बिहार चुनाव: चिराग रोल से JDU खस्ताहाल, आहत नीतीश कुमार नहीं बनना चाहते सीएम, ढांढस देने पहुंचे बड़े BJP नेता
जदयू के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि पार्टी में यह आमराय है कि भाजपा चिराग पासवान से उस प्रभावशाली तरीके से नहीं निपटी जिस तरह उसे चुनाव अभियान के दौरान करना चाहिए था।

बिहार चुनाव में बेहतरीन प्रदर्शन के बाद जहां एनडीए गठबंधन में सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी भाजपा में जश्न का माहौल है, वहीं राज्य में खुद को बड़े भाई के तौर पर प्रचारित कर रही जदयू में नतीजों को लेकर नाराजगी। दरअसल, जदयू ने 2005 में राज्य की सत्ता में आने के बाद से 15 साल बाद इस बार के चुनाव में सबसे खराब प्रदर्शन किया है। सूत्रों का कहना है कि जदयू के सीटों के गिरने के चलते नीतीश कुमार ने भी सीएम पद पर रहने से अनिच्छा जता दी। हालांकि, भाजपा ने उन्हें सीएम के तौर पर ही काम जारी रखने के लिए मना लिया।
बता दें कि भाजपा ने विधानसभा चुनाव से पहले ही कहा था कि जदयू की सीटों का आंकड़ा चाहे कुछ भी रहे, एनडीए की ओर से मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ही रहेंगे। चुनाव नतीजों के बाद भी सुशील मोदी से लेकर भाजपा प्रदेशाध्यक्ष तक ने नीतीश के ही सीएम रहने की बात कही। हालांकि, सूत्र बताते हैं कि चिराग पासवान और लोजपा की वजह से जदयू को जो नुकसान पहुंचा, उससे नीतीश काफी नाराज थे। एक वरिष्ठ भाजपा नेता ने बताया- “नीतीश कुमार इस बात से काफी परेशान थे कि चिराग ने 25 से 30 सीटों पर जदयू के मौकों को खराब किया। एनडीए में अब भाजपा के बड़ी पार्टी होने के बावजूद हमने उन्हें सीएम रहने के लिए मनाया।
बताया गया है कि वरिष्ठ भाजपा नेताओं ने नीतीश को सीएम रहने के लिए मनाया और साथ ही बिहार में पहले की तरह स्वतंत्रता से सरकार चलाने का आश्वासन दिया। गौरतलब है कि बुधवार शाम बिहार चुनाव के जश्न में जब पीएम मोदी दिल्ली स्थित भाजपा मुख्यालय से नीतीश कुमार के बिहार सीएम रहने की बात कर रहे थे, ठीक उसी वक्त नीतीश ने एक ट्वीट के जरिए अपने समर्थन के लिए मोदी का शुक्रिया जताया था।
243 सीटों वाली विधानसभा में एनडीए 125 सीटों के साथ सबसे बड़ा गठबंधन है। इसमें भाजपा के खाते में 74, जदयू के पास 43 और वीआईपी-हम के पास 4-4 सीटें हैं।
लोजपा को मंत्रियों की हार के लिए जिम्मेदार मानती है जदयू: जदयू के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि पार्टी में यह आमराय है कि भाजपा चिराग पासवान से उस प्रभावशाली तरीके से नहीं निपटी जिस तरह उसे चुनाव अभियान के दौरान करना चाहिए था। इसके अलावा भाजपा और जदयू कार्यकर्ताओं के साथ काम करने के तरीकों में भी कुछ कमी थी, जिसके चलते जदयू के कई मंत्रियों और विधायकों की हार हुई। जदयू के इसी नेता ने कहा कि लोजपा फैक्टर की वजह से उसके मंत्री जय कुमार सिंह (दिनारा), शैलेष कुमार (जमालपुर), कृष्णनंदन वर्मा (जेहानाबाद), रामसेवक सिंह (हथुआ), संतोष निराला (राजपुर) और खुरशीद आलम (सिकता) की हार हुई।
बिहार चुनाव के नतीजे आने के बाद मंगलवार शाम को ही भाजपा के बिहार प्रभारी भूपेंद्र यादव, भाजपा प्रदेशाध्यक्ष संजय जयसवाल, डिप्टी सीएम सुशील मोदी और केंद्रीय मंत्री नित्यानंद राय साथ में नीतीश कुमार से मिलने पहुंचे थे। इसे भाजपा की ओर से शिष्टाचार भेंट कहा गया था। पर जदयू के कई नेताओं ने इसे भाजपा की तरफ से हाथ बढ़ाने की कोशिश के तौर पर देखा।
इस बीच भाजपा के एक सूत्र ने बताया कि पार्टी एक बार फिर कैबिनेट के पोर्टफोलियो की तरफ देखेगी और यह बिल्कुल प्राकृतिक सी बात है। सूत्र के मुताबिक, भाजपा इस बार शिक्षा के साथ गृह मंत्रालय जैसा अहम पोर्टफोलियों मांग सकती है। नई सरकार के दिवाली के बाद शपथग्रहण की संभावना है।
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