Sarkari Naukri: पंजाब में तीन साल पहले परीक्षा पास करने के बाद भी तकनीकी शिक्षा और औद्योगिक प्रशिक्षण विभाग में विभिन्न पदों के लिए चयनित उम्मीदवार अपनी ज्वाइनिंग का इंतजार कर रहे हैं। उम्मीदावारों की ज्वाइनिंग न होने का प्रमुख कारण विभाग में कथित आंतरिक राजनीति बताई जा रही है। पंजाब लोक सेवा आयोग (पीपीएससी) ने 20 फरवरी, 2019 को डिप्टी डायरेक्टर/प्रिंसिपल सीनियर स्केल/डिप्टी अपरेंटिस एडवाइजर के पदों के लिए विज्ञापन निकाला था। पांच पदों में से तीन सामान्य श्रेणी के लिए थे और एक पद एससी रामदसिया और एक अन्य पद एससी मझाबी के लिए था।
पंजाब लोक सेवा आयोग ने 9 जून, 2019 को इन पदों के लिए एक लिखित परीक्षा और 20 दिसंबर, 2019 को एक इंटरव्यू किया। इसके बाद 20 दिसंबर, 2019 को ही लिखित परीक्षा और इंटगव्यू में प्राप्त अंकों के आधार पर फाइल लिस्ट जारी की गई। पीपीएससी ने चयनित पांच उम्मीदवारों के दस्तावेजों को सत्यापन के लिए और चयनित उम्मीदवारों को नियुक्ति पत्र जारी करने के लिए सचिव तकनीकी शिक्षा विभाग को भेजा। इसके बाद सचिव के कार्यालय ने दस्तावेजों को सत्यापन के लिए तकनीकी शिक्षा निदेशालय को भेज दिया।
चयनित उम्मीदवारों में से एक ने कहा, ‘दस्तावेजों की पुष्टि करने के बजाय, तकनीकी शिक्षा और औद्योगिक प्रशिक्षण निदेशालय में कार्यरत पंजाब औद्योगिक प्रशिक्षण राजपत्रित अधिकारी कल्याण संघ के अधिकारियों ने उप निदेशकों के रोस्टर रजिस्टर में फर्जीवाड़ा करने की कोशिश की और उच्च न्यायालय में दो रिट याचिकाएं दायर कीं। क्योंकि वे इन पदों को सीधी भर्ती के बजाय आंतरिक पदोन्नति के माध्यम से भरना चाहते थे।’ उसने कहा कि तकनीकी शिक्षा विभाग ने आरक्षण और रोस्टर बिंदुओं की संख्या के संबंध में सामाजिक न्याय, अधिकारिता और अल्पसंख्यक विभाग से स्पष्टीकरण मांगा। सामाजिक न्याय, अधिकारिता एवं अल्पसंख्यक विभाग ने तीन बार आरक्षण और रोस्टर प्वाइंट के संचालन के लिए स्पष्ट दिशा-निर्देश दिए, जिससे यह साबित हो गया कि भर्ती में दिए गए आरक्षण की संख्या सही है।
29 अक्टूबर 2021 को चयनित अभ्यर्थियों के दस्तावेजों का हुआ था सत्यापन
चयनित अभ्यर्थियों को 29 अक्टूबर 2021 को दस्तावेज सत्यापन के लिए बुलाया गया और फिर इस मामले में कार्मिक विभाग से राय ली गई। इसने तकनीकी शिक्षा विभाग को सामाजिक न्याय, अधिकारिता और अल्पसंख्यक विभाग की सलाह के अनुसार कार्य करने का निर्देश दिया। लेकिन फिर से इस मामले में देरी हुई, क्योंकि चयनित उम्मीदवारों की फाइल मुख्य सचिव के कार्यालय में उनके मशवरे के लिए भेजी गई। फाइल को वापस तकनीकी शिक्षा विभाग को मुख्यमंत्री कार्यालय से मंजूरी के लिए भेजा गया था।
बरविंदर सिंह और सुनील बजाज सहित चयनित उम्मीदवारों ने फिर पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय में एक रिट याचिका दायर की, जिसमें अदालत ने सक्षम प्राधिकारी को एक तर्कपूर्ण आदेश पारित करने का आदेश दिया। अतिरिक्त मुख्य सचिव ने न्यायालय के आदेश के अनुसार रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए तकनीकी शिक्षा निदेशक डीपीएस खरबंदा की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया। जिसके बाद समिति ने 3 फरवरी को चयनित उम्मीदवारों के पक्ष में अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की। बरविंदर सिंह ने कहा, “लेकिन निदेशक द्वारा इस रिपोर्ट को प्रस्तुत करने के एक महीने बाद भी, हमारी नियुक्तियों के संबंध में कुछ भी नहीं किया गया है, जो सरकार की कानूनी चयन प्रक्रिया का मजाक है।”