Loksabha Election: 2014 के बाद आधा दर्जन दलों का बदल गया शीर्ष नेतृत्व, कहीं बाप से बेटे ने छीनी कमान, कहीं हुआ घमासान
Lok Sabha Election Chunav 2019 Date, Schedule: 2014 के आम चुनावों में कांग्रेस की कमान सोनिया गांधी के हाथों में थी लेकिन अब स्थिति बदल चुकी है। सोनिया गांधी के बेटे राहुल गांधी पार्टी अध्यक्ष हैं।

Loksabha Election: चुनाव आयोग ने 2019 के आम चुनावों की तारीखों का ऐलान कर दिया है। कुल 7 चरणों में लोकसभा की कुल 543 सीटों पर चुनाव होने हैं। पिछली बार साल 2014 में 16वीं लोकसभा का चुनाव हुआ था। इन पांच वर्षों में राजनीतिक परिस्थितियों से लेकर राजनीतिक नेतृत्व तक में बड़ा बदलाव आया है। करीब आधा दर्जन दलों के अध्यक्ष बदल चुके हैं। कुछ की मौत हो चुकी है तो कुछ दलों का नेतृत्व दूसरी पीढ़ी ने संभाल लिया है। बात करें सत्तारूढ़ दल भाजपा की तो साल 2014 में राजनाथ सिंह पार्टी के अध्यक्ष थे जो आज केंद्र सरकार में गृह मंत्री हैं। अब भाजपा की कमान पीएम नरेंद्र मोदी के विश्वस्त अमित शाह के हाथों में हैं। भाजपा पर यह भी आरोप लगते रहे हैं कि इन पांच सालों में पार्टी टू-मैन आर्मी हो चुकी है, जबकि पूर्व में भाजपा को पार्टी विद डिफरेंसेज कहा जाता था।
2014 के आम चुनावों में कांग्रेस की कमान सोनिया गांधी के हाथों में थी लेकिन अब स्थिति बदल चुकी है। सोनिया गांधी के बेटे राहुल गांधी पार्टी अध्यक्ष हैं। राहुल गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस ने विधानसभा चुनाव में हिंदी पट्टी के तीन राज्य छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश और राजस्थान में शानदार वापसी की। मध्य प्रदश में जहां डेढ़ दशक बाद कांग्रेस की सरकार बनी तो छत्तीसगढ़ में भी पार्टी को पूर्ण बहुमत मिला। राजस्थान में भी लोगों ने ‘हाथ का साथ’ दिया। लोकसभा चुनाव 2019 से पहले तीन राज्यों में मिली कामयाबी के बाद कांग्रेस का मनोबल बढ़ा हुआ है। शायद यही वजह रही कि कांग्रेस ने सबसे अधिक सीटों वाले राज्य उत्तर प्रदेश में सपा और बसपा द्वारा कम सीटों की पेशकश के बाद गठबंधन से इंकार कर दिया। सभी सीटों पर अकेले चुनाव लड़ने का फैसला किया गया। चुुनाव के मद्देनजर राहुल गांधी ने बहन प्रियंका गांधी को पार्टी महासचिव बनाते हुए उन्हें उत्तर प्रदेश पूर्व की कमान सौंपी है।
उत्तर प्रदेश की सियासत में दबदबा रखने वाली समाजवादी पार्टी की कमान पिछले लोकसभा चुनाव के समय मुलायम सिंह यादव के हाथों में थी। अब मुलायम सिंह के बेटे अखिलेश यादव पार्टी चला रहे हैं। इस बार के लोकसभा चुनाव में पीएम मोदी को रोकने के लिए उन्होंने बसपा सुप्रीमो मायावती के साथ गठबंधन किया है। इसमें उनके साथ राष्ट्रीय लोक दल भी है। हालांकि, 2017 विधानसभा चुनाव से पहले एक नाटकीय घटनाक्रम में अखिलेश यादव ने सपा की कमान अपने पिता मुलायम सिंह यादव से छीन अपने हाथों में ले ली। आनन-फानन में बुलायी गई पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में मुलायम सिंह यादव को अध्यक्ष पद से हटा संरक्षक बना दिया गया था। बाद में पिता-पुत्र के बीच का घमासान चुनाव आयोग तक पहुंच गया था। आखिरकार बेटे की जिद पूरी हुई।
दक्षिण भारत की प्रमुख पार्टी डीएमके की कमान 2014 के चुनाव में तमिलनाडु के पूर्व मुख्यमंत्री एम. करुणानिधि के हाथों में थी। करुणानिधि के निधन के बाद पार्टी को अब उनके बेटे एम के स्टालिन संभाल रहे हैं। 2014 के आम चुनाव में एआईएडीएमके प्रमुख जयललिता थीं। उनके निधन के बाद कुछ समय के लिए उनकी करीबी शशिकला ने पार्टी की कमान संभाली थी लेकिन अभी पन्नीरसेल्वम इसके प्रमुख हैं। यहां भी पार्टी की कमान अपने हाथों में लेने के लिए काफी घमासान हुआ था।
बात अब 40 लोकसभा सीटों वाले राज्य बिहार की करें तो यहां जनता दल यूनाइटेड और राजद दो प्रमुख क्षेत्रीय पार्टियां हैं। पिछले लोकसभा चुनाव के दौरान यहां एनडीए (भाजपा, लोजपा, रालोसपा), जदयू तथा यूपीए (राजद, कांग्रेस व अन्य) के बीच मुख्य मुकाबला हुआ था। उस समय एनडीए गठबंधन ने राज्य की 40 में से 31 सीटें जीती थी। तब जदयू के अध्यक्ष शरद यादव और राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव थे। अब स्थिति बदल चुकी है। शरद यादव को जदयू से बाहर निकाला जा चुका है। जदयू की कमान बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के हाथों में है। नीतीश कुमार अब एनडीए गठबंधन में शामिल हो चुके हैं। रालोसपा राजद तथा कांग्रेस के साथ महागठबंधन में है। वहीं, राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव जेल में हैं। हालांकि, वे राजद का अध्यक्ष बने हुए हैं लेकिन जमीन पर काम उनके बेटे तेजस्वी यादव कर रहे हैं। शरद यादव भी महागठबंधन में शामिल हो चुके हैं।