आइंस्टीन के सापेक्ष सिद्धांत को चुनौती देने वाले महान भारतीय गणितज्ञ वशिष्ठ नारायण सिंह का 74 वर्ष की आयु में निधन
अपनी पीएचडी पूरी करने के बाद वह वॉशिंगटन यूनिवर्सिटी में एसोसिएट प्रोफेसर के पद पर कार्य करने लगे। उन्होनें नासा में भी काम किया और 1971 में भारत लौटकर IIT कानपुर, IIT बंबई, IIT कोलकाता में नौकरी की।

आइंस्टीन के सापेक्ष सिद्धांत को चुनौती देने वाले भारत मे महान गणितज्ञ वशिष्ठ नारायण सिंह का 74 वर्ष की आयु में आज निधन हो गया। वह पिछले कई वर्षों से बीमार थे और आज 14 नवंबर 2019 को पटना के PMCH अस्पताल में उन्होंने अपनी अंतिम श्वास ली। कुछ दिन पहले ही उन्हें अस्पताल से छुट्टी दी गई थी मगर गुरूवार को तबियत बिगड़ने पर उन्हें दोबारा अस्पताल में भर्ती किया गया था।
वशिष्ठ नारायण बिहार के भोजपुर जिले के रहने वाले थे और 1969 में उन्होंने अमेरिका में अपनी पीएचडी पूरी की थी। अपनी रिसर्च के दौरान उन्होनें महान वैज्ञानिक आइंस्टीन के सापेक्ष सिद्धांत (रिलेटिविटी थ्योरम) को चुनौती दी थी। उनके बारे में यह भी मशहूर है कि जब नासा में अपोलो अंतरिक्षयान की लांचिंग से पहले जब 31 कंप्यूटर कुछ समय के लिए बंद हो गए तो कंप्यूटर ठीक होने पर उनका और कंप्यूटर्स का कैलकुलेशन एक था।
अपनी पीएचडी पूरी करने के बाद वह वॉशिंगटन यूनिवर्सिटी में एसोसिएट प्रोफेसर के पद पर कार्य करने लगे। उन्होनें नासा में भी काम किया और 1971 में भारत लौटकर IIT कानपुर, IIT बंबई, IIT कोलकाता में नौकरी की। उनके निधन पर बिहार के मुख्यमंत्री नितीश कुमार समेत कई नेताओं ने उन्हें श्रद्धांजलि दी है तथा शोक व्यक्त किया है। वह 74 वर्ष के थे।
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