उत्तराखंड: उत्तराखंड के लिए जारी किए गए 64 नामों में से उन सभी कांग्रेसी बागियों को इनाम दिया गया है जो पिछले साल- दो साल में भाजपा में शामिल हुए थे। इसके तहत या तो उन्हें टिकट दिया गया है या फिर उनके करीबी परिजनों को। नड्डा ने बताया कि पार्टी के सभी वर्तमान विधायकों और जो कांग्रेस से आए हैं उन्हें टिकट दिया गया है। पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के बागी विजय बहुगुणा के बेटे सौरभ को सितारगंज से उतारा गया है। पूर्व मुख्यमंत्री बीसी खंडूरी की बेटी रितु खंडूरी भूषण को यमकेश्वर से प्रत्याशी बनाया गया है। यहां तक कि कांग्रेस के जो तीन नेता 16 जनवरी की सुबह भाजपा में शामिल हुए उन्हें भी शाम तक पुरस्कृत कर दिया गया।
सीएम हरीश रावत के करीबी और कांग्रेस के बड़े नेता रहे यशपाल आर्य व उनके बेटे संजीव और एक अन्य नेता केदार सिंह रावत को क्रमश: बाजपुर, नैनीताल और यमुनोत्री से उम्मीदवार बनाया गया है। यशपाल आर्य कांग्रेस के दलित चेहरे थे। उनका बेटा पहली बार चुनावी समर में उतरा है। साल 2014 में कांग्रेस छोड़कर आए सतपाल महाराज चौबट्टखल से लड़ेंगे। पूर्व कांग्रेसी मंत्री हरक सिंह रावत की सीट बदली गई है और उन्हें रुद्रप्रयाग की जगह कोटद्वार से लड़ाया जा रहा है। वहीं पूर्व प्रदेश भाजपाध्यक्ष तीरथ सिंह रावत और विजय ब्रथवाल को टिकट नहीं दी गई।
पंजाब और गोवा: पार्टी ने पंजाब में दो मंत्रियों मदन मोहन मित्तल और चुनी लाल भगत को टिकट नहीं दिया है। यहां से भाजपा ने बाकी बची छह सीटों के लिए उम्मीदवारों का एलान किया है। इधर, गोवा में दो वर्तमान विधायकों रमेश तावड़कर और अनंत शेत के टिकट काट दिए गए।
उत्तर प्रदेश: आबादी के लिहाज से देश के सबसे बड़े सूबे उत्तर प्रदेश के लिए जारी की गई पहली सूची में प्रमुख नाम राष्ट्रीय सचिव श्रीकांत शर्मा, पूर्व प्रदेशाध्यक्ष लक्ष्मीकांत बाजपेयी, विवादित विधायक संगीत सोम व सुरेश राणा हैं। राजस्थान के राज्यपाल और पूर्व सीएम कल्याण सिंह के पोते संदीप सिंह को अत्रोली से टिकट दिया है। साल 2014 लोकसभा चुनावों में गौमबुद्धनगर सीट से कांग्रेस के उम्मीदवार रहे रमेश तोमर को धोलाना से उतारा गया है। इसी महीने कांग्रेस छोड़ने वाले धीरेंदर सिंह जेवर से उम्मीदवार हैं। दल बदलुओं को टिकट देने से पार्टी में नाराजगी है। यूपी से आने वाली एक महिला नेता ने नाम ना बताने की शर्त पर कहा, ”नेतृत्व को उस बात पर टिके रहना था जो वह कह रहे थे। सालों तक जिन्होंने काम किया उन्हें अनदेखा नहीं किया जा सकता। पार्टी बदल रही है। नेता कहते कुछ हैं और कर कुछ रहे हैं।”