टीम नीतीश में शीला की एंट्री से सब हैरान! विधायक का टिकट काट बनाया उम्मीदवार, पहला चुनाव लड़कर ही बनीं मंत्री
बिहार के मंत्रिमंडल में इस बार शीला मंडल को भी जगह दी गई है जो कि पहली बार विधायक बनी हैं। इस पर संगठन के लोग भी हैरान हैं। शीला को जेडीयू विधायक का टिकट काटकर उम्मीदवार बनाया गया था।

बिहार में नीतीश मंत्रिमंडल के कई चेहरों ने इस बार लोगों को हैरान कर दिया है। इस चुनाव में अगर किसी के सितारे चमके हैं तो वह हैं VIP के मुकेश सहनी और फुलपरास से नव निर्वाचित विधायक शीला कुमारी। सहनी बिना चुनाव जीते ही मंत्रिमंडल का हिस्सा हैं तो वहीं शीला कुमारी के पहली बार चुनाव जीतने पर ही कैबिनेट में शामिल होने पर सभी चकित हैं। शीला पहली बार चुनाव लड़ी थीं और रेकॉर्ड वोटों सी जीत गई हैं। 1952 से अब तक सबसे ज्यादा वोट पाने का रेकॉर्ड भी उनके नाम है।
शीला कुमारी ने फुलपरास से कांग्रेस के कद्दावर नेता कृपानाथ पाठक के खिलाफ जीत दर्ज की। 42 साल बाद इस सीट से जीतने वाला कोई विधायक मंत्रिमंडल में शामिल हुआ है। 50 साल की शीला एक मध्यवर्गीय परिवार से हैं और उनके पति इंजिनयर हैं। बिहार के मंत्रिमंडल में जातीय समीकरणों का ध्यान रखा गया है। शील पिछड़ी जाति से ताल्लुक रखती हैं। इस बार फुलपरास में दो बार चुनाव जीत चुकी गुलजार देवी का टिकट काटकर शीला को उम्मीदवार बनाया गया था।
शीला के चचेरे ससुर धनिक लाल मंडल फुलपरास से विधायक रह चुके हैं। बाद में धनिकलाल लोकसभा पहुंच गए और मोरारजी देसाई की सरकार में केंद्रीय मंत्री बन गए। वह हरियाणा के राज्यपाल भी रहे। वहीं शीला मंडल के जेठ भारत भूषण लौकहा से आरजेडी के विधायक हैं।
चुनाव बाद कहा जा रहा था कि बिहार में एनडीए की जीत के पीछे महिलाओं का बड़ा समर्थन है। बेतिया से विधायक रेणु देवी को मंत्रिमंडल में शामिल किया गया है जो कि अति पिछड़ी जाति से आती हैं और बीजेपी का महिला चेहरा हैं। वह लंबे समय से राष्ट्रीय राजनीति में सक्रिय रही हैं। वह बीजेपी महिला मोर्चा की अध्यक्ष रह चुकी हैं। 2015 के विधानसभा चुनाव में वह हार गई थीं। इसके बाद संगठन के काम में लग गईं। 2005 से 2009 तक वह बिहार के मंत्रिमंडल में रह चुकी हैं।