के लिए बाध्य हुए हैं क्योंकि पिछले कुछ समय में ऐसी कुछ घटनाएं हुई है जिसमें आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल तथा उनके सदस्यों ने जाति और धर्म के आधार पर वोटों के ध्रुवीकरण की कोशिश की। यह सब की जानकारी में है कि अल्पसंख्यकों को भड़काने वाले अपने बयान की वजह से अरविंद केजरीवाल कुछ समय पहले विवादों में थे। मुस्लिम बहुल इलाके में वोटों का ध्रुवीकरण करने के लिए केजरीवाल ने कई आधारहीन और भड़काउ बयान दे रहे हैं।”
भाजपा ने अपनी चिट्ठी में केजरीवाल के कई ट्वीट्स का भी जिक्र किया है। इसमें एक ट्वीट है, “विवेक तिवारी तो हिंदू था? फिर उसको इन्होंने क्यों मारा?” एक यूट्यूब वीडियो लिंक शेयर करते हुए भाजपा ने लिखा, “एक अन्य घटना में दिल्ली के बदरपुर में अरविंद केजरीवाल ने मुस्लिम समुदाय के लोगों की भावनाओं को उत्तेजित करने वाला बयान दिया।” भाजपा ने एक और लिंक शेयर करते हुए लिखा, “दिल्ली के जामा मस्जिद में बयान भाषण के दौरान चुनाव के मकसद से केजरीवाल लोगों को जाति और धर्म के नाम पर भड़का रहे हैं।”
भाजपा ने आगे लिखा, “आम आदमी पार्टी के अन्य सदस्य भी हमेशा भड़काउ बयान देते रहते हैं। हाल ही में अमानतुल्लाह खान एक ऐसा ही बयान देते हुए कहा था कि मुस्लिम समुदाय के लोग वर्ष 2019 के आम चुनाव में वोट नहीं दे सकेंगे क्योंकि वोटिंग का समय रमजान के महीने में पड़ रहा है। इन सभी स्थितियों को देखते हुए ऐसी संभावना है कि अरविंद केजरीवाल और उनके सहयोगी धर्म के नाम पर मुस्लिम वोट का ध्रुवीकरण कर सकते हैं।”
दिल्ली भाजपा ने कहा, “कई बार ऐसा हुआ है कि मस्जिद के समीप जहां अल्पसंख्यक समुदाय के लोग शुक्रवार की नमाज अता करने जाते हैं, वहां भड़काउ भाषण दिए जाते हैं। निर्दोष लोगों को साफ्ट टारगेट बनाया जाता है। रमजान के महीने में इस बात की ज्यादा संभावना है कि मुस्लिम और अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों के बीच धर्म के आधार पर राजनीति की जा सकती है। उन्हें भड़काया जा सकता है। धार्मिक आधार पर भड़काने और वोटों के ध्रुवीकरण वाले बयान अक्सर पर्दे के पीछे दिए जाते हैं, इस वजह से कोई इनपर ध्यान नहीं देता है और न हीं इसकी निगरानी होती है।”
भाजपा ने चुनाव आयोग से आग्रह किया कि मुस्लिम बहुल इलाकों की मस्जिदों में विशेष पर्यवेक्षकों की नियुक्ति की जाए ताकि राजनीति करने वाले और धार्मिक नेता चुनाव को प्रभावित करने के उद्देशय से किसी तरह का भड़काउ बयान नहीं दे सकें। राजनीतिक दल के नेताओं और धार्मिक नेता आचार संहिता का उल्लंघन नहीं कर सकें।

