Lok Sabha Election 2019: गिरिराज सिंह के खिलाफ लड़ रहे कन्हैया कुमार ने 28 घंटे में जुटाए 28 लाख, गुजरात से जिग्नेश मेवानी भी पहुंचे बेगूसराय
Lok Sabha Election 2019 (लोकसभा चुनाव 2019): माना जा रहा है कि इस सीट पर मुकाबला त्रिकोणीय हो सकता है क्योंकि गठबंधन की तरफ से राजद के तनवीर हसन के भी मैदान में उतरने की संभावना है। फिलहाल राजद ने उम्मीदवार का एलान नहीं किया है।

Lok Sabha Election 2019: बिहार के बेगूसराय के चुनावी मुकाबले में रंग जमने लगा है। भाजपा उम्मीदवार गिरिराज सिंह जहां अभी भी नवादा से टिकट नहीं दिए जाने के कारण पार्टी से नाराज बताए जाते हैं , वहीं भाकपा उम्मीदवार कन्हैया कुमार ने तैयारी तेज कर दी है। वह जहां चंदा जुटाने में जुट गए हैं, वहीं फेसबुुुक के जरिए भी ताबड़तेाड़ प्रचार कर रहे हैं। बताया जाता है कि उन्होंने 28 घंटे में 28 लाख रुपए जुटा लिए हैं। गुजरात से जिग्नेश मेवानी भी उनकी मदद के लिए बेगूसराय पहुंच गए हैं।
कन्हैया ने फेसबुक के जरिए मेवानी के बेगूसराय पहुंचने की जानकारी दी और अपने समर्थकों से मदद के लिए पहुंचने की अपील की। वह जहां लोगों से मेलजोल कर रहे हैं, वहीं लगाताार फेसबुक पर भी अपना भाषण अपलोड कर रहे हैं।
बिहार के बेगूसराय संसदीय सीट पर इस बार के आम चुनाव में सभी की निगाहें टिकी हैं। भाजपा ने जहां केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह को उम्मीदवार बनाया है, वहीं, सीपीआई ने जेएनयू छात्र संघ के पूर्व अध्यक्ष कन्हैया कुमार को उतारा है। पहले यह चर्चा थी कि कन्हैया विपक्षी महागठबंधन के उम्मीदवार होंगें लेकिन जब महागठबंधन में सीपीआई को शामिल नहीं किया गया तब पार्टी ने कन्हैया को उतार दिया।
माना जा रहा है कि इस सीट पर मुकाबला त्रिकोणीय हो सकता है क्योंकि गठबंधन की तरफ से राजद के तनवीर हसन के भी मैदान में उतरने की संभावना है। फिलहाल राजद ने उम्मीदवार का एलान नहीं किया है। उधर, गिरिराज सिंह भी बेगूसराय नहीं आना चाहते थे लेकिन उनकी संसदीय सीट नवादा लोजपा को दे दिए जाने के बाद पार्टी ने उन्हें बेगूसराय भेजा है। गिरिराज इस पर अपनी नाराजगी जता चुके हैं।
2014 के चुनाव में बेगूसराय से भाजपा के भोला सिंह ने जीत दर्ज की थी। उनके निधन की वजह से फिलहाल ये सीट खाली है। इससे पहले 2009 से 2014 तक भोला सिंह नवादा के सांसद थे और 2014 में बेगूसराय आए थे। भोला सिंह मूलत: बेगूसराय के ही रहनेवाले थे। गिरिराज सिंह बेगूसराय से सटे लखीसराय जिले के निवासी हैं। भोला सिंह से पहले 2009 और 2004 में इस सीट से जेडीयू ने जीत दर्ज की थी जबकि 1999 में राजद के राजवंशी महतो जीते थे।
वैसे तो बेगूसराय के लेफ्ट का गढ़ कहा जाता है लेकिन 1967 के आम चुनाव को छोड़ दें तो इसके अलावा कभी भी कोई वामपंथी उम्मीदवार यहां से नहीं जीत सका है। अगर कन्हैया जीतते हैं तो 52 वर्षों बाद बिहार के लेनिनग्राद में लाल पताका फहराएगा।
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