Loksabha Election 2019: सरकारी बैंकों के 3.20 लाख अफसरों का नरेंद्र मोदी को जवाब- हमसे ‘चौकीदार’ बनने की उम्मीद मत करिए
Lok Sabha Election 2019 (लोकसभा चुनाव 2019): यूनियन ऑल इंडिया बैंक ऑफिसर्स कॉनफेडरेशन में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के करीब 3 लाख 20 हजार अफसर जुड़े हुए हैं, जो कुल बैंक अफसरों का 85 प्रतिशत है।

Loksabha Election 2019: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कुछ समय पहले एक ट्वीट कर डॉक्टरों, वकीलों, इंजीनियरों, शिक्षकों, आईटी प्रोफेशनल और बैंकरों से ‘मैं भी चौकीदार’ अभियान से जुड़ने का आग्रह किया था। उनके इस आग्रह के बाद सरकारी बैंकों के 3.20 लाख अफसरों ने जवाब दिया कि हमसे ‘चौकीदार’ बनने की उम्मीद मत कीजिए। सार्वजनिक क्षेत्र बैंक ऑफिसर्स के सबसे बड़े यूनियन ऑल इंडिया बैंक ऑफिसर्स कॉनफेडरेशन (AIBOC) ने प्रधानमंत्री को एक पत्र लिखकर कहा कि सरकार को तब तक बैंकिंग बिरादरी से MainBhiChowkidar अभियान में शामिल होने की उम्मीद नहीं करनी चाहिए, जब तक कि बैंकों के विलय, वेतन संशोधन और कर्मचारियों की भर्ती से संबंधित मुद्दों पर बात नहीं होती है। पत्र की एक कॉपी वित्तीय सेवा विभाग (DFS) और भारतीय बैंक संघ (IBA) को भेजी गई है।
बिजनेस स्टैंडर्ड की रिपोर्ट के मुताबिक, यूनियन ऑल इंडिया बैंक ऑफिसर्स कॉनफेडरेशन में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के करीब 3 लाख 20 हजार अफसर जुड़े हुए हैं, जो कुल बैंक अफसरों का 85 प्रतिशत है। पत्र में कहा गया है, “पूरी बैंकिंग बिरादरी के साथ करीब 10 लाख बैंक ऑफिसर्स और कर्मचारियों के मुख्य मुद्दे (जिसके लिए वे आपकी सरकार की नीतियों के खिलाफ है) पर बात किए बिना, आपको यह उम्मीद नहीं करनी चाहिए कि बैंकिंग बिरादरी आपके राजनीतिक अभियान ‘मैं भी चौकीदार’ में शामिल हो जाए।”
बैंकर विजया बैंक, देना बैंक और बैंक ऑफ बड़ौदा के विलय का कड़ा विरोध कर रहे हैं। एआईबीओसी ने इस विलय के खिलाफ दिल्ली हाई कोर्ट में याचिका भी दायर की है। बैंकरों का दूसरा मुद्दा वेतन को लेकर द्विदलीय समझौता है। आईबीए ने उच्च स्तर के कर्मचारियों (ग्रेड 6 और 7) के वेतन को बैंक के प्रदर्शन के साथ जोड़ने का प्रस्ताव दिया था, जिसका ऑफिसर्स विरोध कर रहे हैं। बता दें कि यह पहली बार है जब सार्वजनिक क्षेत्र का बैंकों के कुछ विशेष ग्रेड के अफसरों के वेतन को प्रदर्शन के साथ जोड़ने का प्रस्ताव आईबीए ने दिया है। इस रैंक में जीएम और डीजीएम होते हैं, जिनकी संख्या लगभग 2500 है।
इन सब के अलावा सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक कर्मचारियों की कमी से भी जूझ रहे हैं। वर्ष 2018-19 में 14 बैंकों ने प्रोबेशनरी ऑफिसर और मैनेजमेंट ट्रेनी कैटेगरी में एक भी वैकेंसी की घोषणा नहीं की। अधिकारियों की बैंक यूनियनों की लंबे समय से चली आ रही मांगों में से एक यह भी है कि केंद्र सरकार के अधिकारियों की तरह ही बैंक अधिकारियों के वेतन में समानता हो। साथ ही वे नेशनल पेंशन स्कीम की जगह पुराने पेंशन सिस्टम चाहते हैं। उनकी अन्य मांगों में सप्ताह में पांच दिनों की कार्यावधि तथा बैंकों द्वारा विलफुल डिफॉल्टरों की सूची का प्रकाशन शामिल है।
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