Election 2019: सपा ने लगाया विधायकों और विप सदस्यों के बीच भेदभाव का आरोप: सरकार ने दी सफायी
Lok Sabha General Election 2019 India: तेलंगाना राष्ट्र समिति (टीआरएस) के एक बड़े नेता ने बृहस्पतिवार को कहा कि उनकी पार्टी क्षेत्रीय दलों का गैर कांग्रेसी, गैर भाजपा संघीय मोर्चा बनाने के विचार का प्रचार करने के लिए तृणमूल कांग्रेस, समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी से संपर्क करेगी।

उत्तर प्रदेश विधान परिषद में बृहस्पतिवार को सपा सदस्यों ने विधानसभा क्षेत्र के विकास से सम्बन्धित एक आदेश के जरिये विधायकों और विधान परिषद सदस्यों के बीच भेदभाव किये जाने का आरोप लगाते हुए इस पर मुख्यमंत्री से जवाब देने का आग्रह किया। शून्यकाल के दौरान सपा सदस्य शतरुद्र प्रकाश ने यह मामला उठाते हुए कहा कि संविधान के मुताबिक विधायक और विधान परिषद सदस्य में कोई अंतर नहीं है। मगर गत चार नवम्बर को जारी एक ज्ञाप (आदेश) में इस फर्क को पैदा किया गया है।
उन्होंने कहा कि इस ज्ञाप में कहा गया है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की घोषणा के सम्बन्ध में 10 अक्टूबर को मुख्यमंत्री के प्रमुख सचिव की अध्यक्षता में एक बैठक हुई, जिसमें तय किया गया कि वित्तीय वर्ष 2018-19 में प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र कार्य के लिये पांच करोड़ रुपये की लागत से सड़कों का निर्माण कराया जाएगा। इस कार्य के लिये लोकनिर्माण विभाग नोडल विभाग होगा।
उस वक्त खुद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सदन में मौजूद थे। प्रकाश ने कहा कि इस ज्ञाप में विधानसभा क्षेत्र का जिक्र किया गया है, मगर विधान परिषद सदस्यों का तो कोई विधानसभा क्षेत्र ही नहीं है। इससे पहले कभी ऐसा आदेश नहीं आया कि विधानसभा के सदस्यों को अलग दर्जा दिया जाए और विधान परिषद के सदस्यों को अलग। अफसोस के साथ कहना पड़ रहा है कि यह पहली हुकूमत है जिसने विधायक और विधान परिषद सदस्य में फर्क किया है।
उन्होंने कहा कि सदन की पूरी भावना है कि जिस तरह सड़क बनाने के लिये पांच करोड़ रुपये का एलान विधानसभा के सदस्यों के लिये किया गया, वहीं घोषणा विधान परिषद के सदस्यों के लिये भी की जाये। मुख्यमंत्री, जिन्होंने यह घोषणा जारी की है, वे यहीं अपना फरमान वापस लें। इस पर नेता सदन उपमुख्यमंत्री दिनेश शर्मा जब जवाब देने के लिये खड़े हुए तो सपा सदस्यों ने यह कहते हुए इसका विरोध किया कि जब खुद मुख्यमंत्री सदन में मौजूद हैं और यह मामला भी सीधे तौर पर उन्हीं से जुड़ा है तो वह ही इस पर जवाब दें।
सपा सदस्यों ने कहा कि इससे पहले भी जब यह मामला उठा था तब नेता सदन शर्मा ने कहा था कि यह मुख्यमंत्री से जुड़ा मामला है और जब वह सदन में आएंगे तब इस पर कुछ कहेंगे। हालांकि विपक्षी सदस्यों के पीठ से तमाम आग्रह के बावजूद योगी जवाब देने के लिये खड़े नहीं हुए। इसी बीच, निर्दल समूह के राज बहादुर ंिसह चंदेल ने भी कहा कि विधानमण्डल के दो सदनों के सदस्यों के बीच भेदभाव नहीं किया जाना चाहिये। बहरहाल, नेता सदन दिनेश शर्मा ने कहा कि मुख्यमंत्री ने जो घोषणा की है वह विधानसभा के लिये है। इसमें भेदभाव की कोई नीयत नहीं है। सभापति रमेश यादव ने इस पर व्यवस्था देते हुए कहा कि दोनों सदस्यों के सदस्यों में कोई भेद ना हो। नेता सदन इसे ‘विशेष रूप’ से दिखवा लें।
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तेलंगाना राष्ट्र समिति (टीआरएस) के एक बड़े नेता ने बृहस्पतिवार को कहा कि उनकी पार्टी क्षेत्रीय दलों का गैर कांग्रेसी, गैर भाजपा संघीय मोर्चा बनाने के विचार का प्रचार करने के लिए तृणमूल कांग्रेस, समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी से संपर्क करेगी। लोकसभा में टीआरएस के उपनेता बी विनोद कुमार ने बताया कि उनकी पार्टी ने क्षेत्रीय दलों को पहले ही संयुक्त मोर्चे का ‘‘विचार दे दिया’’ है। उन्होंने कांग्रेस तथा संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) खेमे के कुछ धड़ों की इस धारणा को खारिज कर दिया कि इस दिशा में टीआरएस अध्यक्ष तथा तेलंगाना के मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव की कोशिशें भाजपा विरोधी वोटों को बांट सकती है और इससे भारतीय जनता पार्टी को लाभ पहुंच सकता है।
करीमनगर से लोकसभा सदस्य ने कहा, ‘‘इस संघीय मोर्चे पर हमारा विचार है : अपने-अपने राज्यों में शक्तिशाली सभी क्षेत्रीय दलों को एक साथ आना चाहिए और कांग्रेस या भाजपा के साथ हमारी मोलभाव की ताकत तभी बढ़ेगी जब हम एकजुट रहेंगे।’’
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की 31 महीने पुरानी तृणमूल कांग्रेस सरकार के मंत्रिमंडल का बृहस्पतिवार को विस्तार किया गया और इसमें चार नये चेहरे शामिल किए गए हैं। मंत्रिमंडल में जिन नये चहेरों को शामिल किया गया है, उनमें तापस राय, सुजीत बोस, रत्ना घोष (कार) और निर्मल मांझी शामिल हैं। राज्यपाल केसरी नाथ त्रिपाठी ने राजभवन में उन्हें मंत्री पद की शपथ दिलायी। इस दौरान मुख्यमंत्री के अलावा उनके कैबिनेट सहयोगी भी मौजूद थे।
राय को योजना एवं संसदीय कार्य राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) बनाया गया है, जबकि बोस दमकल विभाग के स्वतंत्र प्रभार वाले राज्य मंत्री होंगे ।शपथ ग्रहण समारोह के बाद ममता ने बताया कि घोष (कार) एमएसएमई (सूक्ष्म लघु और मध्यम उद्यम मंत्रालय) में राज्य मंत्री होंगी, जबकि मांझी को श्रम राज्य मंत्री बनाया गया है । मुख्यमंत्री ने बताया कि मंत्रिमंडल में एक मामूली फेरबदल के तहत स्वास्थ्य राज्य मंत्री चंडीराम भट्टाचार्य को आवास विभाग का अतिरिक्त प्रभार सौंपा गया है ।
तेलंगाना राष्ट्र समिति (टीआरएस) के एक बड़े नेता ने बृहस्पतिवार को कहा कि उनकी पार्टी क्षेत्रीय दलों का गैर कांग्रेसी, गैर भाजपा संघीय मोर्चा बनाने के विचार का प्रचार करने के लिए तृणमूल कांग्रेस, समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी से संपर्क करेगी। उन्होंने कांग्रेस तथा संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) खेमे के कुछ धड़ों की इस धारणा को खारिज कर दिया कि इस दिशा में टीआरएस अध्यक्ष तथा तेलंगाना के मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव की कोशिशें भाजपा विरोधी वोटों को बांट सकती है और इससे भारतीय जनता पार्टी को लाभ पहुंच सकता है।
उन्होंने कहा, ‘‘इस संघीय मोर्चे पर हमारा विचार है : अपने-अपने राज्यों में शक्तिशाली सभी क्षेत्रीय दलों को एक साथ आना चाहिए और कांग्रेस या भाजपा के साथ हमारी मोलभाव की ताकत तभी बढ़ेगी जब हम एकजुट रहेंगे।’’ कुमार ने कहा, ‘‘वरना कांग्रेस या भाजपा प्रत्येक राज्य में हर राजनीतिक दल से मोल भाव करेंगे और अन्य क्षेत्रीय दलों पर अपनी शर्तें थोपेंगे।’’ उन्होंने कहा कि क्षेत्रीय दलों को चुनाव के बाद राजनीतिक दलों के साथ संयुक्त रूप से मोलभाव करना चाहिए।
उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा काशी विश्वनाथ गलियारे के नाम पर वाराणसी में मंदिरों को ध्वस्त करने, शिव मूर्तियों और शिवलिंगों को फेंकने का आरोप लगाते हुए कांग्रेस सदस्यों ने आज विधानसभा से बहिगर्मन किया। सदन की बैठक शुरू होते ही कांग्रेस विधायक दल के नेता अजय कुमार लल्लू उक्त मुददा उठाना चाहते थे। उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार ने 125 करोड़ सनातन धर्मावलंबियों की भावनाओं के साथ खिलवाड़ किया है।
उन्होंने आरोप लगाया कि काशी विश्वनाथ गलियारे के नाम पर सैकड़ों प्राचीन मंदिरों को भाजपा की सरकार ने तोड़ा है और हिन्दुओं के आराध्य देव भगवान शिव की मूर्तियों को अनैतिक तरीके से फेंका है।ल वह इस मुद्दे पर चर्चा चाहते थे लेकिन अध्यक्ष हृदय नारायण दीक्षित ने इसकी अनुमति नहीं दी।
कांग्रेस सदस्यों ने कहा कि इस मुद्दे पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को माफी मांगनी चाहिए। इसके बाद वे सदन से बहिर्गमन कर गये। लल्लू ने बाद में संवाददाताओं से कहा कि मुख्यमंत्री योगी और प्रधानमंत्री नरेनद्र मोदी को देश की जनता से माफी मांगनी चाहिए। उन्होंने आगरा की घटना को लेकर योगी का इस्तीफा मांगा।
मिजोराम पीपुल्स मूवमेंट (जेडपीएम) के नेता ललदुहोमा ने 28 नवंबर को हुए विधानसभा चुनावों में जीती गई दो में से एक सीट छोड़ दी है। विधानसभा सचिव एसआर जोखुमा ने बृहस्पतिवार को बताया कि जेडपीएम नेता ने सेरछिप सीट अपने पास रखते हुए पश्चिमी आइजोल-1 सीट छोड़ने का फैसला लिया है। जोखुमा ने बताया कि ललदुहोमा ने बुधवार को पश्चिमी आइजोल-1 सीट से बुधवार को इस्तीफा दे दिया जिसके बाद विधानसभा सचिवालय ने एक अधिसूचना जारी की।
आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि इस सीट पर उपचुनाव अगले साल लोकसभा चुनावों के साथ हो सकता है। जेडपीएम ने इससे पहले इस हफ्ते एक बयान जारी कर कहा था कि सेरछिप सीट रखने का फैसला ललदुहोमा ने वरिष्ठ नेताओं के साथ राय-मश्विरा करने के बाद लिया।
जेडपीएम नेता ने सेरछिप सीट को जीतने के लिए पांच बार के मुख्यमंत्री रहे लल थनहवला को 410 मतों के अंतर से हराया था। वहीं पश्चिमी आइजोल-1 सीट से उन्होंने पूर्व मंत्री एवं मिजो नेशनल फ्रंट (एमएनएफ) के संगथुआमा को 1,060 के भारी मतों के अंतर से हराया था।
मध्य प्रदेश में कांग्रेस को सत्ता संभाले अभी 100 घंटे भी पूरे नहीं हुए हैं और पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को अंदेशा होने लगा है कि यह सरकार शायद पांच साल भी पूरे न कर पाए और उनकी (चौहान) पांच साल से पहले ही वापसी का मार्ग प्रशस्त हो जाए। पूर्व मुख्यमंत्री चौहान ने बुधवार की रात को मुख्यमंत्री आवास पर अंतिम कार्यक्रम में अपने विधानसभा क्षेत्र बुधनी से आए लोगों को संबोधित किया। उन्होंने कहा कि किसी को चिंता करने की जरूरत नहीं है, टाइगर अभी जिंदा है।
चौहान बोल ही रहे थे, तभी पीछे से आवाज आई कि पांच साल बाद फिर लौटेंगे तो चौहान बोले 'हो सकता है पांच भी पूरे न लगें।' चौहान ने लोगों को भरोसा दिलाया, "कोई भी चिंता मत करना कि हमारा क्या होगा, मै हूं न शिवराज सिंह चौहान, टाइगर अभी जिंदा है।"
उल्लेखनीय है कि राज्य में कांग्रेस को दूसरे दलों के सहयोग से सत्ता मिली है। बहुमत के जादूई आंकड़ों से कांग्रेस के पास दो सीटें कम हैं। बसपा, सपा और निर्दलीय के समर्थन से कांग्रेस के साथ 121 सदस्य हो गए हैं। 230 विधानसभा सीटों वाले सदन में भाजपा के 109 सदस्य है।
संसद के निचले सदन लोकसभा की कार्यवाही विपक्ष के विरोध के चलते गुरुवार को दोपहर 12 बजे तक के लिए स्थगित कर दी गई। जैसे ही सदन की कार्यवाही शुरू हुई, कांग्रेस, एआईएडीएमके, तेलुगू देशम पार्टी (तेदेपा) के सदस्य लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन के आसन के पास इकट्ठा हो गए और नारेबाजी करने लगे। कांग्रेस फ्रांस से 36 लड़ाकू विमान खरीदने की प्रक्रिया की संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) से जांच कराने की मांग करने लगे तो एआईएडीएमके की मांग रही कि मेकेदातु पर कावेरी नदी पर बांध के निर्माण का प्रस्ताव कर्नाटक सरकार वापस ले।
तेदेपा सांसदों ने आंध्र प्रदेश को विशेष राज्य का दर्जा देने के लिए नारेबाजी की। हंगामे के बीच लोकसभा अध्यक्ष ने प्रश्नकाल शुरू करना चाहा लेकिन वह इसमें असफल रही। इसके बाद लोकसभा अध्यक्ष ने सदन की कार्यवाही दोपहर 12 बजे तक के लिए स्थगित कर दी।
मुख्य चुनाव आयुक्त (सीईसी) सुनील अरोड़ा ने विभिन्न राजनीतिक दलों द्वारा ईवीएम की विश्वसनीयता पर सवाल उठाये जाने पर दुख व्यक्त करते हुये कहा है कि मतदान की यह सर्वाधिक विश्वसनीय पद्धति है क्योंकि मशीन गलत रखरखाव की शिकार तो हो सकती है लेकिन इसमें छेड़छाड़ मुमकिन ही नहीं है। उन्होंने कहा मुझे इस बात से मुझे क्षोभ होता है, हमने ईवीएम को ‘फुटबॉल’ बना दिया।’’ किसी दल विशेष के पक्ष में चुनाव परिणाम नहीं आने पर इसका ठीकरा ईवीएम पर फोड़ने की प्रवृत्ति के बारे में अरोड़ा ने दलील दी कि 2014 के लोकसभा चुनाव का परिणाम, इसके बाद हुये दिल्ली विधानसभा चुनाव के परिणाम एक दूसरे से बिल्कुल विपरीत थे।
इसके बाद भी हिमाचल प्रदेश, गुजरात, कर्नाटक, त्रिपुरा और अब पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव तथा तमाम उपचुनाव के परिणाम बिल्कुल भिन्न रहे। अरोड़ा ने राजनीतिक दलों द्वारा चुनाव परिणाम की व्याख्या अपनी सुविधानुसार करने का जिक्र करते हुये कहा ‘‘ईवीएम महज एक मशीन है जो आंकड़े दर्ज कर उनकी गिनती करती है। मशीन में खास प्रोग्रामिंग कर विशेष परिणाम हासिल करने की संभावना को मैं पूरी तरह से नकार सकता हूं।
मध्य प्रदेश में भले ही सत्ता बदल गई हो लेकिन उन प्रशासनिक अफसरों का जलवा बरकरार है, जो शिवराज सरकार में कद्दावर हुआ करते थे। बुधवार को सात वरिष्ठ अधिकारियों की पदस्थापना का आदेश जारी हुआ, जिसमें छह अधिकारी लगभग पूर्ववत हैं और एक अधिकारी को सक्षम विभाग की कमान सौंपी गई है। राज्य में बुधवार को पांच भारतीय प्रशासनिक सेवा के वरिष्ठ अधिकारियों की पदस्थापना हुई। इसमें अशोक बर्णवाल मुख्यमंत्री के प्रमुख सचिव बने रहेंगे, वहीं लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग के प्रमुख सचिव प्रमोद अग्रवाल को नगरीय विकास व आवास विभाग का प्रमुख सचिव बनाया गया है।
राज्य शासन की ओर से जारी एक आदेश में नगरीय विकास व आवास विभाग के प्रमुख सचिव विवेक अग्रवाल को लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग का प्रमुख सचिव बनाया गया है। हरिरंजन राव पर्यटन विभाग के प्रमुख सचिव के साथ तकनीकी शिक्षा, कौशल विकास एवं रोजगार विभाग की जिम्मेदारी संभालेंगे। वहीं जनजातीय कार्य विभाग की सचिव रेनू तिवारी को संस्कृति विभाग का आयुक्त बनाया गया है।
जम्मू एवं कश्मीर में बुधवार आधी रात से राष्ट्रपति शासन लागू हो गया है। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने राज्यपाल सत्यपाल मलिक की सिफारिश पर इस बाबत एक घोषणा-पत्र पर हस्ताक्षर कर दिया है। केंद्रीय गृह मंत्रालय के अधिकारियों ने कहा कि कोविंद ने राज्य के राज्यपाल की एक रपट पर मंत्रालय की तरफ से भेजे गए एक प्रस्ताव के आधार पर घोषणा-पत्र पर हस्तार कर दिए हैं।
इस वर्ष जून में राज्य में लागू राज्यपाल शासन की अवधि बुधवार को समाप्त हो गई। इस साल जून में राज्य में उस समय राजनीतिक संकट पैदा हो गया था, जब पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी के नेतृत्व वाली गठबंधन सरकार से भाजपा अलग हो गई थी। पिछले महीने मलिक ने राज्य विधानसभा को भंग कर दिया था, जिसे निलंबित अवस्था में रखा गया था।
जम्मू एवं कश्मीर संविधान के प्रावधानों के तहत राष्ट्रपति की सहमति से राज्यपाल शासन छह महीने के लिए लगाया जा सकता है। संविधान में जम्मू एवं कश्मीर के लिए विशेष दर्जा दिया गया है।
राजस्थान के डिप्टी सीएम प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष सचिन पायलट ने कहा है कि उनकी सरकार ने चुनावों में पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी द्वारा किए गए वादे को बगैर देरी पूरा किया है। पार्टी की कथनी और करनी में कभी अंतर नहीं रहा। कांग्रेस जो कहती है वह करती है। पायलट के मुताबिक, राहुल के निर्देश पर मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ की सरकारों ने दो लाख तक की ऋण माफी पहले ही कर दी थी और आज हमारी सरकार ने भी यह कदम उठाकर अपना संकल्प पूरा किया है। पार्टी की सोच सदैव गांव, गरीब और किसान को भी विकास की प्रक्रिया के साथ सतत जोड़े रखने की रही है।
बकौल डिप्टी-सीएम, "आज प्रदेश का किसान केंद्र की भाजपा सरकार की किसान विरोधी नीतियों के कारण पीड़ा में है, हमारी सरकार अपना दायित्व समझती है कि किसानों को एक बार राहत मिले जिससे वे नए सिरे से शुरुआत कर सकें।" पायलट ने एक बयान में कहा कि भाजपा सरकार ने अनेक शर्तों के साथ जिस 50 हजार रुपए की कर्जमाफी की घोषणा की थी वह खोखली साबित हुई।