Lok Sabha Election 2019: सोनिया गांधी के खिलाफ लड़ेंगे उन्हीं के करीबी, दिलचस्प होगी रायबरेली की जंग
Lok Sabha Election 2019 (लोकसभा चुनाव 2019): बीजेपी ने रायबरेली से यूपीए अध्यक्ष सोनिया गांधी के खिलाफ कभी उनके ही करीबी रहे एमएलसी दिनेश प्रताप सिंह को टिकट दिया है। राजनीतिक पंडितों की निगाहें इस वीआईपी सीट पर लगी हैं कि किसका पलड़ा भारी रहेगा?

Lok Sabha Election 2019: लोकसभा चुनाव 2019 के मद्देनजर बीजेपी ने कांग्रेस को उसी के गढ़ में घेरने की तैयारी की है। पहले अमेठी से कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के खिलाफ केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी को दोबारा मैदान में उतारा। इसके बाद रायबरेली से यूपीए अध्यक्ष सोनिया गांधी के खिलाफ कभी उनके ही करीबी रहे एमएलसी दिनेश प्रताप सिंह को टिकट दे दिया। 15 अप्रैल को सोनिया गांधी के खिलाफ नामांकन दाखिल करते हुए दिनेश प्रताप ने अपनी जीत का दावा किया। अगर आंकड़ों पर गौर करें तो अभी तक सोनिया को रायबरेली से कोई भी उम्मीदवार टक्कर नहीं दे पाया है। यहां तक 2014 की ‘मोदी लहर’ में भी कांग्रेस ने यहां साढ़े तीन लाख से अधिक वोटों से जीत दर्ज की थी। बता दें कि बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह की मौजूदगी में पिछले साल ही दिनेश प्रताप बीजेपी में शामिल हुए थे। ऐसे में राजनीतिक पंडितों की निगाहें इस वीआईपी सीट पर लगी हुईं हैं कि आखिर इस बार के चुनाव में किसका पलड़ा भारी रहेगा?
कौन हैं बीजेपी प्रत्याशी दिनेश प्रताप: बता दें कि रायबरेली लोकसभा सीट से सोनिया गांधी को चुनौती देने के लिए बीजेपी ने इस बार एमएलसी दिनेश प्रताप सिंह को मैदान में उतारा है। बात अगर उनके राजनीतिक कद की करें तो उनके एक भाई राकेश प्रताप सिंह कांग्रेस के टिकट पर अभी भी हरचंदपुर से विधायक हैं और दूसरे भाई रायबरेली जिला पंचायत के अध्यक्ष हैं। खुद दिनेश प्रताप दो बार से एमएलसी हैं। बता दें कि दिनेश प्रताप को कभी सोनिया गांधी का करीबी माना जाता था। उनके घर ‘पंचवटी’ से जिले में कांग्रेस की रणनीति तय की जाती थी, लेकिन पिछले साल उन्होंने एक पत्र जारी किया, जिसमें उन्होंने कहा कि पंचवटी अब कांग्रेस की नहीं रही। इसके कुछ समय बाद वह बीजेपी में शामिल हो गए। दिनेश प्रताप सिंह ने हाल ही में कहा था कि रायबरेली में कांग्रेस जब खुद लड़ती है तो उसे 10 से 20 हजार से ज्यादा वोट नहीं मिलते हैं। यहां सोनिया गांधी अपने सिवा किसी को दूसरे को सांसद, विधायक, एमएलसी और पंचायत प्रमुख का चुनाव तक नहीं जिता पाती हैं।
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नामांकन के बाद लोगों ने कही यह बात: बता दें कि बीजेपी प्रत्याशी दिनेश प्रताप सिंह ने 15 अप्रैल को, जबकि सोनिया गांधी ने इसके पहले 11 अप्रैल को नामांकन दाखिल किया था। दोनों ही दलों ने अपने-अपने नामांकन में भारी भीड़ उमड़ने का दावा किया। इस दौरान दोनों प्रत्याशियों की रैली के वक्त मौजूद रहे स्थानीय निवासी शैलेष अवस्थी कहते हैं कि सोनिया गांधी के नामांकन के मुकाबले बीजेपी प्रत्याशी के नामांकन में भीड़ थोड़ी कम रही, लेकिन लोगों के जोश और दिनेश प्रताप की सभाओं में उमड़ती भीड़ को देखकर लगता है कि दोनों के बीच कड़ा मुकाबला देखने को मिल सकता है। दिनेश प्रताप रायबरेली में सोनिया गांधी को कितनी टक्कर दे पाएंगे के सवाल पर उन्होंने कहा कि भले ही सोनिया जी का नाम बड़ा हो लेकिन दिनेश प्रताप की भी गांव-देहात में मजबूत पकड़ है। एमएलसी के तौर पर जिले के तमाम ब्लॉकों और गांवों में उन्होंने अच्छी पैठ बनाई है। जिला पंचायत अध्यक्ष भाई ने भी इसमें खासी भूमिका निभाई है।
बीजेपी के कार्यकाल में नहरों में आया पानी : जिले के ही गौरव अवस्थी कहते हैं कि बीजेपी उम्मीदवार को अपनी ही पार्टी में आपसी गुटबाजी से नुकसान उठाना पड़ सकता है। उनका मानना है कि यहां बीजेपी में गुटबाजी चरम पर है। ऐसे में स्थानीय उम्मीदवार को नुकसान उठाना पड़ सकता है। इस बार के प्रमुख मुद्दों में यूपीए सरकार द्वारा चलाई गई योजना को बीजेपी के कार्यकाल के दौरान रायबरेली में गति नहीं मिलना शामिल है। हालांकि, खास बात भी कही कि जिले में सरेनी-सतांव क्षेत्र की नहरें, जो दशकों से सूखी पड़ी हुई थीं, उनमें बीजेपी के कार्यकाल के दौरान ही पानी आया।
सिर्फ हार का अंतर कम कर पाएगी बीजेपी : गौरव बताते हैं कि नहरों में पानी का मुद्दा सोनिया गांधी के सामने भी उठाया गया था, तब इसका कुछ खास असर नहीं हुआ। पिछले साल ही इन नहरों में लबालब पानी भर गया। गौरतलब है कि यह भी एक चुनावी मुद्दा है, जिसको बीजेपी प्रत्याशी दिनेश प्रताप भुनाने की कोशिश कर रहे हैं। उनके मुताबिक, नहरों में पानी लाने के लिए उन्होंने काफी मेहनत की। इसका परिणाम हुआ कि अब इन नहरों में दशकों बाद पानी आया, जिससे किसानों को भारी लाभ हुआ। स्थानीय निवासी धैर्य शुक्ल का मानना है कि कांग्रेस उम्मीदवार सोनिया गांधी के सामने बीजेपी के दिनेश प्रताप सिंह कहीं नहीं टिक पाएंगे, क्योंकि जमीनी स्तर पर उनकी उतनी पकड़ नहीं है। धैर्य आगे कहते हैं कि बीजेपी चुनावों में हार का अंतर तो कम कर सकती है, लेकिन चुनाव नहीं जीत सकती।
बीजेपी के दिग्गजों ने किया रायबरेली में दौरा: रायबरेली सीट पर कांग्रेस को घेरने के लिए बीजेपी ने काफी पहले से ही तैयारी शुरू कर दी थी। इसकी पहली बानगी उस वक्त देखने को मिली, जब दिनेश प्रताप कांग्रेस छोड़ बीजेपी में शामिल हुए। जिस समय वह बीजेपी में शामिल हो रहे थे, उस वक्त रायबरेली में उनके साथ मंच पर बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह और सीएम योगी आदित्यनाथ मौजूद थे। वहीं, बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र नाथ पांडेय, डिप्टी सीएम दिनेश शर्मा और योगी कैबिनेट के कई मंत्री भी मौजूद रहे। इसके बाद पिछले साल पीएम नरेंद्र मोदी ने लालगंज की रेल कोच फैक्ट्री में एक जनसभा कर सीधे गांधी परिवार पर हमला बोला था। इससे यह साफ हो गया कि लोकसभा चुनाव 2019 में बीजेपी इस बार आसानी से कांग्रेस के गढ़ को हाथ से नहीं जाने देगी। रायबरेली में अभी कुछ दिन पहले ही गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने एक रैली को संबोधित किया और कहा बीजेपी प्रत्याशी भले ही उम्र में छोटे हैं, लेकिन अनुभव में बड़े हैं। 23 अप्रैल को केंद्रीय मंत्री उमा भारती ने भी जिले में बीजेपी प्रत्याशी के पक्ष में रैली की। लोगों का मानना है कि ऐसा काफी अरसे बाद हो रहा है, जब बीजेपी इतने आक्रामक तरीके से जिले में प्रचार कर रही है।
पूर्व बीजेपी प्रत्याशी ने खोला पार्टी के खिलाफ मोर्चा: एक ओर बीजेपी सोनिया गांधी को चुनौती देने के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगा रही है तो दूसरी ओर टिकट कटने से नाराज पूर्व बीजेपी प्रत्याशी अजय अग्रवाल अपनी ही पार्टी के खिलाफ बयानबाजी कर रहे हैं। उनका दावा है कि टिकट कटने से व्यापारी वर्ग में काफी नाराजगी है। उन्होंने हाल ही में पत्र के माध्यम से बीजेपी की जमकर आलोचना की थी। ऐसे में देखना होगा एक पूर्व प्रत्याशी की नाराजगी से पार्टी को कितना नुकसान होगा।