2022 में हुए चुनावों में बीजेपी ने भले ही चार सूबों को फतह करके सभी को लाजवाब कर दिया। लेकिन सिक्के का दूसरा पहलू ये भी है कि बेहतरीन जीत के बावजूद भी यूपी में उसका वोट शेयर 2017 की तुलना में ज्यादा नहीं बढ़ सका। जबकि उत्तराखंड में उसका वोट शेयर पहले की तुलना में गिरा है। वोट शेयर के मामले में बीजेपी के मुकाबले यूपी में सपा और उत्तराखंड में कांग्रेस को काफी फायदा मिला है।
यूपी की बात की जाए तो 2017 में बीजेपी को कुल 39.67 फीसदी वोट मिले। इस बार उसका वोट शेयर 41.29 रह गया। बीजेपी ने इस बार 255 सीटों पर जीत हासिल की। सपा की बात करें तो इस बार 111 सीटें जीतने वाली अखिलेश यादव की पार्टी का वोट शेयर 10.25 फीसदी बढ़ा। 2017 में सपा को 21.82 फीसदी वोट मिल सके थे। यहां बीएसपी के वोट शेयर में 9.35 फीसदी की गिरावट आई। जबकि कांग्रेस को पिछले चुवनाव के मुकाबले 3.91 फीसदी का नुकसान हुआ। जयंत चौधरी की रालोद को इस बार 2.85 फीसदी वोट मिले। उनके वोट शेयर में 1.07 फीसदी का इजाफा हुआ है।
उत्तराखंड में बीजेपी को वोट शेयर के मामले में 2.18 फीसदी का नुकसान हुआ है। पार्टी को इस बार 44.33 फीसदी वोट मिले। 2017 में बीजेपी का वोट शेयर 46.51 फीसदी था। कांग्रेस को इस बार 4.42 फीसदी का फायदा रहा। 2017 में उसे 33.49 फीसदी वोट मिले थे। इस बार पार्टी का कुल वोटों में हिस्सा 37.91 फीसदी हो गया। यूपी की तरह से उत्तराखंड में भी मायावती को भारी नुकसान हुआ। उनके वोट शेयर में 2.16 फीसदी की चिंताजनक कमी देखने को मिल रही है।
पंजाब की बात करें तो केजरीवाल की पार्टी को जबरदस्त फायदा मिला। उसके वोट शेयर में 18.30 फीसदी की बढ़ोतरी हुई। उसे इस बार 92 सीटों पर जीत मिली है। आप को 2017 में 23.71 फीसदी वोट मिले थे। कांग्रेस की बात की जाए तो उसे गहरा झटका लगा है। पिछली बार उसे 38.50 फीसदी वोट मिले थे। इस बार ये 15.52 गिरकर 22.98 फीसदी रह गए। किसान आंदोलन के बावजूद बीजेपी को पंजाब में 1.21 फीसदी का फायदा मिला। बसपा भी .26 के फायदे में रही है।
उधर, गोवा में भी बीजेपी ने 20 सीटें जीतकर वोट शेयर में .83 फीसदी की बढ़ोतरी की है। पहले उसे 33.31 फीसदी वोट मिले थे। इस बार उसे 33.31 फीसदी वोट मिले। कांग्रेस को यहां 4.89 फीसदी वोट शेयर का नुकसान झेलना पड़ा है।
NOTA में पड़े वोट कुछ राजनीतिक दलों से ज्यादा
यूपी चुनाव की एक खास बात और रही। नोटा का ऑप्शन जितने लोगों ने इस्तेमाल किया वो संख्य़ा कुछ बड़े राजनीतिक दलों को मिले वोटों से ज्यादा है। नोटा के तहत कुल .69 फीसदी लोगों ने वोट किए। अरविंद केजरीवाल की आप का वोट शेयर देखा जाए तो उसे कुल .35 फीसदी, जदयू को .11 फीसदी वोट ही मिल सके। AIMIM को मिले वोट भी नोटा से काफी कम हैं। ओवैसी की पार्टी को .47 फीसदी वोट ही मिल सके। वाम दलों की बात की जाए तो माकपा को .07 फीसदी वोट मिले। जबकि उद्धव ठाकरे की शिवसेना को .03 और शरद पवार की रांकापा को .05 फीसदी वोट ही मिले।