नई शिक्षा नीति (एनईपी) को कैबिनेट ने मंजूरी दे दी है। नई एजुकेशन पॉलिसी स्कूल से कॉलेज स्तर तक शिक्षा प्रणाली में कई बदलाव लाएगी। नई शिक्षा नीति में स्कूल एजुकेशन से लेकर हायर एजुकेशन तक कई बड़े बदलाव किए गए हैं। हायर एजुकेशन के लिए सिंगल रेगुलेटर रहेगा (लॉ और मेडिकल एजुकेशन को छोड़कर)। उच्च शिक्षा में 2035 तक 50 फीसदी GER पहुंचने का लक्ष्य है। ई-पाठ्यक्रम क्षेत्रीय भाषाओं में विकसित किए जाएंगे। वर्चुअल लैब विकसित की जा रही है और एक राष्ट्रीय शैक्षिक टेक्नोलॉजी फोरम (NETF) बनाया जा रहा है।
देश में उच्च शिक्षा के लिए एक ही नियामक(Regulator) होगा, इसमें अप्रूवल और वित्त के लिए अलग-अलग वर्टिकल होंगे। वो नियामक ‘ऑनलाइन सेल्फ डिसक्लोजर बेस्ड ट्रांसपेरेंट सिस्टम’ पर काम करेगा। पढ़ाई की रुपरेखा 5+3+3+4 के आधार पर तैयारी की जाएगी। इसमें अंतिम 4 वर्ष 9वीं से 12वीं शामिल हैं। नया कौशल (जैसे कोडिंग) शुरु किया जाएगा। एक्सट्रा कैरिकुलर एक्टिविटीज को मेन कैरिकुलम में शामिल किया जाएगा।
2013 में शुरू की गई BVoc डिग्री अब भी जारी रहेगी, लेकिन चार वर्षीय बहु-विषयक (multidisciplinary) बैचलर प्रोग्राम सहित अन्य सभी बैचलर डिग्री कार्यक्रमों में नामांकित छात्रों के लिए वोकेशनल पाठ्यक्रम भी उपलब्ध होंगे। ‘लोक विद्या’, अर्थात, भारत में विकसित महत्वपूर्ण व्यावसायिक ज्ञान, व्यावसायिक शिक्षा पाठ्यक्रमों में एकीकरण के माध्यम से छात्रों के लिए सुलभ बनाया जाएगा।
अगले दशक में वोकेशनल एजुकेशन को चरणबद्ध तरीके से सभी स्कूलों और उच्च शिक्षा संस्थानों में इंटीग्रेट किया जाएगा। 2025 तक, स्कूल और उच्च शिक्षा प्रणाली के माध्यम से कम से कम 50% शिक्षार्थियों की वोकेशनल एजुकेशन तक पहुंच होगी, जिसके लिए लक्ष्य और समयसीमा के साथ एक स्पष्ट कार्य योजना विकसित की जाएगी।
एक अकादमिक बैंक ऑफ क्रेडिट (ABC) की स्थापना की जाएगी जो विभिन्न मान्यता प्राप्त HEI से अर्जित शैक्षणिक क्रेडिट को डिजिटल रूप से सेव करेगा। क्रेडिट बैंक का मुख्य उद्देश्य शिक्षा प्रणाली में छात्रों की गतिशीलता को सुगम बनाना होगा, इस बैंक में छात्रों के क्रेडिट सेव किए जाएंगे ताकि अपनी डिग्री पूरी करने के लिए छात्र किसी भी समय इनका उपयोग कर सकें।
भारतीय फिल्म डायरेक्ट शेखर कपूर ने नई शिक्षा नीति 2020 को शानदार तरीके से नया बताया है।
सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्री थावरचंद गहलोत ने कहा है कि नई शिक्षा नीति में विकलांग बच्चों के लिए शिक्षा को बैरियर फ्री बनाया जाएगा। इस शिक्षा नीति के जरिए विकलांग बच्चों तक भी बिना किसी बाधा के शिक्षा पहुंच सकेगी।
नई नीति में, शिक्षकों को उच्च-गुणवत्ता की सामग्री और शिक्षाशास्त्र में प्रशिक्षण की आवश्यकता होगी। जैसे-जैसे कॉलेज / विश्वविद्यालय बहु-विषयक बनने की दिशा में आगे बढ़ते हैं, उनका लक्ष्य बीएड, एमएड, और पीएचडी की पेशकश करने वाले उत्कृष्ट शिक्षा विभागों को भी पूरा करना होगा।
मल्टीपल एंट्री और एग्जिट सिस्टम लागू किया गया है। आज की व्यवस्था में अगर चार साल इंजीनियरंग पढ़ने या 6 सेमेस्टर पढ़ने के बाद किसी कारणवश आगे नहीं पढ़ पाते हैं तो कोई उपाय नहीं होता, लेकिन मल्टीपल एंट्री और एग्जिट सिस्टम में 1 साल के बाद सर्टिफिकेट, 2 साल के बाद डिप्लोमा और 3-4 साल के बाद डिग्री मिल जाएगी। स्टूडेंट्स के हित में यह एक बड़ा फैसला है।
नीति दस्तावेज में कहा गया है कि क्योंकि बच्चे अपनी घरेलू भाषा में अधिक तेजी से सीखते और समझते हैं, जो अक्सर मातृभाषा होती है, इसलिए इसे उनकी शिक्षा उसी भाषा में करना ज्यादा उपयोगी होगा। इसलिए शिक्षा के माध्यम के रूप में भी मातृभाषा पर ज्यादा ध्यान केंद्रित किया जाएगा, जो ‘थ्री लैंग्लेज फॉर्मूला’ है।
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सभी कॉलेजों में एडमिशन के लिए NTA द्वारा केवल एक ही एग्जाम आयोजित कराया जाएगा। यह एग्जाम ऑप्शनल होगा जरूरी नहीं।
डॉक्टरेट के लिए, जिन छात्रों ने अपने मास्टर को पूरा कर लिया है, वे पीएचडी करने के लिए पात्र होंगे। एनईपी द्वारा प्रस्तावित एम फिल प्रोग्रामर को बंद कर दिया जाएगा।
HECI का पहला वर्टिकल राष्ट्रीय उच्चतर शिक्षा नियामक परिषद (NHERC) होगा। यह शिक्षक शिक्षा सहित उच्च शिक्षा क्षेत्र के लिए सामान्य, एकल बिंदु नियामक के रूप में कार्य करेगा। हालांकि, चिकित्सा और कानूनी शिक्षा इससे बाहर होंगे।
मिडिल स्कूलिंग लेवल में, ग्रेड 6 से 8 में 11-14 वर्ष के बीच के छात्रों के लिए। इस स्तर के लिए एक विषय-उन्मुख शैक्षणिक शैली सीखना होगा। सेकंड्री स्कूलिंग लेवल यानी अंतिम चरण 14-18 वर्ष के बीच के छात्रों के लिए है। इस चरण को फिर से दो उप-चरणों में विभाजित किया गया है: ग्रेड 9 और 10 को एक और ग्रेड 11 और 12 को दूसरे में कवर करना।
नई शिक्षा नीति 2020 में औपचारिक शिक्षा में पहले से मौजूद प्लेस्कूलों को जरूरी हिस्सा बनाती है। ग्रेड 3 से 5 तक के 8-11 वर्ष की आयु के बच्चों के लिए विज्ञान, गणित, कला, सामाजिक विज्ञान और ह्यूमैनिटीज सीखने पर अधिक जोर होगा।
नई शिक्षा नीति में 5 + 3 + 3 + 4 का मॉडल रखा गया है जिसमें छात्रों 3-8 वर्ष की आयु वर्ग में रखा गया है। इस चरण को दो भागों में विभाजित किया जाएगा। प्लेस्कूल / आंगनवाड़ी के तीन साल और प्राथमिक विद्यालय (ग्रेड 1 और 2) में दो साल होंगे।
बोर्ड संरचना में बदलाव, जो परीक्षा को “मुख्य दक्षताओं” की परीक्षा बनाना चाहते हैं, 2021 के शैक्षणिक सत्र से लागू किया जाएगा। 2022 शैक्षणिक सत्र में कॉलेज प्रवेश के लिए नए विश्वविद्यालय प्रवेश परीक्षा को लागू किया जाएगा।
स्नातक में प्रवेश लेने के बाद तीन साल पढ़ाई करना अनिवार्य नहीं होगा। नई शिक्षा निति लागू होने के बाद स्नातक 3 से 4 साल तक होगा। इस बीच किसी भी तरह से अगर बीच में छात्र पढ़ाई छोड़ता है तो उसका साल खराब नही होगा। एक साल तक पढ़ाई करने वाले छात्र को प्रमाणपत्र, दो साल पढ़ाई करने वाले को डिप्लोमा और कोर्स की पूरी अवधि करने वाले को डिग्री प्रदान की जाएगी।
अभी लागू शिक्षा नीति के अनुसार किसी छात्र को शोध करने के लिए स्नातक, एमफिल और उसके बाद पी.एचडी करना होता था। परंतु नई शिक्षा नीति के लागू होने के बाद जो छात्र शोध क्षेत्र में जाना चाहते हैं वे चार साल के डिग्री प्रोग्राम के बाद सीधे पीएचडी या डीफिल में प्रवेश ले सकते हैं। वहीं जो छात्र नौकरी करना चाहते हैं उनके लिए वही डिग्री कोर्स तीन साल में पूरा हो जाएगा। वहीं शोध को बढ़ृावा देने के लिए और गुणवत्ता में सुधार के लिए नेशनल रिसर्च फाउनंडेशन की भी स्थापना की जाएगी।
इससे पहले राजीव गांधी के कार्यकाल में 1986 में नई शिक्षा नीति को लागू किया गया था। जिसमें 1992 में कुछ संशोधन किए गये थे। इस हिसाब से 34 साल बाद भारत देश में नई शिक्षा नीति लागू हो रही है। इस नई शिक्षा नीति का मसौदा इसरो के प्रमुख के कस्तूरीरंगन की अध्यक्षता में विशेषज्ञों ने तैयार किया है।
राजनीतिक दलों द्वारा विरोध के बाद, थ्री-लैंग्वेज फार्मूले के बारे में NEP के मसौदे में हिंदी और अंग्रेजी के संदर्भ को अंतिम नीति दस्तावेज से हटा दिया गया है। नीति में कहा गया है, “बच्चों द्वारा सीखी जाने वाली तीन भाषाएं राज्यों, क्षेत्रों और छात्रों की पसंद होंगी, इसके लिए तीन में से कम से कम दो भाषाएं भारतीय मूल की होनी चाहिए।”
स्कूलों में शिक्षा के माध्यम पर, शिक्षा नीति में कहा गया है, “जहां भी संभव हो, निर्देश का माध्यम कम से कम ग्रेड 5 तक, मातृभाषा / स्थानीय भाषा / क्षेत्रीय भाषा होगी। इसके बाद, स्थानीय भाषा को जहाँ भी संभव हो भाषा के रूप में पढ़ाया जाता रहेगा। यह नियम सार्वजनिक और निजी दोनों तरह के स्कूल में लागू होंगे।”
बोर्ड परीक्षा के नंबरों का महत्व अब कम होगा जबकि कॉन्सेप्ट और प्रैक्टिकल नॉलेज का महत्व ज्यादा होगा। सभी छात्रों को किसी भी स्कूल वर्ष के दौरान दो बार बोर्ड परीक्षा देने की अनुमति दी जाएगी। एक मुख्य परीक्षा और एक सुधार के लिए। छात्र दूसरी बार परीक्षा देकर अपने नंबर सुधार भी सकेंगे।
10वीं और 12वीं कक्षओं के लिए बोर्ड परीक्षाएं जारी रहेंगी मगर कोचिंग कक्षाओं की आवश्यकता को समाप्त करने के लिए बोर्ड और प्रवेश परीक्षाओं की मौजूदा प्रणाली में सुधार किया जाएगा। छात्रों के समग्र विकास को प्रोत्साहित करने के लिए बोर्ड परीक्षा को फिर से डिज़ाइन किया जाएगा। छात्र अब नई नीति के अनुसार उन विषयों का खुद चुनाव कर सकेंगे जिनके लिए वे बोर्ड परीक्षा देना चाह रहे हैं।
स्कूली शिक्षा की गुणवत्ता की अब से हर 5 वर्षों में समीक्षा की जाएगी। नई नीति के तहत अब 2022 के बाद से शिक्षकों की भर्ती सिर्फ नियमित होगी और पैरा टीचर्स नहीं रखे जाएंगे।
नई शिक्षा नीति के तहत 2030 तक देश के 100 प्रतिशत बच्चों को स्कूली शिक्षा में नामांकन कराने का लक्ष्य रखा गया है। अभी भी गरीब और पिछड़े वर्ग के बच्चे बेसिक शिक्षा से वंचित हैं जिन तक शिक्षा का प्रसार बेहद जरूरी है।
भारत दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी शिक्षा प्रणाली है जिसमें 1028 विश्वविद्यालय, 45 हजार कॉलेज, 14 लाख स्कूल तथा 33 करोड़ स्टूडेंट्स शामिल हैं। देश में तीन दशक के इंतजार के बाद नई शिक्षा नीति लागू हो रही है।
बुधवार को मंजूर की गई नई शिक्षा नीति में स्कूली शिक्षा में आमूलचूल बदलाव का खाका तैयार किया गया है जिसमें बोर्ड परीक्षा को सरल बनाने और छात्रों पर से पाठ्यक्रम का बोझ कर करने पर जोर दिया जाएगा। स्कूली पाठ्यक्रम को अब 10+2 की जगह 5+3+3+4 की नई पाठ्यक्रम संरचना लागू की जाएगी।
केन्द्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि नई शिक्षा नीति देश के लिए बेहद जरूरी थी।
2013 में शुरू की गई BVoc डिग्री अब भी जारी रहेगी, लेकिन चार वर्षीय बहु-विषयक (multidisciplinary) बैचलर प्रोग्राम सहित अन्य सभी बैचलर डिग्री कार्यक्रमों में नामांकित छात्रों के लिए वोकेशनल पाठ्यक्रम भी उपलब्ध होंगे। ‘लोक विद्या’, अर्थात, भारत में विकसित महत्वपूर्ण व्यावसायिक ज्ञान, व्यावसायिक शिक्षा पाठ्यक्रमों में एकीकरण के माध्यम से छात्रों के लिए सुलभ बनाया जाएगा।
अगले दशक में वोकेशनल एजुकेशन को चरणबद्ध तरीके से सभी स्कूलों और उच्च शिक्षा संस्थानों में इंटीग्रेट किया जाएगा। 2025 तक, स्कूल और उच्च शिक्षा प्रणाली के माध्यम से कम से कम 50% शिक्षार्थियों की वोकेशनल एजुकेशन तक पहुंच होगी, जिसके लिए लक्ष्य और समयसीमा के साथ एक स्पष्ट कार्य योजना विकसित की जाएगी।
एक अकादमिक बैंक ऑफ क्रेडिट (ABC) की स्थापना की जाएगी जो विभिन्न मान्यता प्राप्त HEI से अर्जित शैक्षणिक क्रेडिट को डिजिटल रूप से सेव करेगा। क्रेडिट बैंक का मुख्य उद्देश्य शिक्षा प्रणाली में छात्रों की गतिशीलता को सुगम बनाना होगा, इस बैंक में छात्रों के क्रेडिट सेव किए जाएंगे ताकि अपनी डिग्री पूरी करने के लिए छात्र किसी भी समय इनका उपयोग कर सकें।
हर एक विषय में पाठ्यचर्या की सामग्री को मूल अनिवार्यता को कम किया जाएगा और सीखने के लिए महत्वपूर्ण सोच और अधिक समग्र, इंक्वायरी-आधारित, डिस्कवरी-आधारित, चर्चा-आधारित और एनालिसिस यानी विश्लेषण-आधारित तरीकों पर जोर किया जाएगा।
शिक्षक शिक्षा के लिए एक नया और व्यापक नेशनल करिकुलम तैयार किया जाएगा, जिसे NCFTE 2021, NCERT द्वारा NCERT के परामर्श से बनाया जाएगा। 2030 तक, शिक्षण के लिए न्यूनतम डिग्री योग्यता 4-वर्षीय एकीकृत बी.एड. डिग्री। वहीं घटिया स्टैंड-अलोन शिक्षक शिक्षा संस्थानों (TEIs) के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।
शिक्षा नीति में सुधार के साथ-साथ एससी, एसटी, ओबीसी, और अन्य एसईडीजी से संबंधित छात्रों की योग्यता को प्रोत्साहित करने का प्रयास किया जाएगा। राष्ट्रीय छात्रवृत्ति पोर्टल का समर्थन करने, बढ़ावा देने और छात्रवृत्ति प्राप्त करने वाले छात्रों की प्रगति को ट्रैक करने के लिए विस्तारित किया जाएगा। निजी HEI को अपने छात्रों को बड़ी संख्या में छात्रवृत्ति प्रदान करने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा।
सामाजिक-आर्थिक रूप से वंचित पृष्ठभूमि के छात्रों के लिए जवाहर नवोदय विद्यालय में विशेष रूप से नि: शुल्क बोर्डिंग सुविधाओं का निर्माण किया जाएगा।
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने नई शिक्षा नीति की मंजूरी के लिए पीएम मोदी और डॉ. रमेश पोखरिया निशंक को बधाई दी है।
नई शिक्षा नीति में बदलाव करते हुए हाईयर एजुकेशन और व्यापक शिक्षा तक सबकी पहुंच सुनिश्चित की गई है। इसके जरिए भारत का लगातार विकास सुनिश्चित होगा साथ ही वैश्विक मंचों पर आर्थिक विकास, सामाजिक विकास, समानता और पर्यावरण की देख-रेख, वैज्ञानिक उन्नति और सांस्कृतिक संरक्षण के नेतृत्व का समर्थन करेगा।
भाषा, साहित्य, संगीत, फिलॉसफी, कला, नृत्य, रंगमंच, शिक्षा, गणित, स्टैटिक्स, प्योर एंड अप्लाईड साइंस, समाजशास्त्र, अर्थशास्त्र, खेल, अनुवाद और व्याख्या, आदि विभागों को सभी उच्च शिक्षा संस्थानों में स्थापित और जोर दिया जाएगा।