समोसे बेचने वाला बन गया CA, छठी बार में पास की Final Exam, मां ने सुनाई संघर्ष की दास्तां
ओडिशा के झारसुगड़ा में समोसे बेचकर जिंदगी का गुजारा करने वाले शशिकांत शर्मा ने भी अपनी मेहनत से बड़ा बदलाव हासिल किया। शहर के झंडा चौक में खाने-पीने का सामान बेचने वाले शशिकांत शर्मा ने CA Final Exam पास कर ली है।

मेहनत कब रंग लाए और किस्मत बदल जाए कहा नहीं जा सकता। ओडिशा के झारसुगड़ा में समोसे बेचकर जिंदगी का गुजारा करने वाले शशिकांत शर्मा ने भी अपनी मेहनत से बड़ा बदलाव हासिल किया। शहर के झंडा चौक में खाने-पीने का सामान बेचने वाले शशिकांत शर्मा ने CA Final Exam पास कर ली है। ICAI की तरफ से आयोजित की जाने वाली यह परीक्षा देश की सबसे कठिन परीक्षाओं में शुमार की जाती है। शशिकांत की मां ने उनके जीवन संघर्ष की कहानी बताई है।
200 रुपए रोज कमाते हैं पिताः शशिकांत शर्मा के पिता की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है, वो एक मंदिर में पुजारी हैं और सिर्फ 200 रुपए रोज कमाते हैं। इसी के चलते शशिकांत और उनके बड़े भाई मनोज ने समोसे बेचने का काम शुरू कर दिया। तमाम दिक्कतों के बावजूद शर्मा ने पढ़ाई जारी रखी और 2009 में 10वीं की परीक्षा पास की। इसके पांच साल बाद एक स्थानीय कॉलेज से कॉमर्स में ग्रैजुएशन पूरा किया। फिर अपने टीचर की सलाह पर उन्होंने सीए की परीक्षा दी।
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‘पढ़ाई के लिए खाना भूल जाता था’: शशिकांत कहते हैं कि मैंने डिक्शनरी की मदद से इंग्लिश में सुधार किया, क्योंकि कोचिंग के पैसे नहीं थे। शर्मा ने कहा, ‘मैंने अपने मामा से कर्ज लेकर पढ़ाई की।’ पहले पांच प्रयासों में शशिकांत को सफलता नहीं मिली लेकिन आखिरी कोशिश रंग लाई। उनकी मां इंद्रा देवी शर्मा कहती हैं कि उनका बेटा 18 से 19 घंटे पढ़ता था और कई बार खाना भी नहीं खाता था। उनके शिक्षक एसके शर्मा कहते हैं, ‘हमें उस पर गर्व है। शशिकांत की सफलता उन छात्रों के लिए प्रेरणा है जो सीए की पढ़ाई से ही डरते हैं।’