Zohra Segal Google Doodle: जर्मनी के इस कॉलेज में एडमिशन पाने वाली पहली भारतीय महिला थी जोहरा सहगल
Zohra Segal (ज़ोहरा सहगल) Google Doodle: सहगल के शुरुआती काम में फिल्म "नीचा नगर" थी, जो इस दिन 1946 में कान फिल्म समारोह में प्रदर्शित हुई थी। व्यापक रूप से भारतीय सिनेमा की पहली अंतरराष्ट्रीय महत्वपूर्ण सफलता, "नीचा नगर" ने महोत्सव का सर्वोच्च सम्मान पाल्मे डी'ओर पुरस्कार जीता।

Zohra Segal (ज़ोहरा सहगल) Google Doodle: गूगल ने आज मंगलवार (29 सितंबर) को भारतीय अभिनेत्री और डांसर जोहरा सहगल को याद किया, जो विश्व स्तर पर पहचान पाने वाली भारत की पहली महिला कलाकार हैं। आज के डूडल में जोहरा सहगल का बैकग्राउंड फूलों का है। शास्त्रीय नृत्य मुद्रा में उनकी एनिमेटेड तस्वीर है। जोहरा सहगल पर विशेष डूडल आर्टिस्ट पार्वती पिल्लई द्वारा डिजाइन किया गया है। गूगल डूडल ब्लॉग में कहा गया है, ”आज का डूडल गेस्ट आर्टिस्ट पार्वती पिल्लई ने बनाया है। प्रतिष्ठित भारतीय अभिनेत्री और नृत्यांगना जोहरा सहगल, जो देश की पहली महिला अभिनेताओं में से एक हैं, जिन्हें अंतर्राष्ट्रीय मंच पर सम्मान मिला हैं।
सहगल के शुरुआती काम में फिल्म “नीचा नगर” थी, जो इस दिन 1946 में कान फिल्म समारोह में प्रदर्शित हुई थी। व्यापक रूप से भारतीय सिनेमा की पहली अंतरराष्ट्रीय महत्वपूर्ण सफलता, “नीचा नगर” ने महोत्सव का सर्वोच्च सम्मान पाल्मे डी’ओर पुरस्कार जीता। जोहरा सहगल का पूरा नाम साहिबजादी जोहरा बेगम मुमताज -उल्ला खान था। उनका जन्म सहारनपुर में 27 अप्रैल, 1912 को हुआ था। उन्होंने 20 के दशक की शुरुआत में जर्मनी के ड्रेसडेन के एक प्रतिष्ठित बैले स्कूल में पढ़ाई की और बाद में भारतीय डांसर उदय शंकर के साथ अंतरराष्ट्रीय स्तर पर दौरा किया। भारत लौटने के बाद, उन्होंने 1945 में इंडियन पीपुल्स थियेटर एसोसिएशन के साथ जुड़कर एक्टिंग में बदलाव किया।
Highlights
रामपुर की रोहिल्ला पठान फैमिली के दो बच्चों जकुल्लाह और हजराह की पैदाइश के बाद तीसरे नंबर पर पैदा हुईं मुमताजुल्लाह ने अपने बाद पैदा हुए इकरामुल्लाह, उजरा, एना और साबिरा के साथ अपना बचपन उत्तराखंड के चकराता में गुजारा। पेड़ों पर कूदना, उधम मचाना, बागों से फल तोड़कर खाना और आसपास गुजरते लोगों को परेशान करना जोहरा के बचपन की आदतों में शुमार रहा।
उनकी मां चाहती थीं कि जोहरा लाहौर जाकर पढ़ें तो अपनी बहन के साथ वह चली गईं क्वीन मैरी कॉलेज में दाखिला लेने। कॉलेज में सख्त पर्दा होता था। उन्हें डांस का शौक था। एडिनबर्ग में रहने वाले मामा ने उनका इंतजाम कर दिया। इस तरह वो जर्मनी के मैरी विगमैन बैले स्कूल में एडमिशन पाने वालीं पहली भारतीय महिला बनीं।
दिल से, सांवरिया, चीनी कम जैसी फिल्म में काम किया है। फिल्म चलो इश्क लड़ाए मे जोहरा ने गोविंदा की दादी का रोल प्ले किया था। उनके उस किरदार को आज भी याद किया जाता है।
साल 1962 में जोहरा सहगल लंदन चली गईं और उन्होंने ब्रिटेन के कई टेलीविजन सीरियलों में काम किया। जोहरा सहगल ने हिंदी समेत कई भाषाओं की फिल्मों में यादगार भूमिका निभाई हैं।
गूगल के इस डूडल पर क्लिक करने पर इस बारे में विस्तृत जानकारी वाला एक पेज खुल जाता है जिस पर बताया गया है कि जोहरा देश वास्तविक मायने में देश की वो पहली कलाकार थीं जिन्हें वैश्वविक ख्याति प्राप्त हुई थी।
1920 के दशक में जोहरा ने क्वीन मैरी कॉलेज, लाहौर को ज्वॉइन किया था। अपने पैशन और आत्मविश्वास के लिए जानी जाने वाली जोहरा ने एक ऐसे समय में एक्ट्रेस बनने का फैसला किया था जब फिल्मों में महिलाएं आने से कतराती थीं।
भारतीय सिनेमा में अपने योगदान के लिए जोहरा (Zohra Sehgal) को सरकार द्वारा 1998 में 'पद्मश्री अवार्ड', 2001 में 'कालीदास सम्मान' और 2010 में 'पद्म विभूषण' से नवाजा गया
एक्ट्रेस जोहरा सहगल का निधन 10 जुलाई 2014 में 102 साल की उम्र में हुआ. उनके डांस और एक्टिंग के लिए आज भी एक्ट्रेस को खूब याद किया जाता है. जोहरा सहगल को टीवी सीरियल 'मुल्ला नसीरूद्दीन' में उनके किरदार के लिए भी जाना जाता है. वह एक्टिंग की कला में माहिर थीं, और परदे पर उनके आते ही पूरी स्क्रीन चहक उठती थी.
ज़ोहरा सहगल देश की उन अभिनेत्रियों में से हैं, जिन्होंने 60 के दशक में ही अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान हासिल कर ली और उसके साथ ही कई बॉलीवुड फिल्मों में भी किया किया।
पिल्लई ने कहा कि उन्होंने डूडल तैयार करने के लिए अपनी ट्रेडमार्क मुस्कान, पुराने बॉलीवुड पोस्टर और भारतीय वास्तुकला से अलंकृत पैटर्न से प्रेरणा ली।
जोहरा सहगल को पद्म श्री (1998), कालिदास सम्मान (2001), और पद्म विभूषण (2010) जैसे सम्मान मिले हैं।
1962 में लंदन, इंग्लैंड जाने के बाद सहगल को इंटर्नशिप स्टेज पर पहचान मिली और "डॉक्टर हू" और 1984 की मिनिसरीज "द ज्वेल इन द क्राउन" जैसे ब्रिटिश टेलीविजन क्लासिक्स में काम किया।