बीजेपी का संकट: शाहनवाज हुसैन का कॅरिअर खतरे में, जीती सीट जाने से गिरिराज नाराज
Lok Sabha Elections 2019: हुसैन ऐसे एकलौते नेता नहीं हैं जिन्हें सीट बंटवारे की वजह से टिकट नहीं मिलता नजर आ रहा। भाजपा-जेडीयू-एलजेपी गठबंधन के चलते अपने बयानों से सुर्खियों में रहने वाले नवादा से सांसद गिरिराज सिंह को भी निराशा हाथ लगी है।

Lok Sabha Elections 2019: बिहार में जेडीयू से गठबंधन के चलतेे बीजेपी को पांच मौजूदा सीटें खोनी पड़ी हैं। पार्टी ने पिछले चुनाव में 22 सीटें जीती थीं, पर इस बार 17 सीटों पर ही उम्मीदवार उतारने का मौका मिल रहा है। इस वजह से भाजपा की मुसीबत तो बढ़ी हुई है ही, कुछ नेताओं पर भी संकट आ गया है। ऐसे ही नेताओं में शाहनवाज हुसैन का भी नाम है। हुसैन भागलपुर से लोकसभा चुनाव का टिकट पाने की उम्मीदें पाले बैठे थे, लेकिन समझौते में यह सीट भाजपा के हाथ से निकल गई। भागलपुर से जदयू उम्मीदवार उतारेगी।
कॅरिअर खतरे में: हुसैन भागलपुर से सांसद रह चुके हैं। पिछली बार राजद के शैलेष कुमार उर्फ बुलो मंडल के हाथों हार गए थे। इस बार भी उन्हें टिकट की आस थी। लिहाजा वह चुनाव से काफी पहले से ही क्षेत्र में सक्रिय हो गए थे। यह सीट भाजपा के खाते से चले जाने के बाद चर्चा है कि हुसैन को अररिया से टिकट देने के विकल्प पर विचार हुआ। लेकिन, वहां के मतदाताओं का जातिगत समीकरण देखते हुए बीजेपी उम्मीदवार की जीत की कम संभावना के मद्देनजर बात नहीं बनी। इस समय अररिया से राजद का सांसद है। ऐसे में शाहनवाज हुसैन का संसदीय कॅरिअर ही खतरे में पड़ता दिख रहा है।
शाहनवाज हुसैन भाजपा के वरिष्ठ नेता और प्रमुख मुस्लिम चेहरे हैं। 13वीं, 14वीं और 15वीं लोकसभा में वह पार्टी के प्रमुख मुस्लिम चेहरों में थे। अटल बिहारी वाजपेयी ने उन्हें अपनी सरकार में मंत्री भी बनाया था। फिलहाल वह सेंट्रल इलेक्शन कमिटी (CEC) के सदस्य हैं। टीवी चैनलों पर भाजपा का पक्ष रखने वाले चर्चित चेहरे हैं। इन सबके बावजूद लगता है वह ‘सबका साथ, सबका विकास’ के पार्टी के एजेंडे से बाहर रह गए।
गिरिराज भी नाराज! सीट बंटवारे पर समझौते के तहत केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह की सीट लोक जनशक्ति पार्टी (एलजेपी) के खाते में चली गई है। वह नवादा से सांसद हैं और वहीं से लड़ना चाहते हैं। पर, अब यह विकल्प बचा नहीं। बताया जाता है कि उन्होंने पार्टी हाईकमान को संकेत दिया था कि नवादा से टिकट नहीं मिलने की स्थिति में चुनाव लड़ना ही नहीं चाहेंगे। लेकिन, चर्चा है कि उन्हें बेगुसराय की सीट ऑफर की गई है।
उग्र बयानों से अक्सर सुर्खियों में रहने वाले गिरिराज सिंह को की नाराजगी इस वजह से भी बताई जाती है कि पिछली बार वह बेगूसराय से चुनाव लड़ना चाहते थे तब उन्हें नवादा का टिकट दिया गया था। अब वह यह सीट छोड़ना नहीं चाह रहे तो सहयोगी को दे दी गई।
कौन सीट किसके खाते में: बिहार में 40 सीटें हैं। भाजपा और जदयू 17-17 सीटों पर लड़ रही हैं। 6 सीटें राम विलास पासवान की लोजपा को दी गई हैं। नीतीश कुमार की पार्टी जदयू पिछले लोकसभा चुनाव में भाजपा से अलग होकर उतरी थी और केवल दो सीटें जीत सकी थी। इस बार जदयू को भाजपा और लोजपा के साथ इन 17 सीटों पर उम्मीदवार उतारने का मौका मिला है: कटिहार, पूर्णिया, गोपालगंज, सीवान, भागलपुर, बांका, मुंगेर, नालंदा, काराकाट, गया, जहानाबाद, सुपौल, किशनगंज, मधेपुरा, वाल्मीकि नगर, सीतामढ़ी, झंझारपुर।
भारतीय जनता पार्टी के खाते में पश्चिमी चंपारण, पूर्वी चंपारण, महाराजगंज, मधुबनी, अररिया, दरभंगा, मुजफ्फरपुर, सारण, उजियारपुर, बेगूसराय, पटना साहिब, पाटलिपुत्र, आरा, शिवहर, बक्सर, सासाराम और औरंगाबाद।
एलजेपी को जो 6 सीट मिली हैं उनमें वैशाली, समस्तीपुर, हाजीपुर, खगड़िया, जमुई और नवादा शामिल हैं।